scriptट्रेडिशनल ही नहीं पैरों की भी हिफाजत करता है महावर, ये है आलता लगाने का महत्व | mahawar kaise lagaye mahawar design on foot mahawar lagane ki design | Patrika News

ट्रेडिशनल ही नहीं पैरों की भी हिफाजत करता है महावर, ये है आलता लगाने का महत्व

locationसतनाPublished: Jul 22, 2019 04:36:39 pm

Submitted by:

suresh mishra

– आलता लगाते ही बढ़ जाती है एड़ियों की शोभा- शादी-पार्टी सहित शुभ कार्यों में महिलाएं पैरों में लगाती है महावर- बघेली में बोला जाता है महउरा- सौभाग्यवती स्त्रियां पति के मंगल के लिए लगाती है महावर – गांव में बारिश के समय कदरी से करता है बचाव- महिला कृषक पानी वाले खेत में घुसने से पहले करती हैं यूज

mahawar kaise lagaye mahawar design on foot mahawar lagane ki design

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सतना। बारिश के मौसम में महावर यानी की महउरा ट्रेडिशनल ही नहीं बल्कि पैरों की भी हिफाजत करता है। शादी, पार्टी सहित शुभ कार्यों में अक्सर महिलाएं पैरों में गहरे लाल रंग का महावर लगाए दिख जाती है। वहीं कृषक महिलाएं भी पानी वाले खेत में घुसने से पहले महावर जरूर यूज करती हैं। महिला कृषक सुनैना मिश्रा बताती है कि बड़े-बुजूर्गों का कहना है, धान की निदाई, गोड़ाई, रोपा लगाई जैसी खरीफ सीजन की खेती में महउरा कदरी होने से बचाता है।
जब पुरुष या महिलाएं ज्यादा समय तक पानी वाले खेतों में रहती है तो पैरों के तलवे कट जाते है जिसको बघेली में कदरी बोला जाता है। कुछ दिन बाद महिलाओं के त्योहार शुरू हो जाएंगे। जो कि बिना महावर के अधूरे मानें जाते है। नागपंचमी से हिन्दू धर्म के त्योहारों का आगाज होता है। रक्षाबंधन, हरछठ, संतान सप्तमी, दिपावली, भाई दूज, वट सावित्री आदि वृतों में महिलाएं ऐडिय़ों पर लाल रंग लगाती है।
चिकित्सक डॉ. मोहिनी बताती है कि हमारी भारतीय संस्कृति में अलग-अलग रीति रिवाजों के चलते जिस तरह से शादी में मेंहदी लगाना खास महत्व रखता है। उसी तरह से कई महिलाएं लाल रंग का महावर लगाती है। लाल रंग का यह तरल पदार्थ एडियों में लगाया जाता है। जिस तरह से भारतीय श्रृंगार में महिलाओं के सोलह श्रृंगारों का विशेष महत्व होता है। उसी तरह से महावर का भी अपना महत्व है। महावर को महिलाएं सुहाग की निशानी भी मानती है। इसको लगाने के बाद पैरों की खूबसूरती भी बढ़ जाती है। महिलाओं का सौदर्य अपने-आप झलकने लगता है।
बिना महावर के दुल्हन का श्रृंगार माना जाता है अधूरा
हाउस वाइफ आकंक्षा का कहना है कि बिना महावर दुल्हन का श्रृंगार अधूरा माना जाता है। आज कल की शादियों में दुल्हन के पैरों पर कई प्रकार की डिजाइन से महावर लगाया जाता है। कई जगह ऐसी भी मान्यता है कि महावर लगाने से पहले किसी सुहागन महिला या फिर अपनी सास या ननद के पैरों में महावर लगाया जाता है। अगर घर में कोई नही हो तो अपने घर के दरवाजे के बीच में स्वास्तिक का चिन्ह बनाकर महावर लगाना चाहिए। वैसे तो बाजार में कई प्रकार के महावर मिलते है। लेकिन पान के पत्ते या लाक से बना महावर शुद्ध माना जाता है। बघेलखंड में दुल्हन के पैर में महावर लगाने के साथ साथ दूल्हे के पैरों में भी लगाने की प्रथा होती है। विज्ञान कहता है कि पैरों में महावर लगाने के बाद एडिय़ों को ठंडक मिलती है जिससे तनाव कम होता है।
ये श्रृंगार जरूर करें
निरूपमा त्रिपाठी का कहना है कि, अंगशुची, मंजन, वसन, मांग, महावर, केश। तिलक भाल, तिल चिबुक में, भूषण मेंहदी वेश।। मिस्सी काजल अरगजा, वीरी और सुगंध। अर्थात अंगों में उबटन लगाना, स्नान करना, स्वच्छ वस्त्र धारण करना, मांग भरना, महावर लगाना, बाल संवारना, तिलक लगाना, ठोढी़ पर तिल बनाना, आभूषण धारण करना, मेंहदी रचाना, दांतों में मिस्सी, आंखों में काजल लगाना, सुगांधित द्रव्यों का प्रयोग, पान खाना, माला पहनना, नीला कमल धारण करना सौभाग्य स्त्रियों के लिए शास्त्रों में बताया गया है। हिन्दू धर्म से छोटे से लेकर बड़े सभी प्रकार के शुभ कार्य महावर के बिना शुरू नहीं होते है।

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