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Makar Sankranti 2018: हिन्दू धर्म में क्यों मनाई जाती है मकर संक्रांति, जानिए क्या हैं मान्यता

locationसतनाPublished: Jan 13, 2018 03:35:36 pm

Submitted by:

suresh mishra

हिन्दू धर्म में मकर संक्रांति का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है।

Makar Sankranti 2018: History Importance and Significance

Makar Sankranti 2018: History Importance and Significance

सतना। हिन्दू धर्म में मकर संक्रांति का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। पुराणों में भी मकर संक्रांति का विशेष महत्व बताया गया है। यह त्यौहार हर साल 14 जनवरी को देशभर में मनाया जाता है। पंडित हरीनाराणय शास्त्री की मानें तो इस दिन सूर्य उत्तरायण में होता है। यानी कि पृथ्वी का उत्तरी गोलाद्र्ध सूर्य की ओर आ जाता है।
फिर इसी दिन सूर्य का मकर राशि में प्रवेश करता है। इसलिए मंकर संक्रांति मनाई जाती है। हालांकि यह पर्व देश के विभिन्न राज्यों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। यहां MP.PATRIKA.COM मकर संक्रांति की मान्यताओं के बारे में बता रहा है।
ये है मकर संक्रांति का महत्व
हरीनाराणय ने बताया कि सूर्यदेव जब धनु राशि से मकर पर पहुंचते हैं तो मकर संक्रांति मनाई जाती है। सूर्य के धनु राशि से मकर राशि पर जाने का महत्व इसलिए अधिक है क्योंकि इस समय सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण हो जाता है। उत्तरायण देवताओं का दिन माना जाता है। मकर संक्रांति के शुभ मुहूर्त में स्नान और दान-पुण्य करने का विशेष महत्व है। इस दिन खिचड़ी का भोग लगाया जाता है। यही नहीं कई जगहों पर तो मृत पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए खिचड़ी दान करने का भी विधान है। मकर संक्रांति पर तिल और गुड़ का प्रसाद भी बांटा जाता है। कई जगहों पर पतंगें उड़ाने की भी परंपरा है।
जानिए त्यौहार की मान्यताएं
– मकर संक्रांति के दिन ही गंगाजी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में मिल गई थीं।
– मान्यता यह भी है कि इस दिन यशोदा जी ने श्रीकृष्ण को प्राप्त करने के लिए व्रत किया था।
– माना जाता है कि आज से 1000 साल पहले मकर संक्रांति 31 दिसंबर को मनाई जाती थी। पिछले एक हजार साल में इसके दो हफ्ते आगे खिसक जाने की वजह से 14 जनवरी को मनाई जाने लगी। अब सूर्य की चाल के आधार पर यह अनुमान लगाया जा रहा है कि 5000 साल बाद मकर संक्रांति फरवरी महीने के अंत में मनाई जाएगी।
– सूर्य के धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करने को ‘मकर संक्रांतिÓ कहा जाता है। साल 2012 में यह 14 जनवरी की मध्यरात्रि में था। इसलिए उदय तिथि के अनुसार मकर संक्रांति 15 जनवरी को पड़ी थी।
– महाराष्ट्र में ऐसा माना जाता है कि मकर संक्रांति से सूर्य की गति तिल-तिल बढ़ती है। इसीलिए इस दिन तिल के विभिन्न मिष्ठान बनाकर एक-दूसरे को वितरित करते हुए शुभ कामनाएं देकर यह त्योहार मनाया जाता है।
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