फिर इसी दिन सूर्य का मकर राशि में प्रवेश करता है। इसलिए मंकर संक्रांति मनाई जाती है। हालांकि यह पर्व देश के विभिन्न राज्यों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। यहां MP.PATRIKA.COM मकर संक्रांति की मान्यताओं के बारे में बता रहा है।
ये है मकर संक्रांति का महत्व
हरीनाराणय ने बताया कि सूर्यदेव जब धनु राशि से मकर पर पहुंचते हैं तो मकर संक्रांति मनाई जाती है। सूर्य के धनु राशि से मकर राशि पर जाने का महत्व इसलिए अधिक है क्योंकि इस समय सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण हो जाता है। उत्तरायण देवताओं का दिन माना जाता है। मकर संक्रांति के शुभ मुहूर्त में स्नान और दान-पुण्य करने का विशेष महत्व है। इस दिन खिचड़ी का भोग लगाया जाता है। यही नहीं कई जगहों पर तो मृत पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए खिचड़ी दान करने का भी विधान है। मकर संक्रांति पर तिल और गुड़ का प्रसाद भी बांटा जाता है। कई जगहों पर पतंगें उड़ाने की भी परंपरा है।
हरीनाराणय ने बताया कि सूर्यदेव जब धनु राशि से मकर पर पहुंचते हैं तो मकर संक्रांति मनाई जाती है। सूर्य के धनु राशि से मकर राशि पर जाने का महत्व इसलिए अधिक है क्योंकि इस समय सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण हो जाता है। उत्तरायण देवताओं का दिन माना जाता है। मकर संक्रांति के शुभ मुहूर्त में स्नान और दान-पुण्य करने का विशेष महत्व है। इस दिन खिचड़ी का भोग लगाया जाता है। यही नहीं कई जगहों पर तो मृत पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए खिचड़ी दान करने का भी विधान है। मकर संक्रांति पर तिल और गुड़ का प्रसाद भी बांटा जाता है। कई जगहों पर पतंगें उड़ाने की भी परंपरा है।
जानिए त्यौहार की मान्यताएं
– मकर संक्रांति के दिन ही गंगाजी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में मिल गई थीं।
– मान्यता यह भी है कि इस दिन यशोदा जी ने श्रीकृष्ण को प्राप्त करने के लिए व्रत किया था।
– माना जाता है कि आज से 1000 साल पहले मकर संक्रांति 31 दिसंबर को मनाई जाती थी। पिछले एक हजार साल में इसके दो हफ्ते आगे खिसक जाने की वजह से 14 जनवरी को मनाई जाने लगी। अब सूर्य की चाल के आधार पर यह अनुमान लगाया जा रहा है कि 5000 साल बाद मकर संक्रांति फरवरी महीने के अंत में मनाई जाएगी।
– सूर्य के धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करने को ‘मकर संक्रांतिÓ कहा जाता है। साल 2012 में यह 14 जनवरी की मध्यरात्रि में था। इसलिए उदय तिथि के अनुसार मकर संक्रांति 15 जनवरी को पड़ी थी।
– महाराष्ट्र में ऐसा माना जाता है कि मकर संक्रांति से सूर्य की गति तिल-तिल बढ़ती है। इसीलिए इस दिन तिल के विभिन्न मिष्ठान बनाकर एक-दूसरे को वितरित करते हुए शुभ कामनाएं देकर यह त्योहार मनाया जाता है।
– मकर संक्रांति के दिन ही गंगाजी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में मिल गई थीं।
– मान्यता यह भी है कि इस दिन यशोदा जी ने श्रीकृष्ण को प्राप्त करने के लिए व्रत किया था।
– माना जाता है कि आज से 1000 साल पहले मकर संक्रांति 31 दिसंबर को मनाई जाती थी। पिछले एक हजार साल में इसके दो हफ्ते आगे खिसक जाने की वजह से 14 जनवरी को मनाई जाने लगी। अब सूर्य की चाल के आधार पर यह अनुमान लगाया जा रहा है कि 5000 साल बाद मकर संक्रांति फरवरी महीने के अंत में मनाई जाएगी।
– सूर्य के धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करने को ‘मकर संक्रांतिÓ कहा जाता है। साल 2012 में यह 14 जनवरी की मध्यरात्रि में था। इसलिए उदय तिथि के अनुसार मकर संक्रांति 15 जनवरी को पड़ी थी।
– महाराष्ट्र में ऐसा माना जाता है कि मकर संक्रांति से सूर्य की गति तिल-तिल बढ़ती है। इसीलिए इस दिन तिल के विभिन्न मिष्ठान बनाकर एक-दूसरे को वितरित करते हुए शुभ कामनाएं देकर यह त्योहार मनाया जाता है।