ऑपरेशन थियेटर के प्रोटोकॉल की अनदेखी की गई तो ऑपरेशन के बाद महिलाओं को पुरुष सुरक्षाकर्मी अपने कंधे पर ढो कर लाए। बताया गया, महिला नसबंदी कैम्प में सोमवार को डॉ. सुधीर सिंह की टीम द्वारा 40 महिलाओं की नसबंदी की गई। इस दौरान तय गाइडलाइन की जमकर अनदेखी होती रही।
एक अदद स्ट्रेचर की व्यवस्था नहीं स्टरलाइज ऑपरेशन थियेटर में नसबंदी के बाद महिलाओं को बाहर ले जाने के लिए एक अदद स्ट्रेचर की व्यवस्था नहीं थी। लिहाजा, यहां तैनात सुरक्षाकर्मी बिना प्रोटोकॉल के सीधे ओटी में प्रवेश कर महिलाओं को बेहोशी अवस्था में ही लटका कर बाहर ला रहे थे। वे बार-बार बाहर से अंदर बिना ओटी परिधान के ही प्रवेश कर रहे थे। इससे ओटी में इंफेक्शन का भी खतरा बढ़ रहा था।
यह है सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन
बिलासपुर नसंबदीकांड के बाद सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित अनीता झा कमेटी की सिफारिश के आधार पर १५ बिंदु की गाइडलाइन जारी की गई थी। इसके अनुरूप केन्द्र सरकार ने नसंबदी के लिए बकायदा प्रोटोकॉल तय किए थे। उसके अनुसार एक मेडिकल टीम एक दिन में 30 से ज्यादा महिलाओं की नसबंदी नहीं कर सकती है।
अधिकतम 10 नसबंदी की जा सकती है एक औजार से अधिकतम 10 नसबंदी की जा सकती है। इस आधार पर एक चिकित्सक की टीम ने तय संख्या से ज्यादा आपरेशन किए। गाइड लाइन में कहा गया था कि ब्लॉक स्तर पर होने वाले शिविरों के लिए जिला स्वास्थ्य अधिकारी जो परिवार कल्याण शिविर का नोडल ऑफिसर होता है, उन्हें मॉनिटरिंग करनी चाहिए। ऑपरेशन थियेटर की एंटीसेप्टिक और एंटीबैक्टीरियल क्लीनिंग होनी चाहिए।
चिकित्सा दल के अलावा किसी का प्रवेश नहीं पूरा रूम स्टरलाइज होना चाहिए। उसमें चिकित्सा दल के अलावा किसी का प्रवेश नहीं होना चाहिए। ऑपरेशन के बाद 24 घंटे शिविर में महिला को रखना है। जिस महिला का ऑपरेशन हुआ है, 10 दिन में उसका स्वास्थ्य कार्यकर्ता द्वारा तीन बार फॉलोअप लेना है। लेकिन यहां आपरेशन के कुछ ही घंटे बाद महिलाओं की छुट्टी भी कर दी गई।
ओटी में बार-बार प्रवेश प्रतिबंधितचिकित्सकीय मापदंडों के अनुसार स्टरलाइज ओटी में स्वच्छता का सबसे ज्यादा
ध्यान रखा जाता है। प्रोटोकाल के अनुसार ओटी में क्लीन कपड़े (जो ओटी के लिए पृथक होते हैं) पहन कर ही प्रवेश किया जा सकता है। किसी भी बाहरी व्यक्ति को ओटी में प्रवेश की अनुमति नहीं होती। बार-बार प्रवेश तो पूरी तरह से प्रतिबंधित होता है। मामले में सर्जन डॉ. योगेश्वर शुक्ला ने बताया, महिला नसबंदी में सिंगल टांका ही लगता है। इसलिए जिस तरीके से बिना स्ट्रेचर लाना बताया जा रहा है उससे कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ेगा। लेकिन, बिना स्ट्रेचर के लादकर लाना मानवता के खिलाफ है। ओटी में लगातार बाहर से प्रवेश तो पूरी तरह से प्रोटोकॉल के विपरीत है।
सभी सर्जनों को प्रोटोकॉल की जानकारी पहले ही दी गई है। इसके बाद भी ऐसा किया गया तो यह गलत है। सभी को इस मामले में हिदायत दी जाएगी। इसके बाद भी ऐसा मामला आता है तो संबंधित पर कार्रवाई करेंगे।
डॉ. डीएन गौतम, सीएमएचओ