सीएम हाउस के निर्देश पर मेधावी छात्रा साक्षी के घर सरकारी लोग पहुंचे। उन्होंने माना कि मेधावी छात्रा के कम्प्यूटर-स्कै नर का कोई व्यावसायिक उपयोग नहीं हुआ। वहीं साक्षी के पिता ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर स्पष्ट किया है कि वह कम्प्यूटर-स्कै नर तो वापस करंेगे ही साथ ही जबरिया वसूली राशि भी किस्तों में जमा करा देंगे।
फिर बीपीएल कैसे
बिजली कंपनी के अधीक्षण अभियंता ने सफाई में बताया कि घरेलू कनेक्शन से कम्प्यूटर कार्य, फोटोकॉपी का कार्य व्यावसायिक उद्देश्य से किया जाना पाया है। हालांकि स्थानीय लोगों ने बताया, साक्षी कम्प्यूटर का व्यावसायिक उपयोग नहीं करती है। अगर बिजली कंपनी की बात मानें तो व्यावसायिक उपयोग पर परिवार को लाभ होता। ऐसे में वह बीपीएल सीमा से बाहर होना चाहिए। जबकि परिवार की स्थिति किसी से छिपी नहीं है। उसे बीपीएल श्रेणी का प्रधानमंत्री आवास भी स्वीकृ त है, जो निर्माणाधीन है।
बिजली कंपनी के अधीक्षण अभियंता ने सफाई में बताया कि घरेलू कनेक्शन से कम्प्यूटर कार्य, फोटोकॉपी का कार्य व्यावसायिक उद्देश्य से किया जाना पाया है। हालांकि स्थानीय लोगों ने बताया, साक्षी कम्प्यूटर का व्यावसायिक उपयोग नहीं करती है। अगर बिजली कंपनी की बात मानें तो व्यावसायिक उपयोग पर परिवार को लाभ होता। ऐसे में वह बीपीएल सीमा से बाहर होना चाहिए। जबकि परिवार की स्थिति किसी से छिपी नहीं है। उसे बीपीएल श्रेणी का प्रधानमंत्री आवास भी स्वीकृ त है, जो निर्माणाधीन है।
अफसरों को नहीं योजना की जानकारी
अधीक्षण अभियंता ने सफाई दी कि योजना के तहत लैपटॉप नहीं खरीदा। जबकि लैपटॉप वितरण योजना के तहत सरकार मेधावी छात्रों को उनके खाते में 25 हजार रुपए की राशि देती है। इससे विद्यार्थी सुविधा अनुसार कम्प्यूटर उपकरण खरीदता है। इसमें स्कै नर-प्रिंटर शामिल है। अफसरों को यह भी जानकारी नहीं कि स्कै नर से स्कै न मैटर की प्रिंटर द्वारा फोटोकॉपी सामान्य फोटोकापी मशीन से 10 गुना तक ज्यादा होती है। लिहाजा, इसका व्यावसायिक इस्तेमाल संभव नहीं है। वहीं अगर मान लिया जाए कि व्यावसायिक उपयोग था तो किस तरह का और उससे परिवार को कितना लाभ हो रहा, यह नोटिस और उसके बाद स्पष्ट नहीं किया। जबकि परिवार व स्थानीय लोगों का कहना है कि घर में न तो दुकान का बोर्ड है और न ही कोई व्यावसायिक प्रयोजन।
अधीक्षण अभियंता ने सफाई दी कि योजना के तहत लैपटॉप नहीं खरीदा। जबकि लैपटॉप वितरण योजना के तहत सरकार मेधावी छात्रों को उनके खाते में 25 हजार रुपए की राशि देती है। इससे विद्यार्थी सुविधा अनुसार कम्प्यूटर उपकरण खरीदता है। इसमें स्कै नर-प्रिंटर शामिल है। अफसरों को यह भी जानकारी नहीं कि स्कै नर से स्कै न मैटर की प्रिंटर द्वारा फोटोकॉपी सामान्य फोटोकापी मशीन से 10 गुना तक ज्यादा होती है। लिहाजा, इसका व्यावसायिक इस्तेमाल संभव नहीं है। वहीं अगर मान लिया जाए कि व्यावसायिक उपयोग था तो किस तरह का और उससे परिवार को कितना लाभ हो रहा, यह नोटिस और उसके बाद स्पष्ट नहीं किया। जबकि परिवार व स्थानीय लोगों का कहना है कि घर में न तो दुकान का बोर्ड है और न ही कोई व्यावसायिक प्रयोजन।
फिर कौन सही
अगर बिजली कंपनी की सफाई को सही मान लिया जाता है तो फिर नगरीय निकाय द्वारा जारी किया गया बीपीएल प्रमाण पत्र और प्रधानमंत्री आवास का लाभ मिलना गलत है। अगर यह गलत है तो फिर बिरसिंहपुर में प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ अपात्रों को दिया गया। इसकी निगरानी की जिम्मेदारी एसडीएम से लेकर कलेक्टर की थी। ऐसे में जिले में वृहद स्तर पर इस मामले में जांच करने की जरूरत है। हालांकि नगरीय निकाय के अफसर इस बात से साफ इंकार कर रहे हैं कि उनके द्वारा अपात्रों को पीएम आवास का लाभ दिया गया।
अगर बिजली कंपनी की सफाई को सही मान लिया जाता है तो फिर नगरीय निकाय द्वारा जारी किया गया बीपीएल प्रमाण पत्र और प्रधानमंत्री आवास का लाभ मिलना गलत है। अगर यह गलत है तो फिर बिरसिंहपुर में प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ अपात्रों को दिया गया। इसकी निगरानी की जिम्मेदारी एसडीएम से लेकर कलेक्टर की थी। ऐसे में जिले में वृहद स्तर पर इस मामले में जांच करने की जरूरत है। हालांकि नगरीय निकाय के अफसर इस बात से साफ इंकार कर रहे हैं कि उनके द्वारा अपात्रों को पीएम आवास का लाभ दिया गया।
सीएम को लिखा पत्र
बिजली कंपनी जिस तरीके की हरकत इन दिनों परिवार से कर रही है उससे व्यथित होकर अग्रवाल ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है। उसमें उन्होंने कहा कि इससे वह परेशान हो चुका है। मानसिक खिन्नता की स्थिति बन गई है। बेहतर है कि 19 जून को कम्प्यूटर-स्कैनर वापस कर दूंगा और जो जबरिया पेनाल्टी लगाई गई है उसका भी भुगतान कर दूंगा। उधर, इस तरह से मेधावी छात्रा के कम्प्यूटर उपयोग पर पेनाल्टी लगाने के मामले में जिले में सरकार की छीछालेदर भी शुरू हो गई है।
बिजली कंपनी जिस तरीके की हरकत इन दिनों परिवार से कर रही है उससे व्यथित होकर अग्रवाल ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है। उसमें उन्होंने कहा कि इससे वह परेशान हो चुका है। मानसिक खिन्नता की स्थिति बन गई है। बेहतर है कि 19 जून को कम्प्यूटर-स्कैनर वापस कर दूंगा और जो जबरिया पेनाल्टी लगाई गई है उसका भी भुगतान कर दूंगा। उधर, इस तरह से मेधावी छात्रा के कम्प्यूटर उपयोग पर पेनाल्टी लगाने के मामले में जिले में सरकार की छीछालेदर भी शुरू हो गई है।
तो राशि कम क्यों की
अधीक्षण अभियंता ने बताया, जांच पंचनामा के बाद अधिकारी ने कुल 12810 रुपए की पेनाल्टी तय की थी। उसे बाद में घटाकर 6899 रुपए किया। सवाल ये है कि क्या पहले मनमानी तौर पर रिकवरी का बिल दे दिया था? और वह सही था तो राशि कम क्यों की? आरोप है कि विभागीय अधिकारी फायदे के लिए जानबूझ कर ज्यादा राशि भेजते हैं फिर लेनदेन का खेल किया जाता है।
अधीक्षण अभियंता ने बताया, जांच पंचनामा के बाद अधिकारी ने कुल 12810 रुपए की पेनाल्टी तय की थी। उसे बाद में घटाकर 6899 रुपए किया। सवाल ये है कि क्या पहले मनमानी तौर पर रिकवरी का बिल दे दिया था? और वह सही था तो राशि कम क्यों की? आरोप है कि विभागीय अधिकारी फायदे के लिए जानबूझ कर ज्यादा राशि भेजते हैं फिर लेनदेन का खेल किया जाता है।
जरूरी नहीं लैपटॉप
इधर, इस मामले में स्कूल शिक्षा विभाग का कहना है कि लैपटॉप वितरण योजना के तहत राशि दी जाती है। इसमें यह बाध्यता नहीं है कि वह लैपटॉप ही खरीदे। यह एक तरह की प्रोत्साहन राशि है। जिससे विद्यार्थी चाहे तो कोई भी कम्प्यूटर उपकरण खरीदे। इस मामले में एडीपीसी ने बताया कि विद्यार्थी अपनी पसंद का कम्प्यूटर उपकरण भी खरीद सकता है।
इधर, इस मामले में स्कूल शिक्षा विभाग का कहना है कि लैपटॉप वितरण योजना के तहत राशि दी जाती है। इसमें यह बाध्यता नहीं है कि वह लैपटॉप ही खरीदे। यह एक तरह की प्रोत्साहन राशि है। जिससे विद्यार्थी चाहे तो कोई भी कम्प्यूटर उपकरण खरीदे। इस मामले में एडीपीसी ने बताया कि विद्यार्थी अपनी पसंद का कम्प्यूटर उपकरण भी खरीद सकता है।
झूठ बोल कर कराए हस्ताक्षर
मामले में नारायण अग्रवाल ने कहा कि जिस दिन जांच हुई उस दिन बिजली अधिकारी रतेले ने उन्हें यह कहा कि कोई कार्रवाई नहीं होगी। सब माफ कर दिया जाएगा और एक कागज पर हस्ताक्षर करवा दिए। अब झूठ फैला रहे हैं कि मेरे द्वारा व्यावसायिक प्रयोजन लिखा गया था। जबकि मैंने कभी ऐसा लिख कर नहीं दिया।
मामले में नारायण अग्रवाल ने कहा कि जिस दिन जांच हुई उस दिन बिजली अधिकारी रतेले ने उन्हें यह कहा कि कोई कार्रवाई नहीं होगी। सब माफ कर दिया जाएगा और एक कागज पर हस्ताक्षर करवा दिए। अब झूठ फैला रहे हैं कि मेरे द्वारा व्यावसायिक प्रयोजन लिखा गया था। जबकि मैंने कभी ऐसा लिख कर नहीं दिया।