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Iron Eater: 263 सिक्के-कीलें निगलने वाले मरीज ने तोड़ा दम, जानिए आयरन इटर की पूरी कहानी

locationसतनाPublished: Nov 30, 2017 12:16:54 pm

Submitted by:

suresh mishra

24 नवंबर को सात डॉक्टरों की टीम ने किया था ऑपरेशन, सेप्टीसेमिया का संक्रमण शरीर में फैलने से लीवर, गुर्दे हुए फेल

Man Swallowed Hundreds Of Coins died in Rewa

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सतना। लोहे की डेढ़ किलो कीलें, शेविंग ब्लेड सहित 263 सिक्के निगलने वाले 28 वर्षीय मो. मकसूद अहमद ने इलाज के दौरान बुधवार को दम तोड़ दिया। उसकी मौत होते ही इलाज में जुटे डॉक्टरों के चेहरों पर मायूसी छा गई। आखिरी सांस के साथ उसे जिंदा रखने के सारे प्रयासों पर पानी फिर गया। श्यामशाह मेडिकल कॉलेज के संजय गांधी अस्पताल में 24 नवंबर को ऑपरेशन के बाद यह मरीज सुर्खियों में आया था।
ऑपरेशन करने वाले सर्जरी विभाग के डॉ. प्रियंक शर्मा बताया कि मरीज ऑपरेशन के बाद से ही नाजुक स्थिति में था। उसके शरीर में सेप्टीसेमिया का संक्रमण गंभीर अवस्था में फैल गया था। उसे दवाओं के जरिए ठीक करने के प्रयास किए गए। बाहर के कई बड़े चिकित्सकों से भी उपचार के लिए सलाह ली गई।
वेंटीलेटर में रखकर आईसीयू में उपचार

ऑपरेशन के बाद तीन दिन तक उसे वेंटीलेटर में रखकर आईसीयू में उपचार दिया गया था। सोमवार को वह पूरी तरह होश में आया था। उसने पाइप खींच दी थी जिसके चलते वेंटीलेटर से हटाकर मानसिक रोग विशेषज्ञ को चेक कराया गया था। मंगलवार को फिर उसे वेंटीलेटर पर ले जाया गया लेकिन सेप्टीसेमिया का जहर शरीर के अंगों में फैलने से गुर्दे, लीवर ने कार्य करना बंद कर दिया था। जिसके चलते बुधवार दोपहर 2 बजे उसकी मौत हो गई।
परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल

मरीज की मौत से परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। वह समझ ही नहीं पा रहे है कि कल तक जो उन्हें ऑटो चलाकर दो जून की रोटी खिलाता था वह इस तरह उन्हें छोड़ कर दुनिया से विदा हो जाएगा।
पेट से निकले थे सिक्के और चैन
मरीज के पेट से 26 3 सिक्के, लोहे की छोटी-बड़ी करीब डेढ़ किलो कीलें, शेविंग ब्लेड, चाभी, कुत्ता बांधने वाली लोहे की चैन, बोरा सिलने वाला सूजा, कांच के टुकड़े सहित लगभग पांच किलो लोहे की सामग्री मिली है। जिसे देखकर डॉक्टरों की टीम हैरान रह गई थी।
अब मल्टी आर्गन फेल्योर को रोकने पर करेंगे शोध
यह केस मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों के लिए शोध का विषय बन चुका है। परिजनों से उसकी हिस्ट्री पता की गई है। उसकी मौत के बाद डॉ. प्रियंक शर्मा ने कहा कि अब इस तरह के केस को मल्टी आर्गन फेल्योर से कैसे बचाया जा सकता है, इस विषय पर शोध करेंगे।
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