थोड़ी सी बारिश में नाले का गंदा नदी में मिलने से सीवर मुक्त मंदाकिनी प्रोजेक्ट की पोल खोल दी है। मंदाकिनी नदी को स्वच्छ बनाने आठ साल पहले नदी के किराने १५ करोड़ का प्राजेक्ट शुरू किया गया था। इसके तहत मंदाकिनी में मिलने वाले सभी नाले और नालियों को अलग कर ट्रीटमेंट प्लांट में पानी को ट्रीट करने की योजना थी। कागज में यह प्रोजेक्ट पूरा भी हो गया है। प्रशासन के अधिकारी कई बार यह दावा कर चुके हैं कि मंदाकिनी में सीवर का पानी नहीं मिलता सभी नाले टैप किए जा चुके हैं, लेकिन बुधवार को नाले में आई बाढ़ में मैली हुई मां मंदाकिनी ने प्रशासन के दावों की पोल खोल दी।
संतों में भड़का आक्रोश
संतों में भड़का आक्रोश
प्रशासन की उदासीनता के कारण नाले में तब्दील मां मंदाकिनी की हालत देख चित्रकूट के संत समाज में आक्रोश है। संतों का कहना है कि जिस धार्मिक नदी में दुनियाभर के लोग आकर आस्था की डुबकी लगाते हैं उसकी यह हालत चिंता जनक हैं। महंत दिव्यजीवन दास, महंत सत्य प्रकाश दास, बूढ़े हनुमान मंदिर के पुजारी रामजीदास, मत्तगयेन्द्रनाथ मंदिर के पुजारी विपिन बिहारी सहित स्थानीय लोगों ने मंदाकिनी में मिलने वाले नाले को टैप करने की मांग की है।
सफाई में जुटी परिषद की टीम
सफाई में जुटी परिषद की टीम
नाले की गंदगी नदी में मिलने की सूचना मिलनते हुए नगर परिषद सक्रिय हो गई। सीएमओ रमाकांत शुक्ल ने तुरंत सफाई कर्मचारियों की टीम बनाकर नदी में उतारा जो स्थानीय लोगों के साथ मिलकर दिनभर नदी की सफाई में जुटे रहे।