script

साफ्टवेयर की खामियों में फंसी नक्शा स्वीकृति

locationसतनाPublished: May 25, 2020 06:54:57 pm

Submitted by:

Pushpendra pandey

जनता परेशान: शाखा और कन्सल्टेंट के बीच लटके मामले

साफ्टवेयर की खामियों में फंसी नक्शा स्वीकृति

साफ्टवेयर की खामियों में फंसी नक्शा स्वीकृति

सतना. नगर निगम में काफी समय से नक्शे पास नहीं हो रहे हैं। इसको लेकर लोग परेशान हंै। राज्य शासन ने नगरीय निकायों के नक्शे पास करने के लिए जो यूनीफाइट साफ्टवेयर एबीपीएस-२ बनाया है उसमें कुछ खामियां हैं। दूसरी जो व्यवस्था साफ्टवेयर में दी गई है उसका पूर्ण ज्ञान संबंधित अधिकारियों को नहीं है तो उधर कुछ कमियां कन्सल्टेंट में भी हंै। उन्हें भी प्रक्रिया की जानकारी नहीं है। इसका खामियाजा उन लोगों को उठाना पड़ रहा है जो अपने भवन निर्मित करना चाह रहे हैं।
दरअसल, ऑटोमैटिक बिल्डिंग प्लान अप्रूवल सिस्टम -२ को शुरू करने के साथ दावा किया गया था कि इसमें भवन निर्माण योजना परीक्षण प्रक्रिया को स्वचालित कर सरलीकृत किया गया है। यह सभी हितधारकों के लिए समय और लागत कम कर देता है, लेकिन हालात यह हैं कि जबसे यह प्रारंभ हुआ है तब से नक्शों की स्वीकृत होने की संख्या नाम मात्र की रह गई है।
राजस्व की हानि भी
संबंधित शाखा में सामंजस्य का अभाव और प्रक्रियागत खामियों के चलते नक्शे पास नहीं होने से निगम के खजाने में भी पैसे नहीं आ रहे हैं। इंजीनियरों की इस साफ्टवेयर को लेकर नासमझी, दूसरा साफ्टवेयर की अपनी खामियां और कन्सल्टेंट में जानकारी का अभाव तो मुख्य वजह है लेकिन अधिकारी भी बड़े जिम्मेदार हैं। जितने भी नक्शे अटक रहे हैं, वे या तो इइ नागेन्द्र सिंह के पास अटकते हैं या फिर एसई एसके सिंह के पास। हद तो यह है कि दोनों अधिकारियों के अपने-अपने नियम कायदे हैं जो अकसर एक-दूसरे से अलग दिशा में जाते हैं। ज्यादातर आवेदन तकनीकी प्रक्रिया में उलझे पड़े हैं।

कन्सल्टेंट भी करते हैं खेल
साफ्टवेयर में एक खामी है कि वे बिना पूरे दस्तावेजों के भी प्रकरण स्वीकार कर लेता है और स्वीकृति की डेट डाल देता है। लिहाजा कई बार आर्कीटेक्ट पार्टी को दिखाने के लिए यह चालबाजी करते हैं। बाद में जब शाखा संबंधित नक्शे मांगती है तो इसमें समय लगता है।
कमियां साफ्टवेयर में
कन्सल्टेंट का कहना है कि कुछ कमियां साफ्टवेयर में भी हैं। इसे म.प्र. भूमि विकास अधिनियम २०१२ के तहत तैयार किया गया है लेकिन अधिनियम ० से ७५ वर्ग मीटर के प्लाट के लिए पार्किंग अनिवार्य नहीं करता लेकिन इस साफ्टवेयर में अनिवार्य है। इसी तरह से बिल्डिंग इंस्पेक्टर के फोटो खींचने के बाद साफ्टवेयर खुद फीस जनरेट कर देता है, जिसे यहां के अधिकारी नहीं मानते हैं।
यह कमियां सामने आईं
साफ्टवेयर बिना पूरे दस्तावेज लिए ही प्रकरण स्वीकृत कर लेता है

आर्कीटेक्ट कई बार पूरे दस्तावेज जमा नहीं करते हैं जिससे विलंब हो रहा

सॉफ्टवेयर में नक्शा वाले कॉलम में जानकारी भरने के बाद उसकी स्क्रूटनी में समय लग रहा है।
नक्शा वाले फार्मेट में कुछ बिंदु आर्किटेट, इंजीनियर भी नहीं समझ पा रहे हैं

एक ही अधिकारी के पास तीन से चार बार पहुंच रही फाइल

ले आउट इन्फार्मेशन भी फंसती है पेंच
आर्कीटेक्ट की तरह से बहुत से प्रकरण ऐसे प्राप्त होते हैं जिनमें दस्तावेज पूरे नहीं होते हैं। उनकी बिना पूर्ति के बिल्डिंग परमिशन नहीं दी जा सकती है। ये भी संज्ञान में आया है कि कुछ प्रकरणों में क्लियर रिकमंडेशन बिल्डिंग ऑफिसर द्वारा न किए जाने के कारण या समय पर इंस्पेक्शन न किये जाने के कारण कुछ सही केस में भी विलंब हुआ है। इसके चलते संबंधित शाखा में वेतन पूरी तरह से रोक कर रखा है। जब तक प्रगति नहीं आती तब तक यह स्थिति रही आएगी। साफ्टवेयर में भी कुछ कमियां हंै, इस संबंध में शासन को पत्र लिखा गया है। प्रयास होगा कि समन्वय करके यथाशीघ्र साफ्टवेयर की खामी दुरुस्त की जाए। अमनवीर सिंह, निगमायुक्त

ट्रेंडिंग वीडियो