अब हालात यह हैं कि अभी भी जिले के 95 गांव नक्शाविहीन हैं। मामले को लेकर चर्चा है कि जिले में बड़ा खेल किया गया है। जानबूझकर गांवों को नक्शा विहीन रखा गया है ताकि वहां के फैसले एसएलआर स्तर पर किए जा सकें।
ये है मामला
जानकारी के अनुसार नक्शा विहीन गांवों के नक्शे बनाने का काम एसएलआर भू-प्रबंधन का है। यह जिम्मेदारी वर्षों से सतना में एसएलआर गोविंद सोनी निभाते आ रहे हैं। हालांकि उनके पास इस वक्त एसएलआर का पूरा प्रभार भी है। लेकिन इनके जिस तरह के मामले सामने आए हैं उससे स्पष्ट है कि उन्होंने नक्शा विहीन गांवों के नक्शे के लिये गंभीरता नहीं बरती बल्कि उन गांवों के नक्शे बनाने में ज्यादा रुचि दिखाई जिसके नक्शे हैं। ऐसा ही एक मामला तत्कालीन कलेक्टर द्वारा पकड़ा भी जा चुका था। रामपुर बाघेलान के बरती गांव का नक्शा होने के बाद भी उन्होंने उसे नक्शा विहीन घोषित करते हुए उसका नक्शा बनवाया।
जानकारी के अनुसार नक्शा विहीन गांवों के नक्शे बनाने का काम एसएलआर भू-प्रबंधन का है। यह जिम्मेदारी वर्षों से सतना में एसएलआर गोविंद सोनी निभाते आ रहे हैं। हालांकि उनके पास इस वक्त एसएलआर का पूरा प्रभार भी है। लेकिन इनके जिस तरह के मामले सामने आए हैं उससे स्पष्ट है कि उन्होंने नक्शा विहीन गांवों के नक्शे के लिये गंभीरता नहीं बरती बल्कि उन गांवों के नक्शे बनाने में ज्यादा रुचि दिखाई जिसके नक्शे हैं। ऐसा ही एक मामला तत्कालीन कलेक्टर द्वारा पकड़ा भी जा चुका था। रामपुर बाघेलान के बरती गांव का नक्शा होने के बाद भी उन्होंने उसे नक्शा विहीन घोषित करते हुए उसका नक्शा बनवाया।
यह तो वजह नहीं
अधीक्षक भू-अभिलेख को उन ग्रामों के राजस्व प्रकरणों को संज्ञान में लेकर कार्रवाई की प्राधिकारिता है जो ग्राम नक्शा विहीन श्रेणी में आते हैं। कलेक्टर सहित अन्य अधिकारियों द्वारा पाया गया कि इस तरह के मामलों में एसएलआर सोनी द्वारा व्यापक पैमाने पर अनियमितता की गई है। अब आरोप है कि यही वजह है कि जिले के नक्शा विहीन गांवों को नक्शा बनाने में रुचि नहीं ली गई ताकि इस प्राधिकारिता का लाभ मिलता रहे। जिले के 2125 गांवों में से 95 गांवों के नक्शा विहीन होने की वजह जो बताई जा रही है उसके अनुसार 100 वर्ष पुराने बंदोबस्त के कारण नक्शे जीर्ण शीर्ण एवं अनुपयोगी हो चुके हैं।
अधीक्षक भू-अभिलेख को उन ग्रामों के राजस्व प्रकरणों को संज्ञान में लेकर कार्रवाई की प्राधिकारिता है जो ग्राम नक्शा विहीन श्रेणी में आते हैं। कलेक्टर सहित अन्य अधिकारियों द्वारा पाया गया कि इस तरह के मामलों में एसएलआर सोनी द्वारा व्यापक पैमाने पर अनियमितता की गई है। अब आरोप है कि यही वजह है कि जिले के नक्शा विहीन गांवों को नक्शा बनाने में रुचि नहीं ली गई ताकि इस प्राधिकारिता का लाभ मिलता रहे। जिले के 2125 गांवों में से 95 गांवों के नक्शा विहीन होने की वजह जो बताई जा रही है उसके अनुसार 100 वर्ष पुराने बंदोबस्त के कारण नक्शे जीर्ण शीर्ण एवं अनुपयोगी हो चुके हैं।
तबादले के बाद भी रोके गए
पूरे प्रदेश में नक्शा विहीन गांवों के मामले में भद्द पिटवाने के बाद भी इनका तबादला होने पर कलेक्टर ने इन्हें रोक रखा है। जबकि एसएलआर पर चुनाव परिणाम बदलने, सरकारी जमीन को निजी स्वामित्व में करने, बिना अधिकार राजस्व प्रकरणों में सुनवाई जैसे गंभीर मामले सामने आ चुके हैं। हालांकि अब कलेक्टर ने कहा है कि 5 सितंबर तक एसएलआर को रिलीव कर दिया जाएगा।
पूरे प्रदेश में नक्शा विहीन गांवों के मामले में भद्द पिटवाने के बाद भी इनका तबादला होने पर कलेक्टर ने इन्हें रोक रखा है। जबकि एसएलआर पर चुनाव परिणाम बदलने, सरकारी जमीन को निजी स्वामित्व में करने, बिना अधिकार राजस्व प्रकरणों में सुनवाई जैसे गंभीर मामले सामने आ चुके हैं। हालांकि अब कलेक्टर ने कहा है कि 5 सितंबर तक एसएलआर को रिलीव कर दिया जाएगा।
तो पहले क्या करते रहे
सवाल यह खड़ा किया जा रहा है कि जब नक्शे ठीक थे और खराब होने शुरू हुए थे अधीक्षक भू-अभिलेख द्वारा इस दिशा में ठोस प्रयास क्यों नहीं किए गए और सही नक्शों की ट्रेसिंग आदि क्यों नहीं की गई।
सवाल यह खड़ा किया जा रहा है कि जब नक्शे ठीक थे और खराब होने शुरू हुए थे अधीक्षक भू-अभिलेख द्वारा इस दिशा में ठोस प्रयास क्यों नहीं किए गए और सही नक्शों की ट्रेसिंग आदि क्यों नहीं की गई।