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नक्शा विहीन गांवों की समस्या बरकरार, डाटा अपडेशन भी फेल, बिगड़ा भू-प्रबंधन

locationसतनाPublished: Jun 18, 2019 12:16:00 am

Submitted by:

Ramashankar Sharma

जिम्मेदारों की अनदेखी से लोग परेशान, लगातार बन रही जमीन विवाद की स्थिति

Mapless villages become problem, khasra updation also fail

Mapless villages become problem, khasra updation also fail

सतना. प्रदेश में सर्वाधिक नक्शाविहीन गांवों में शामिल रहे जिले में अब भू-स्वामियों की जानकारी भी सही अपडेट नहीं होने के मामले सामने आए हैं। हालात यह है कि जिले में तीन-तीन माह तक डाटा अपडेट नहीं किया जाता तो खातेदारों की जानकारी खसरा खतौनी में अपडेट नहीं हो पा रही। इस वजह से आए दिन जमीन विवाद की स्थितियां बन रही हैं। अब बारिश का मौसम आने से यह स्थितियां और बिगडऩे वाली है।
भू-अभिलेख से जुड़े अधिकारियों द्वारा भले ही सीएलआर या शासन को नक्शाविहीन गांवों की संख्या कम निल बताई जा रही है पर हकीकत इसके विपरीत है। तहसील स्तर से मिली जानकारी को सही माना जाए तो जिले में 81 के लगभग गांव पूरी तरह से नक्शाविहीन हैं । जबकि जिले से सीएलआर को नक्शाविहीन गांवों की संख्या शून्य भेजी जा रही है। दरअसल यह मामला तत्कालीन कलेक्टर नरेश पाल के समय से चला आ रहा है। उस वक्त शासन स्तर से बताया गया था कि जिले में प्रदेश में सबसे ज्यादा 368 गांव नक्शाविहीन हैं। इस पर कलेक्टर पाल ने अभियान चलवाया था। हालांकि उस वक्त बने दबाव की वजह से एलएलआर ने 280 नक्शे मिलने की जानकारी दे दी। लेकिन जानकारों का कहना है कि इन नक्शों का अभी तक परीक्षण और सत्यापन विहित तरीके से नहीं किया गया है।
पटवारियों को फोटोकॉपी नक्शा

यह तथ्य भी सामने आया कि काफी संख्या में पटवारियों के पास नक्शे की फोटोकॉपी है। जो किसानों को दी जाती है। जिस पर नकल और सीमांकन का आवेदन तो लगा दिया जाता है लेकिन जब सीमांकन की स्थिति आती है तो पता चलता है कि नक्शा ही नहीं है। ऐसे में आवेदन निरस्त हो जाता है और लोग परेशान घूमते रहते हैं। नए बनाए गए ज्यादातर नक्शों की स्थिति यह है कि उनमें केवल गिरदावरी योग्य की टीप लगी है। सीमांकन के लिए ये नक्शे उपयुक्त ही नहीं है।
ऑनलाइन डेटा भी गड़बड़
यह जानकारी भी सामने आ रही कि भू-अभिलेख संबंधी वेबसाइट में भी डाटा समय पर अपडेट नहीं हो रहा है। कुछ तहसीलों में स्थिति यह है कि खातेदारों के नाम, जमीन का प्रकार, फसल की जानकारी खसरा और खतौनी में नहीं दिख रही है। जिले में तीन-तीन माह तक वेबसाइट का डाटा अपडेट नहीं किया जाता है। इससे वेबसाइट और वास्तविकता में जमीन की स्थिति में अंतर बना रहता है जो विवाद का कारण बनता है। यहां की कुछ तहसीलों में तीन माह से अधिक समय से पुराना है।
650 नक्शे सीमांकन योग्य नहीं

जानकारों का कहना है कि जिले के कुल 2125 गांव में 650 गांवों के नक्शे सीमांकन योग्य नहीं हैं। भले ही विभाग 280 गायब नक्शों को मिलना बता रहा है पर इन गांवों के एक-एक नक्शे की सभी शीट और सही आराजीवार नक्शे सत्यापित हो जाएं तो पूरी हकीकत सामने आ जाएगी।
भू-अभिलेख कार्यालय में कुर्सी तोड़ रहे आरआइ
जिले की कोठी तहसील का रैगांव, रामपुर बाघेलान तहसील का सज्जनपुर, मैहर का अमदरा, नागौद का शिवराजपुर, और रहिकवारा कुल मिलाकर 5 सर्किल लंबे समय से खाली छोड़ रखी गई है। दूसरी ओर जिला भू-अभलेख कार्यालय में हरिचरण, महेन्द्र, राजेन्द्र, राजीव, कमलेश सहित कुल 7 आरआई बैठा रखे गए हैं।
मंथली मीटिंग और 500 रुपए

विश्वसनीय सूत्रों से पता चला कि भू-अभिलेख कार्यालय में राजस्व निरीक्षकों की होने वाली बैठक में आरआइ से 500 रुपए बंधा हुआ है। आरोप है कि मंथली मीटिंग जब ४ को की जाती है इस दौरान 40 नियमित आरआई से यह राशि वसूली जाती है। जो विरोध करता है उसे तमाम तरह से परेशान किया जाता है।
बिना काम के मुक्त किए आरआइ
जिले में सर्वाधिक नक्शाविहीन गांव होने पर सीएलआर ने उमरिया और कटनी से 10 आरआइ सतना भेजा था। लेकिन जिम्मेदार इनसे भी काम नहीं करवा सके। जिले में मुफ्ट की रोटियां तोड़ते बैठे आरआइ को तमाम शिकायतों के बाद मार्च माह में रिलीव कर दिया गया। हालांकि कलेक्टर सतेन्द्र सिंह ने इस मामले में जांच कराने की बात कही है।

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