यात्री नहीं, अपनी सुरक्षा करते रेलवे सुरक्षाकर्मी
मानिकपुर-सतना पैसेंजर में सवार सुरक्षाकर्मी यात्रियों के की बजाय अपनी सुरक्षा को प्राथमिकता देते हैं। मानिकपुर से निकलेते ही वे कोच की सभी खिड़कियां व दरबाजे बंद कराकर खुद को सुरक्षित कर लेते हैं, लेकिन बाकी कोचों पर सवार यात्रियों की सुरक्षा भगवान भरोसे छोड़ देते हैं। मझगवां स्टेशन निकलने के बाद ही कोच की खिड़की खोलने की अनुमति मिलती है। मारकुंडी स्टेशन से सवार होने वाली लकड़ी तस्कर महिलाओं के सुरक्षा का ध्यान देते हुए अपने डिब्बे में बैठा लिया जाता है, क्योंकि उनसे कमीशन मिलता है।
मानिकपुर-सतना पैसेंजर में सवार सुरक्षाकर्मी यात्रियों के की बजाय अपनी सुरक्षा को प्राथमिकता देते हैं। मानिकपुर से निकलेते ही वे कोच की सभी खिड़कियां व दरबाजे बंद कराकर खुद को सुरक्षित कर लेते हैं, लेकिन बाकी कोचों पर सवार यात्रियों की सुरक्षा भगवान भरोसे छोड़ देते हैं। मझगवां स्टेशन निकलने के बाद ही कोच की खिड़की खोलने की अनुमति मिलती है। मारकुंडी स्टेशन से सवार होने वाली लकड़ी तस्कर महिलाओं के सुरक्षा का ध्यान देते हुए अपने डिब्बे में बैठा लिया जाता है, क्योंकि उनसे कमीशन मिलता है।
डकैतों का भय
शाम ढलते ही प्लटेफार्म सहित समूचे स्टेशन परिसर में अंधेरा छा जाता है। जिस कारण यात्रियों में भय का माहौल रहता है। स्टेशन परिसर पर रोशनी की व्यवस्था न होने से असमाजिक तत्व भी सक्रिय हो जाते हैं। मारकुंडी, टिकरिया, बारामाफी आदि रेलवे स्टेशन दस्यु प्रभावित हैं। लिहाज, यहां डकैतों का भी भय बना रहता है। बावजूद इसके यहां पर्याप्त रोशनी नहीं है।
शाम ढलते ही प्लटेफार्म सहित समूचे स्टेशन परिसर में अंधेरा छा जाता है। जिस कारण यात्रियों में भय का माहौल रहता है। स्टेशन परिसर पर रोशनी की व्यवस्था न होने से असमाजिक तत्व भी सक्रिय हो जाते हैं। मारकुंडी, टिकरिया, बारामाफी आदि रेलवे स्टेशन दस्यु प्रभावित हैं। लिहाज, यहां डकैतों का भी भय बना रहता है। बावजूद इसके यहां पर्याप्त रोशनी नहीं है।
सुरक्षा दस्ता हटा
मारकुंडी, टिकरिया, बारामाफी स्टेशन व अतिसंवेदनशील पुष्करिणी रेलवे गेट, बम्भिया रेलवे गेट में आरपीएसएफ के जवानों की तैनाती की गई थी, लेकिन बीते छह माह से सुरक्षा दस्ता गायब है। टिकरिया गेट नंबर 400/2 में तैनात गेटमैन का डकैतों ने अपहरण कर लिया था। सुरक्षा के लिहाजा से सुरक्षा बलों की तैनाती की गई थी, जो आज गायब है और यहां की सुरक्षा ब्यवस्था भगवान भरोसे है।
मारकुंडी, टिकरिया, बारामाफी स्टेशन व अतिसंवेदनशील पुष्करिणी रेलवे गेट, बम्भिया रेलवे गेट में आरपीएसएफ के जवानों की तैनाती की गई थी, लेकिन बीते छह माह से सुरक्षा दस्ता गायब है। टिकरिया गेट नंबर 400/2 में तैनात गेटमैन का डकैतों ने अपहरण कर लिया था। सुरक्षा के लिहाजा से सुरक्षा बलों की तैनाती की गई थी, जो आज गायब है और यहां की सुरक्षा ब्यवस्था भगवान भरोसे है।
प्लेटफार्म उखड़ा पड़ा
मारकुंडी स्टेशन के प्लेटफार्म-2 में चार माह से निर्माण कार्य जारी है। पूरे प्लेटफार्म पर बिखरे पड़े पत्थर इत्यादि मटेरियल पड़ा है, जो रात के अंधेरे में घातक साबित हो सकता है। ठेेकेदार ने इसे जगह-जगह खुदवा दिया है, यात्री गड्ढों में गिरकर घायल हो जाते हैं।
मारकुंडी स्टेशन के प्लेटफार्म-2 में चार माह से निर्माण कार्य जारी है। पूरे प्लेटफार्म पर बिखरे पड़े पत्थर इत्यादि मटेरियल पड़ा है, जो रात के अंधेरे में घातक साबित हो सकता है। ठेेकेदार ने इसे जगह-जगह खुदवा दिया है, यात्री गड्ढों में गिरकर घायल हो जाते हैं।
काफी दिन से मांग
मारकुंडी स्टेशन में सारनाथ और महाकौशल एक्सप्रेस के ठहराव की लंबे समय से मांग की जा रही है। लेकिन जनप्रतिनिधियों ने गंभीरता से प्रयास नहीं कर रहे। दर्जनों गांवों के लोग दिल्ली, मुंबई व रायपुर की यात्रा करने के लिए मानिकपुर और सतना से ट्रेन पकडऩे को मजबूर हैं। यदि इन ट्रेनों का ठहराव यहां होने लगे तो काफी राहत मिलेगी। राजस्व आय भी बढ़ेगी।
मारकुंडी स्टेशन में सारनाथ और महाकौशल एक्सप्रेस के ठहराव की लंबे समय से मांग की जा रही है। लेकिन जनप्रतिनिधियों ने गंभीरता से प्रयास नहीं कर रहे। दर्जनों गांवों के लोग दिल्ली, मुंबई व रायपुर की यात्रा करने के लिए मानिकपुर और सतना से ट्रेन पकडऩे को मजबूर हैं। यदि इन ट्रेनों का ठहराव यहां होने लगे तो काफी राहत मिलेगी। राजस्व आय भी बढ़ेगी।