मंदिर में गैवीनाथ भगवान के स्नान के लिए अलसुबह 4 बजे से ही भक्तों की लाइनें लग जाती है। बारी-बारी से सभी भक्त भोलेनाथ का अभिषेक करते है। इसके बाद हवन-पूजन किया जाता है। दूर-दराज से आने वाले भक्त भगवान भोलेनाथ की कथा सुनते है। कई लोग बच्चों का मुंडन संस्कार के साथ भंडारा-प्रसाद बांटते है।
June 2018 satna” src=”https://new-img.patrika.com/upload/2018/06/12/0_2944733-m.jpg”>Patrika IMAGE CREDIT: Patrika क्या है मासिक शिवरात्रि
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार महाशिवरात्रि की मध्य रात्रि को ही भगवान शिव -लिंगरूप में प्रकट हुए थे। माना जाता है कि इसी समय ब्रह्मा और विष्णु के द्वारा पहली बार शिवलिंग का पूजन किया गया था। परंतु एक वर्ष में एक महाशिवरात्रि और 11 शिवरात्रियां पड़ती हैं, जिन्हें मासिक शिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी पर शिवरात्रि मनाई जाती है, जिसे मासिक शिवरात्रि कहा जाता है। मान्यता है कि मासिक शिवरात्रि का व्रत करने से भगवान शंकर प्रसन्न होते हैं और शास्त्रों के अनुसार देवी लक्ष्मी, सरस्वती, इंद्राणी, गायत्री, सावित्री, पार्वती और रति ने शिवरात्रि का व्रत किया था और शिव कृपा से अनंत फल प्राप्त किए थे।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार महाशिवरात्रि की मध्य रात्रि को ही भगवान शिव -लिंगरूप में प्रकट हुए थे। माना जाता है कि इसी समय ब्रह्मा और विष्णु के द्वारा पहली बार शिवलिंग का पूजन किया गया था। परंतु एक वर्ष में एक महाशिवरात्रि और 11 शिवरात्रियां पड़ती हैं, जिन्हें मासिक शिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी पर शिवरात्रि मनाई जाती है, जिसे मासिक शिवरात्रि कहा जाता है। मान्यता है कि मासिक शिवरात्रि का व्रत करने से भगवान शंकर प्रसन्न होते हैं और शास्त्रों के अनुसार देवी लक्ष्मी, सरस्वती, इंद्राणी, गायत्री, सावित्री, पार्वती और रति ने शिवरात्रि का व्रत किया था और शिव कृपा से अनंत फल प्राप्त किए थे।
चारोधाम का चढ़ता है जल
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यहां चारोधाम से लौटने वाले भक्त भगवान भोलनाथ के दर गैवीनाथ पहुंचकर चारोधाम का जल चढ़ाते है। पूर्वज बतातें है कि जितना चारोधाम में भगवान का दर्शन करने से पुण्य मिलता है। उससे कहीं ज्यादा गवौनाथ में जल चढ़ाने से मिलता है। लोग कहते है कि चारोधाम का अगर जल यहां नहीं चढ़ा तो चारोधाम की यात्रा अधूरी मानी जाती है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यहां चारोधाम से लौटने वाले भक्त भगवान भोलनाथ के दर गैवीनाथ पहुंचकर चारोधाम का जल चढ़ाते है। पूर्वज बतातें है कि जितना चारोधाम में भगवान का दर्शन करने से पुण्य मिलता है। उससे कहीं ज्यादा गवौनाथ में जल चढ़ाने से मिलता है। लोग कहते है कि चारोधाम का अगर जल यहां नहीं चढ़ा तो चारोधाम की यात्रा अधूरी मानी जाती है।
विंध्य क्षेत्र में प्रचलित
मंदिर के पुजारी की मानें तो महाशिवरात्रि के दिन विंध्यभर से भक्त पहुंचते है। इस तरह मलमास के माह में गैवीनाथ की पूजा का अपना एक महत्व है ही। वैसे तो हर सोमवार को हजारों भक्त पहुंचकर गैवीनाथ की पूजाकर मन्नत मांगते है। गैवीनाथ का प्रताप है कि यहां पर आने वाले हर एक भक्त की मनोकामना पूर्ण होती होती है।
मंदिर के पुजारी की मानें तो महाशिवरात्रि के दिन विंध्यभर से भक्त पहुंचते है। इस तरह मलमास के माह में गैवीनाथ की पूजा का अपना एक महत्व है ही। वैसे तो हर सोमवार को हजारों भक्त पहुंचकर गैवीनाथ की पूजाकर मन्नत मांगते है। गैवीनाथ का प्रताप है कि यहां पर आने वाले हर एक भक्त की मनोकामना पूर्ण होती होती है।