घटना के संबंध में बताया जा रहा है कि कोठी अस्पताल से करीब एक किमी दूर रहने वाले एक गरीब सफाईकर्मी की पत्नी प्रसव पीड़ा से कराहने लगी तो वह दौड़ कर कोठी अस्पताल पहुंचा क्योंकि उसके पास मोबाइल फोन नहीं था। अस्पताल में मौजूद डॉक्टर व 108 सरकारी एंबुलेंस के ड्राइवर से पत्नी को अस्पताल लाने की गुहार लगाई। आरोप है कि किसी ने उसकी गुहार नहीं सुनी। ऐसे में वह निराश होकर घर लौटा और कुछ पलों बाद प्रसव पीड़ा से कराह रही पत्नी ने घर में ही नवजात बच्ची को जन्म दिया। दोनों की हालत खराब देखकर पति अपने कचरा ढोने वाले ठेले में डालकर उन्हें कोठी अस्पताल ले गया। वहां डॉक्टरों ने जांच के बाद नवजात बच्ची को मृत घोषित कर दिया। पत्नी को इलाज के लिए भर्ती कर लिया।
मामला तूल पकड़ने लगा तो आनन-फानन में जिले का स्वास्थ्य महकमा अस्पताल पहुंचा। जिला स्वास्थ्य अधिकारी भी कोठी अस्पताल पहुंचे और पीड़िता का बयान दर्ज किया गया। इस मामले में जांच भी शुरू कर दी गई है। मौके पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अशोक अवधिया भी पहुंचे और जांच की।
“बच्चे की घर में ही मृत्यु हो चुकी थी। मां जब अस्पताल में आई तो उसे तुरंत चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई गई। परिजनों का बयान दर्ज कर लिया गया है कि उन्होंने 108 एंबुलेंस को फोन नहीं किया क्योंकि उनके पास फोन नहीं था। इस मामले में रिपोर्ट बनाकर कलेक्टर को भेज दी गई है। जिस गाड़ी में प्रसूता को लाया गया वह सामान ढोने वाली गाड़ी थी वह कचरे की गाड़ी नहीं थी। किसी ने अफवाह उड़ा दी थी।”-अशोक अवधिया, सीएमएचओ