दूसरे चरण की योजना में जिन राज्यों को मेडिकल कालेज स्वीकृत किये गये हैं उनमें मध्यप्रदेश सहित बिहार, झारखण्ड, उड़ीसा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और सिक्किम शामिल है। इन राज्यों को मेडिकल कॉलेज देने के लिए राज्यवार 8 ब्लॉक तय किये गये हैं। मध्यप्रदेश को ब्लाक 1 में रखते हुए तीन स्थानों का चयन किया गया है। इनमें सतना, दमोह और खजुराहो को शामिल किया गया है।
मध्यप्रदेश में जो तीन जिले तय किये गये हैं उसमें सतना इकलौता है जिसके पास मेडिकल कालेज के लिये पहले से पर्याप्त आरक्षित जमीन उपलब्ध है। दूसरा सतना इकलौता है जिसका पहले से प्रस्ताव मेडिकल कालेज का राज्य सरकार के पास लंबित है और केन्द्र इस पर सहमत है कि राज्य सरकार यदि प्रस्ताव भेजती है तो इस पर सकारात्मक विचार किया जाएगा।
आबादी के मान से देखा जाए तो सतना की आबादी खजुराहो और दमोह की तुलना में ज्यादा है। इससे भी बड़ी बात यह है कि भौगोलिक संरचना के मान से वर्तमान में भी पन्ना जिले की ज्यादातर आबादी इलाज के लिये सतना का रुख करती है। इसके अलावा सतना में रेलवे और हवाई सेवा की भी उपलब्धता है। दमोह की बात करें तो उसकी कई तहसीलें अभी भी सागर से जुड़ाव रखती है और उनके पास मेडिकल कालेज के लिये जमीन भी नहीं है।
खजुराहो की आबादी और भौगोलिक स्थिति मेडिकल कालेज के मामले में सतना से बेहतर नहीं है। अब सबसे बड़ी बात आती है राजनीतिक दबाव और पहल की तो इसे अब सतना के जनप्रतिनिधियों को साबित करना होगा। कुलमिलाकर जहां के जनप्रतिनिधि ज्यादा दमदारी से अपना पक्ष रख सकेंगे और दबाव बना सकेंगे वहां मेडिकल कालेज खुलेगा।
प्रदेश में 7 नए शासकीय मेडिकल कॉलेज विदिशा, रतलाम, दतिया, खंडवा, शिवपुरी और छिंदवाड़ा में खोले जा रहे हैं। इनके भवन निर्माण का कार्य प्रगति पर है। इसमें से तीन कॉलेजों के इसी सत्र से खुलने की संभावना है। अगले साल तक सातों कॉलेज शुरू हो जाएंगे। प्रदेश में एमबीबीएस की 600 सीटें बढेंगी। डॉक्टरों की कमी दूर होगी। फिलहाल प्रदेश में भोपाल, रीवा, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर में मेडिकल कॉलेज हैं।