2017 में 53 हजार फ्रॉड के केस एक्सपर्ट का कहना है कि इंटरनेट पर साझा की गई जानकारी कभी भी मिटाई नहीं जा सकती। वह कहीं न कहीं स्टोर होती है। इससे साइबर फ्रॉड करने वाले बच्चों और यूथ को निशाना बनाते हैं क्योंकि आज का युवा सबसे ज्यादा इंटरनेट एप्स फेसबुक, व्हाट्सएप, ईमेल, गूगल पर समय बताता है। बच्चे इसके आदी भी हो जाते हैं इसलिए वह इसका सबसे ज्यादा शिकार होते हैं। वह इस बात से अनजान होता है कि कब उसकी निजी जानकारी का फ ायदा उठाया जा सकता है । पूरे भारत में 2017 में 53000 के साइबर क्राइम के दर्ज किए गए हैं।
इस तरह आपके साथ हो सकता है फ्रॉड साइबर बुलिंग: यह एक तरह से एंटी सोशल बिहेवियर है। इसमें झूठी अफ वाह , धमकाने वाले मैसेज या गंदी तस्वीरों को मीडियम बनाकर बच्चों या टीनएजर्स को टॉर्चर किया जाता है ।
साइबर ग्रूमिंग: यह इंटरनेट पर होने वाला एंटी सोशल बिहेवियर है। इसमें एक अनजान व्यक्ति बातचीत के जरिए किसी बच्चे से भावनात्मक रूप से जुड़कर उसका शोषण करता है । ईमेल फ्रॉड: ई-मेल पर हम अपने पर्सनल डाक्यूमेंट्स को अक्सर स्टोर करके रखते हैं। इसकी वजह से कई बार पर्सनल डिटेल लीक हो जाती है । इसलिए ध्यान रखें कि जब भी आप किसी अन्य व्यक्ति के या पर्सनल पीसी पर लॉग इन करते हैं तो उसे लॉग आउट करना न भूले। किसी से भी अपना पासवर्ड शेयर न करें चाहे वह आपको कितना भी न जानता हो।
ऑनलाइन ट्रांजैक्शन फ्रॉड: इसमें आपके बैंक अकाउंट को हैक करके अकाउंट से फं ड ट्रांसफ र करके या आपको कोई साझा देकर डिटेल लेकर धोखाधड़ी की जाती है। यूजर्स इसे समझ नहीं पाते हैं जब भी आपके पास किसी अनजान व्यक्ति का कॉल बैंक के हवाले से आता है तो कभी भी अपने अकाउंट की डिटेल शेयर न करें।
एेसे करें खुद का बचाव सोशल मीडिया प्लेटफ ॉर्म से अनजान व्यक्तियों की रिक्वेस्ट एक्सेप्ट न करें । पर्सनल डिटेल शेयर न करें। फ ोन नंबर, पता फ ोटो, जन्मतिथि को शेयर न करें। सुरक्षित एप्स ही पैसे का लेनदेन करें।