गांवों की सरकारी स्कूलों में घर से पढ़ाई संभाव नहीं
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सतना. कोरोना वायरस के संक्रमण के बीच निजी संस्थानों के साथ सरकारी विभाग भी वर्क फ्राम होम की राह पर चल पड़े हैं। जिले की सरकारी स्कूलों में इतने संसाधन उपलब्ध नहीं हैं कि वह बच्चों की घर बैठे क्लास ले सके। लेकिन संकट की इस घड़ी में शहर स्थित माडल स्कूलों में शिक्षकों के लिए वर्क फ्राम होग की व्यवस्था की गई है। जिले का अग्रणी माडल स्कूल व्यंकट क्रमांक एक में 15 अप्रैल से शिक्षक बच्चों की घर बैठे आनलाइन क्लास ले रहे हैं। फिलहाल आनलाइन के माध्यम से कक्षा 10 से 12वीं तक की क्लास लग रही है। शिक्षक लाकडाउन में घर बैठे शैक्षणिक कार्य में व्यस्त हैं। छोटे बच्चों की घर बैठे पढ़ाई संभव नहीं माडल स्कूल के शिक्षकों का कहना है कि यदि सभी छात्रों के पास संसाधन उपलब्ध हो तो बड़ी कक्षाओं में वर्क फ्राम होम की व्यवस्था लागू हो सकती है। इससे शिक्षक एवं छात्र दोनों को स्कूल आने की समस्या से मुक्ति मिल जाएगी। लेकिन प्राथमिक एवं माध्यमिक के बच्चों को घर में बैठ कर पढ़ा लेना टीचर एवं अभिभावक दोनों के लिए चुनौती है। वर्क फ्राम होम के लाभ सरकारी स्कूलों में घर बैठे पढ़ाई की व्यवस्था से शिक्षा जगत में नई राह खुलेगी। सरकार को स्कूल भवन बनाने की जरूरत नहीं होगी। बच्चों को स्कूल जाने से मुक्ति मिलेगी। इससे स्कूल में बिजली पानी के खर्च भी बचेगा। भृत्य रखने की जरूरत नहीं होगी। शिक्षक भी पढ़ाई में कामचोरी नहीं कर पाएगे। वर्जन कोरोना वायरस संकट में जीने की कुई नई राहे खुली है। लाकडाउन एवं संकमण से बचने घर बैठ आफिस का कार्य करना शुरू किया है। वर्क फ्राम होम की व्यवस्था स्कूलों के लिए चुनौती है। उच्च कक्षाओं में तो इसे स्वीकार किया जा सकता है। लेकिन छोटे बच्चों को घर में बैठाकर उनकी क्लास लेना शिक्षकों के लिए बड़ी चुनौती होगी।