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MP Assembly Election 2018: मैहर में किसको मिलेगा टिकट, किसका दावा, क्यों मजबूत.. पढ़िए पूरी रिपोर्ट

locationसतनाPublished: Sep 05, 2018 07:24:32 pm

Submitted by:

suresh mishra

भाजपा को सीट बचाने की चुनौती, कांग्रेस, आप, बसपा और सपाक्स टक्कर देने की तैयारी में

MP Assembly Election 2018: Maihar Assembly BJP Congress Candidates

MP Assembly Election 2018: Maihar Assembly BJP Congress Candidates

भारत भूषण श्रीवास्तव @ सतना। विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक घमासान शुरू हो चुका है। विंध्य में भाजपा ने जन-आशीर्वाद यात्रा की शुरुआत मैहर से की, तो कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष ने भी मैहर से ही चुनावी कार्यक्रम की औपचारिक शुरुआत की। जिले की मैहर विधानसभा सीट पर सबसे ज्यादा कश्मकश है। भाजपा के सामने सीट बचाने की चुनौती है तो कांग्रेस अपनी परंपरागत सीट जीतना चाहती है। इस बीच दावेदार भी बड़ी संख्या में सामने आ रहे हैं। जो टिकट न मिलने पर मुश्किलें खड़ी करेंगे। बसपा, आम आदमी पार्टी व सपाक्स के प्रत्याशी समीकरण को बिगाड़ रहे हैं।
मैहर: प्रतिष्ठा दांव पर
यह कांग्रेस की परम्परागत सीट रही है। 2013 में कांग्रेस से नारायण त्रिपाठी विधायक चुने गए। बाद में बगावत कर भाजपा में शामिल हुए और उपचुनाव जीत पुन: विधायक बने। दोनों पार्टियों के लिए ये सीट प्रतिष्ठा का सवाल है। कांग्रेस अपनी सीट वापस लेने के लिए दमखम से मैदान में है, तो भाजपा सीट को बचाने जोर-जुगत लगा रही है।
– 2016 उपचुनाव के वोट
– भाजपा नारायण त्रिपाठी 82,658
– कांग्रेस मनीष पटेल 54,377

– ये हैं चार मुद्दे
मिनी स्मार्ट सिटी का वादा, रविदास मंदिर का निर्माण, स्थानीय विकास, बेरोजगारी

मजबूत दावेदार भाजपा
– मोती लाल तिवारी – पूर्व विधायक, क्षेत्र में सक्रिय हैं।
– रमेश पांडेय- पूर्व प्रत्याशी, मैहर मंदिर पुजारी परिवार से जुड़े
मजबूत दावेदार कांग्रेस
– श्रीकांत चतुर्वेदी – वरिष्ठ कांग्रेस नेता
– धर्मेश घई- मैहर नगर पालिका अध्यक्ष
– मनीष पटेल – उपचुनाव में प्रत्याशी रहे, जातिगत समीकरण

ये भी ठोक रहे ताल
– पुष्पेंद्र सिंह चंदेल – आम आदमी पार्टी के घोषित प्रत्याशी
– रबिंदु पटेल – 2003 में लड़ चुके।
– कोदू लाल पटेल – रिटायर्ड शिक्षक, क्षेत्र में सक्रिय हैं।
जातिगत समीकरण
– ब्राह्मण, पटेल, कुशवाहा मतदाता ज्यादा हैं। वे चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। इसके अलावा मुस्लिम व अन्य पिछड़ा वर्ग का असर रहता है ।

चुनौतियां
– अधूरे वादे और असंतोष बड़ा मुद्दा है।
– बड़े नेताओं का अभाव, संगठन को एक करना चुनौती। गुटबाजी पर नियंत्रण नहीं।
विधायक की परफॉर्मेंस
विकास के नाम पर मिनी स्मार्ट सिटी सहित कई वादे किए गए। जो अधूरे हैं, अब आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है।

बेरोजगारी, मिनी स्मार्ट सिटी, बेरोजगारी सड़क, बिजली समस्या है। कोई सुनने वाला नहीं है।
– महेंद्र वर्मा, व्यापारी

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