कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष के रूप में जब कमलनाथ की नियुक्ति हुई और राजधानी से जिस तरह से संदेश नेताओं को आएं तो लगा कि जिले में गुटबाजी पर कुछ लगाम लगेगी। पर वर्तमान हालातों को देखें तो स्थितियों में कोई खास सुधार नहीं। हालात तो तब और बिगड़ गए जब दिलीप मिश्रा के स्थान पर जिलाध्यक्ष के रूप में राजेन्द्र मिश्रा की नियुक्ति हुई। मिश्रा को जिले में राजेन्द्र सिंह खेमे का और कमलनाथ का करीबी माना जाता है।
एक खेमा दूरी बनाए रखा
ऐसे में अजय सिंह से जुड़े लोगों की पेशानी पर बल दिखने लगे थे। यह स्थिति विगत दिवस तब देखने को मिली जब ज्योतिरादित्य सिंधिया सतना पहुंचे। एक खेमा पूरी तरह से इनके स्वागत से दूरी बनाए रखा तो दूसरे दिन वही धड़ा अजय सिंह के आमगन पर पूरी ताकत से नजर आया। स्थिति सिंधिया की मौजूदगी में तब भी असहज नजर आई जब यहां मौजूद कुछ लोगों ने अन्य नेताओं के जिंदाबाद के नारे लगाए।
ऐसे में अजय सिंह से जुड़े लोगों की पेशानी पर बल दिखने लगे थे। यह स्थिति विगत दिवस तब देखने को मिली जब ज्योतिरादित्य सिंधिया सतना पहुंचे। एक खेमा पूरी तरह से इनके स्वागत से दूरी बनाए रखा तो दूसरे दिन वही धड़ा अजय सिंह के आमगन पर पूरी ताकत से नजर आया। स्थिति सिंधिया की मौजूदगी में तब भी असहज नजर आई जब यहां मौजूद कुछ लोगों ने अन्य नेताओं के जिंदाबाद के नारे लगाए।
भाजपाई ले रहे चुटकी
इस खेमेबाजी का पूरा फायदा भाजपा की आइटी विंग ले रही है। कभी अजय सिंह के खिलाफ दिन-दिन भर पोस्ट करने वाले भाजपाई अचानक से उनके पक्ष में पोस्टिंग करते हुए गलत संदेश वायरल करते नजर आ रहे हैं। इसका नतीजा यह हो रहा कि एक तरह का सोशल वार भी कई ग्रुपों में शुरू हो गया है।
इस खेमेबाजी का पूरा फायदा भाजपा की आइटी विंग ले रही है। कभी अजय सिंह के खिलाफ दिन-दिन भर पोस्ट करने वाले भाजपाई अचानक से उनके पक्ष में पोस्टिंग करते हुए गलत संदेश वायरल करते नजर आ रहे हैं। इसका नतीजा यह हो रहा कि एक तरह का सोशल वार भी कई ग्रुपों में शुरू हो गया है।
उस वक्त स्टेशन पर ही नहीं थे गुरुवार को जो सबसे ज्यादा चर्चा में पोस्ट रही उसमें यह कहा जाता रहा कि अजय सिंह की अगवानी करने जिलाध्यक्ष राजेन्द्र मिश्रा नहीं पहुंचे। जबकि वे विक्रमादित्य सिंह को लेने पहुंचे। हालांकि राजेन्द्र मिश्रा ने इसे भ्रामक पोस्ट बताया। कहा, वे उस वक्त स्टेशन पर ही नहीं थे।