मूक बधिर पार्टियों के लिए वोट हैं
सुदीप खुद के साथ-साथ (Satna) जिले के अन्य विधानसभा में भी मूकबधिर को चुनाव लडऩा चाहते हैं। इस संबंध में रविवार को चौपाटी में एक बैठक का आयोजन किया गया। इसमें जिलेभर से करीब एक सैकड़ा मूकबधिरों ने हिस्सा लिया। संयोजक श्रद्धा शुक्ला का कहना है कि संख्या बल में हम लोग कम हैं। लिहाजा पार्टियों के लिए केवल वोट बने हुए हैं। हम लोगों की समस्याएं न तो चुनावी मुद्दा बनती हैं, न ही पार्टी और प्रत्याशी चर्चा करते हैं। जिसके चलते मूकबधिरों के मुद्दे हाशिए पर हैं। इसलिए हम सब लोग चौपाटी पर एकत्रित हुए। सभी ने मिलकर निर्णय लिया है कि सात विधानसभा में कम से कम एक सीट पर मूकबधिर को मैदान में उतारेंगे।
सुदीप खुद के साथ-साथ (Satna) जिले के अन्य विधानसभा में भी मूकबधिर को चुनाव लडऩा चाहते हैं। इस संबंध में रविवार को चौपाटी में एक बैठक का आयोजन किया गया। इसमें जिलेभर से करीब एक सैकड़ा मूकबधिरों ने हिस्सा लिया। संयोजक श्रद्धा शुक्ला का कहना है कि संख्या बल में हम लोग कम हैं। लिहाजा पार्टियों के लिए केवल वोट बने हुए हैं। हम लोगों की समस्याएं न तो चुनावी मुद्दा बनती हैं, न ही पार्टी और प्रत्याशी चर्चा करते हैं। जिसके चलते मूकबधिरों के मुद्दे हाशिए पर हैं। इसलिए हम सब लोग चौपाटी पर एकत्रित हुए। सभी ने मिलकर निर्णय लिया है कि सात विधानसभा में कम से कम एक सीट पर मूकबधिर को मैदान में उतारेंगे।
सुदीप शुक्ला का कहना है कि यौन शोषण की बढ़ती घटनाओं और मूकबधिरों के अधिकारों के लिए राजनीति में आना चाहते हैं। वे विधानसभा का चुनाव सतना से ही लड़ेंगे। ये मूकबधिरों के अधिकार की लड़ाई है। संगठन का दावा है कि हमारा प्रत्याशी भले ही एक बधिर है। लेकिन, चुनाव लडऩे वाले सभी प्रत्याशी से योग्य व सक्षम हैं। उसके पास शैक्षणिक योग्यता के साथ-साथ सतना के विकास को लेकर रोडमैप है। जो केवल चुनावी लाभ लेने के लिए नहीं आया है, बल्कि समाज में बड़े परिवर्तन की लकीर खींचने के लिए मैदान में है।