झूठ बेस्ड पार्टी का गठन कर लिया गया। प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए घोषणा तक कर दी गई पर पंजीयन नहीं कराया गया। तर्क दिया गया कि फिर झूठ का आधार ही खत्म हो जाएगा।
विजय कुमार बताते हैं, 2008 में हास्य कलाकार जसपाल भट्टी ने सूटकेस बेस्ड पार्टी बनाई थी। पंजाब में चुनाव लडऩे का दावा भी किया था। इसकी खबर भी उस समय के अखबारों में प्रकाशित हुई थी। यह खबर पढऩे के बाद आइडिया आया, आठ-दस लोगों ने बैठकर चर्चा भी की थी। संयोग से प्रदेश में चुनाव का दौर चल रहा था। सभी ने निर्णय लिया कि जनता को संदेश देने के लिए झूठ बेस्ड पार्टी का गठन करते हैं। सभी की सहमति से मैं प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा।
झूठ बेस्ड पार्टी के गठन के बाद सदस्यता अभियान चलाया गया। इसके लिए बकायदा रसीद दी जाती थी लेकिन, शुल्क कुछ भी नहीं था। हर सदस्य से शपथ ली जाती थी कि पार्टी हित में झूठ बोलेगा। यानी झूठ बोलना ही शुल्क था।
विकलांग को प्रत्याशी बनाने को लेकर भी चर्चा खूब हुई। प्रचार के दौरान समर्थक कहते थे कि चुनाव जीतने के बाद राजनेता विकलांग हो जाते हैं, उन्हें न तो जनता दिखाई देती है और न ही उसकी बात सुनाई देती है। इसलिए हम स्थाई विकलांग को लाए हैं।
प्रचार का तरीका भी अनोखा अपनाया गया था। कचरा गाड़ी को प्रचार के लिए उपयोग किया जाता था। उस समय प्रत्याशी दावा करता था कि राजनीति का कचरा साफ करने आए हैं। इसलिए ऐसा हो रहा है। केवल एक बैनर रीवा रोड पर लगाया गया था, जो चर्चा का विषय रहा।
प्रचार में सच और झूठ का नारा देती थी। पार्टी के कार्यकर्ताओं का कहना था कि हम जनसेवा के लिए राजनीति करते हैं, ये हमारा झूठ है। हम धन कमाने के लिए राजनीति में आए हैं, यह सच है। नारा था ‘ना जनता से डरो, न शरम करो यारो। राजनीति कारोबार है, घर भरो यारो।
झूठ बेस्ड पार्टी ने अभियान चलाते हुए सतना विधानसभा में 279 सदस्य बनाए थे। पार्टी के प्रत्याशी को कुल 201 वोट मिले थे। यानी, 78 सदस्यों ने अपनी ही पार्टी के प्रत्याशी को वोट नहीं दिया था। विजय कुमार कहते हैं कि मुझे वोट देंगे, ये भी उनका झूठ था। पार्टी गाइडलाइन के तहत ही काम किया।