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MP election 2018: एक ऐसी पार्टी जिसने झूठे वादों पर लड़ा था चुनाव, सच का नहीं था वास्ता

locationसतनाPublished: Oct 20, 2018 04:40:56 pm

Submitted by:

suresh mishra

झूठ बेस्ड पार्टी प्रदेशभर में थी चर्चित: विकलांग विजय कुमार को बनाया था प्रत्याशी, 201 मत के साथ जब्त हो गई थी जमानत

mp election 2018: jhuth best party news in satna madhya pradesh

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भारत भूषण श्रीवास्तव@सतना। 2008 के विधानसभा चुनाव में एक ऐसी पार्टी भी रण में उतरी थी जिसने पूरा चुनाव ही झूठ के सहारे लड़ा था। सतना में गठित यह पार्टी प्रदेशभर में चर्चा का विषय रही। पार्टी का नाम था झूठ बेस्ड पार्टी। यह झूठे वादों के साथ चुनावी मैदान में थी। पार्टी का साफतौर पर दावा था कि वह झूठ बोलती है। सच से दूर-दूर तक नाता नहीं है।
हम समाजसेवा करेंगे यह भी झूठ है। विकलांग विजय कुमार को प्रत्याशी बनाया था। हालांकि उनके झूठ पर जनता ने विश्वास नहीं किया और जमानत जब्त हो गई थी। वे 201 मत के साथ अंतिम प्रत्याशी से एक कदम पीछे रह गए थे।
नहीं कराया था पंजीयन
झूठ बेस्ड पार्टी का गठन कर लिया गया। प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए घोषणा तक कर दी गई पर पंजीयन नहीं कराया गया। तर्क दिया गया कि फिर झूठ का आधार ही खत्म हो जाएगा।
ऐसी मिली थी प्रेरणा
विजय कुमार बताते हैं, 2008 में हास्य कलाकार जसपाल भट्टी ने सूटकेस बेस्ड पार्टी बनाई थी। पंजाब में चुनाव लडऩे का दावा भी किया था। इसकी खबर भी उस समय के अखबारों में प्रकाशित हुई थी। यह खबर पढऩे के बाद आइडिया आया, आठ-दस लोगों ने बैठकर चर्चा भी की थी। संयोग से प्रदेश में चुनाव का दौर चल रहा था। सभी ने निर्णय लिया कि जनता को संदेश देने के लिए झूठ बेस्ड पार्टी का गठन करते हैं। सभी की सहमति से मैं प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा।
रसीद छपी, सदस्य बनाए
झूठ बेस्ड पार्टी के गठन के बाद सदस्यता अभियान चलाया गया। इसके लिए बकायदा रसीद दी जाती थी लेकिन, शुल्क कुछ भी नहीं था। हर सदस्य से शपथ ली जाती थी कि पार्टी हित में झूठ बोलेगा। यानी झूठ बोलना ही शुल्क था।
राजनीतिक ‘विकलांगता’
विकलांग को प्रत्याशी बनाने को लेकर भी चर्चा खूब हुई। प्रचार के दौरान समर्थक कहते थे कि चुनाव जीतने के बाद राजनेता विकलांग हो जाते हैं, उन्हें न तो जनता दिखाई देती है और न ही उसकी बात सुनाई देती है। इसलिए हम स्थाई विकलांग को लाए हैं।
कचरा गाड़ी से चुनाव प्रचार
प्रचार का तरीका भी अनोखा अपनाया गया था। कचरा गाड़ी को प्रचार के लिए उपयोग किया जाता था। उस समय प्रत्याशी दावा करता था कि राजनीति का कचरा साफ करने आए हैं। इसलिए ऐसा हो रहा है। केवल एक बैनर रीवा रोड पर लगाया गया था, जो चर्चा का विषय रहा।
सच और झूठ दो नारा
प्रचार में सच और झूठ का नारा देती थी। पार्टी के कार्यकर्ताओं का कहना था कि हम जनसेवा के लिए राजनीति करते हैं, ये हमारा झूठ है। हम धन कमाने के लिए राजनीति में आए हैं, यह सच है। नारा था ‘ना जनता से डरो, न शरम करो यारो। राजनीति कारोबार है, घर भरो यारो।
सदस्य संख्या से कम वोट
झूठ बेस्ड पार्टी ने अभियान चलाते हुए सतना विधानसभा में 279 सदस्य बनाए थे। पार्टी के प्रत्याशी को कुल 201 वोट मिले थे। यानी, 78 सदस्यों ने अपनी ही पार्टी के प्रत्याशी को वोट नहीं दिया था। विजय कुमार कहते हैं कि मुझे वोट देंगे, ये भी उनका झूठ था। पार्टी गाइडलाइन के तहत ही काम किया।
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