ऑटो के इंतजार में बैठी नीलू अहिरवार ने बताया, महिलाओं को सरकारी कार्यालयों में ज्यादा परेशानी होती है। साधारण महिला की अधिकारी सुनते नहीं। बेटे का आज तक आधार कार्ड नहीं बना। 10 बार चक्कर काट चुके। बगल में बैठी राजकली ने कहा कि रसोई गैस के दाम आसमान पहुंच गए। कुछ दिन और इसी तरह रहा तो फिर महिलाओं को चूल्हा फूंकना पड़ेगा।
गाड़ी की सर्विस के बाद इंतजार कर रहे मौसमी दाहिया ने कहा, पेट्रोल की कीमतों में लगाम लगना चाहिए। आए दिन पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों को देखते हुए सोच समझ कर वाहनों की सवारी करनी पड़ रही है। सरकारें वादे तो बड़े-बड़े करती है पर वे कागजों तक सीमित रह जाते है। जमीनी स्तर पर काम नहीं हो रहा है। सरकार किसी की बने पर महंगाई पर ध्यान देना चाहिए।
फॉर्मेसी के छात्र पवन कुशवाहा साइकिल से चलते-चलते बोले कि प्रदेश को युवा मुख्यमंत्री चाहिए। जो युवाओं की बात सुने। उनके भविष्य की चिंता करे। मां-बाप खेती कर बच्चों को बड़ी उम्मीद से पढ़ाते हैं कि कल बेटा बुढ़ापे का सहारा बनेगा। अब सरकार कहीं रोजगार तो दे नहीं रही। बाहर के शहरों में रोजगार के लिए जाना पड़ता है।
मेडिकल स्टोर दवाई लेने आए प्रताप सिंह चौहान ने कहा कि केंद्र सरकार की नीतियां तो सही हैं पर राज्य सरकार उसका पालन नहीं कर पाती है। 2013 चुनाव के बाद राज्य सरकार ने कुछ खास नहीं किया। सड़क, बिजली, पानी की समस्या बरकरार है। पुलिस को ही देखिए चौराहों पर हेलमेट की चेकिंग की जाती है पर कार्रवाई सिर्फ गरीबों पर होती है।
एक दुकान के बाहर तीन-चार फुटपाथ पर रोजगार चलाने वाले व्यापारी बैठे थे। सरकार के कामकाज का सवाल किया तो राजू प्रसाद सोनी, रज्जब खान, दीपक गुप्ता भड़क गए। बोले सरकार ने हमें कहीं का नहीं छोड़ा। सैकड़ों को हटा दिया गया। जहां मंडी बनाई वहां अब ग्राहक उतनेे नहीं पहुंचते। बेटियां जवान बैठी हंै। अब उनकी शादी कैसे करें, एक रोजगार था जो छीन लिया है।
गया द्विवेदी बस का इंतजार कर रहे थे। उन्होंने कहा, १५ साल से सत्ता में काबिज सरकार से ऊब चुके हैं। हिमाचल, राजस्थान की जनता हर पांच साल में नई सरकार बनाती है। इसलिए वहां का विकास दिखता है। यहां जमीनी स्तर पर ५० प्रतिशत कार्य भी नहीं हो पाया है। जब तक कोई अधिकारी इस शहर को पहचानता है, तब तक उसका ट्रांसफर कर दिया जाता है।
ठंंड के के कपड़े खरीदने पहुंचे रिटायर्ड लोको पायलट रामसरोवर गौतम ने बताया कि प्रदेश सरकार का कोई विजन प्लान नहीं। सरकार पेंशनर्स के लिए कुछ खास नहीं कर रही है। प्रदेश के मुकाबले छत्तीसगढ़ का सिस्टम सही है। यहां तो कई ऐसे पेंशनर्स है जिनको अभी तक सातवें वेतनमान का लाभ ही नहीं मिला। एक साल से फाइल संबंधित विभाग से टेजरी में ही घूम रही है। अफसरशाही हावी है।
ऑटो चालक अजीत प्रजापति ने कहा कि सरकार किसी की भी हो, लेकिन अच्छा कार्य करे। जब हम किसी अधिकारी के पास काम करवाने जाते है तो 10 बार चक्कर काटना पड़ता है। हम लोगों के सामने कोई भी रसूखदार पहुंचता है तो वही काम तुरंत हो जाता है। शहर का ट्रैफिक सिस्टम बहुत ही लचर है। दिल्ली से ज्यादा सेमरिया चौराहे पर प्रदूषण है। विजन प्लान नहीं है। हर जगह धूल-धुआं ही रहता है।