सब्जी की खेती में अव्वल मैहर विकासखंड के बेरमा-इटमा के किसान बीते एक दशक से मैहर में फूड पार्क बनाने की मांग कर रहे हैं। पर सफलता नहीं मिली। बेरमा के किसान घनश्याम बताते हैं कि बीते दस साल में फूड पार्क तो दूर मैहर में टमाटर प्रोसेस यूनिट तक नहीं लग सकी। इटमा की टमाटर मंडी में उपज लेकर पहुंचे किसान संपत कुशवाहा ने बताया, जब कैलाश विजयवर्गीय उद्योग मंत्री थे, तब उन्होंने मैहर में फूड पार्क बनाने का आश्वासन दिया था, जो आज तक पूरा नहीं हो सका। रमेश कहते हैं, मुख्यमंत्री भी कई बार मैहर में कृषि आधारित प्रोसेस यूनिट लगाने की बात कर चुके हैं पर अमल आज तक नहीं हुआ। क्षेत्र में टमाटर एवं करेला का रेकॉर्ड उत्पादन होने के भी इनसे संबंधित कृषि उद्योग न खुलने के कारण हमें हमारी उपज का उचित दाम नहीं मिल रहा।
मैहर, उचेहरा, नागौद तथा मझगवां विकासखंड में नहरों का निर्माण न होने से लोग सिंचाई के लिए निजी संसाधनों पर निर्भर हैं। कुलगढ़ी के किसान अमृतलाल कुशवाहा ने कहा, न आज तक बरगी का पानी आया और न ही सरकार श्यामनगर डैम का निर्माण करा रही। कम बारिश के कारण खेतों में लगे बोर दिसंबर में ही सूख जाते हैं। इसलिए रबी सीजन में खेती करना मुश्किल हो रहा है। गर्मी में जलस्रोत सूखने से जलसंकट की स्थित बनने लगी है। एेसे में किसान और श्रमिक परिवार खेती छोड़कर रोजगार की तलाश में गांव से पलायन कर रहे हैं।
नागौद में खाद-बीज की दुकान में बैठे बृजेंद्र गौतम ने कहा, सरकार की फसल बीमा योजना कंपनी को लाभ पहुंचाने की योजना है। फसल बीमा के नाम पर समितियां हर साल किसानों के खाते से हजारों रुपए काट कर बीमा कम्पनी को दे देती हैं। जब फसल खराब होती है, तो किसानों को राहत के लिए सरकार से गुहार लगानी पड़ती है। बिहटा के शोभीलाल ने कहा, जब तक खेत इकाई नहीं होगा, फसल बीमा का लाभ किसानों को नहीं मिलने वाला। केंद्र सरकार की योजना सिर्फ दिखावा है। इससे बीमा कंपनियां मालामाल हो रही है। किसानों को कुछ नहीं मिल रहा।
रामप्रताप सिंह, बरगी नहर के जानकार और पूर्व विधायक
बाबूलाल दाहिया, कृषि विशेषज्ञ
– 5.31 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि जिले में
– 3.50 लाख हेक्टेयर रकबा में बोवनी
– 1.72 लाख हेक्टेयर सिंचित रकबा
– 45 हजार हेक्टेयर बाणसागर से प्रस्तावित
– 35 हजार हेक्टेयर वर्तमान में सिंचित
– 1.60 लाख हेक्टेयर बगरी नहर से प्रस्तावित
– 000 है वर्तमान में सिंचित