इस कारण गांवों से पलायन भी बढ़ गया है। खाद-बीज पर बाजारवाद हावी हो चुका है। खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों की स्थापना नहीं होने से किसानों को उनकी उपज का उचित दाम तक नहीं मिल पा रहा है। खाद-बीज एवं बिजली के बढ़ते दाम किसानों की कमर तोड़ रहे हैं। इसके बावजूद किसानों के ये मुद्दे इस बार चुनाव से दूरी बनाए हुए हैं। भाजपा और कांग्रेस के घोषणा पत्र में भी इन मुद्दों को जगह नहीं मिल पाई है। पत्रिका ने तीन दिन में करीब 150 किमी. का सफर कर बरगी और किसानों की स्थिति का जायजा लिया तो भयावह तस्वीर सामने आई। पेश है रिपोर्ट
कृषि प्रसंस्करण उद्योग नहीं
सब्जी की खेती में अव्वल मैहर विकासखंड के बेरमा-इटमा के किसान बीते एक दशक से मैहर में फूड पार्क बनाने की मांग कर रहे हैं। पर सफलता नहीं मिली। बेरमा के किसान घनश्याम बताते हैं कि बीते दस साल में फूड पार्क तो दूर मैहर में टमाटर प्रोसेस यूनिट तक नहीं लग सकी। इटमा की टमाटर मंडी में उपज लेकर पहुंचे किसान संपत कुशवाहा ने बताया, जब कैलाश विजयवर्गीय उद्योग मंत्री थे, तब उन्होंने मैहर में फूड पार्क बनाने का आश्वासन दिया था, जो आज तक पूरा नहीं हो सका। रमेश कहते हैं, मुख्यमंत्री भी कई बार मैहर में कृषि आधारित प्रोसेस यूनिट लगाने की बात कर चुके हैं पर अमल आज तक नहीं हुआ। क्षेत्र में टमाटर एवं करेला का रेकॉर्ड उत्पादन होने के भी इनसे संबंधित कृषि उद्योग न खुलने के कारण हमें हमारी उपज का उचित दाम नहीं मिल रहा।
सब्जी की खेती में अव्वल मैहर विकासखंड के बेरमा-इटमा के किसान बीते एक दशक से मैहर में फूड पार्क बनाने की मांग कर रहे हैं। पर सफलता नहीं मिली। बेरमा के किसान घनश्याम बताते हैं कि बीते दस साल में फूड पार्क तो दूर मैहर में टमाटर प्रोसेस यूनिट तक नहीं लग सकी। इटमा की टमाटर मंडी में उपज लेकर पहुंचे किसान संपत कुशवाहा ने बताया, जब कैलाश विजयवर्गीय उद्योग मंत्री थे, तब उन्होंने मैहर में फूड पार्क बनाने का आश्वासन दिया था, जो आज तक पूरा नहीं हो सका। रमेश कहते हैं, मुख्यमंत्री भी कई बार मैहर में कृषि आधारित प्रोसेस यूनिट लगाने की बात कर चुके हैं पर अमल आज तक नहीं हुआ। क्षेत्र में टमाटर एवं करेला का रेकॉर्ड उत्पादन होने के भी इनसे संबंधित कृषि उद्योग न खुलने के कारण हमें हमारी उपज का उचित दाम नहीं मिल रहा।
घाटे की खेती, बढ़ा पलायन
मैहर, उचेहरा, नागौद तथा मझगवां विकासखंड में नहरों का निर्माण न होने से लोग सिंचाई के लिए निजी संसाधनों पर निर्भर हैं। कुलगढ़ी के किसान अमृतलाल कुशवाहा ने कहा, न आज तक बरगी का पानी आया और न ही सरकार श्यामनगर डैम का निर्माण करा रही। कम बारिश के कारण खेतों में लगे बोर दिसंबर में ही सूख जाते हैं। इसलिए रबी सीजन में खेती करना मुश्किल हो रहा है। गर्मी में जलस्रोत सूखने से जलसंकट की स्थित बनने लगी है। एेसे में किसान और श्रमिक परिवार खेती छोड़कर रोजगार की तलाश में गांव से पलायन कर रहे हैं।
मैहर, उचेहरा, नागौद तथा मझगवां विकासखंड में नहरों का निर्माण न होने से लोग सिंचाई के लिए निजी संसाधनों पर निर्भर हैं। कुलगढ़ी के किसान अमृतलाल कुशवाहा ने कहा, न आज तक बरगी का पानी आया और न ही सरकार श्यामनगर डैम का निर्माण करा रही। कम बारिश के कारण खेतों में लगे बोर दिसंबर में ही सूख जाते हैं। इसलिए रबी सीजन में खेती करना मुश्किल हो रहा है। गर्मी में जलस्रोत सूखने से जलसंकट की स्थित बनने लगी है। एेसे में किसान और श्रमिक परिवार खेती छोड़कर रोजगार की तलाश में गांव से पलायन कर रहे हैं।
फसल बीमा मतलब लूट
नागौद में खाद-बीज की दुकान में बैठे बृजेंद्र गौतम ने कहा, सरकार की फसल बीमा योजना कंपनी को लाभ पहुंचाने की योजना है। फसल बीमा के नाम पर समितियां हर साल किसानों के खाते से हजारों रुपए काट कर बीमा कम्पनी को दे देती हैं। जब फसल खराब होती है, तो किसानों को राहत के लिए सरकार से गुहार लगानी पड़ती है। बिहटा के शोभीलाल ने कहा, जब तक खेत इकाई नहीं होगा, फसल बीमा का लाभ किसानों को नहीं मिलने वाला। केंद्र सरकार की योजना सिर्फ दिखावा है। इससे बीमा कंपनियां मालामाल हो रही है। किसानों को कुछ नहीं मिल रहा।
नागौद में खाद-बीज की दुकान में बैठे बृजेंद्र गौतम ने कहा, सरकार की फसल बीमा योजना कंपनी को लाभ पहुंचाने की योजना है। फसल बीमा के नाम पर समितियां हर साल किसानों के खाते से हजारों रुपए काट कर बीमा कम्पनी को दे देती हैं। जब फसल खराब होती है, तो किसानों को राहत के लिए सरकार से गुहार लगानी पड़ती है। बिहटा के शोभीलाल ने कहा, जब तक खेत इकाई नहीं होगा, फसल बीमा का लाभ किसानों को नहीं मिलने वाला। केंद्र सरकार की योजना सिर्फ दिखावा है। इससे बीमा कंपनियां मालामाल हो रही है। किसानों को कुछ नहीं मिल रहा।
दुर्भाग्य है कि बरगी का पानी 10 साल बाद भी नहीं पहुंच पाया। राजनीतिक इच्छा-शक्ति की कमी इसका बड़ा कारण है। सतना में अच्छी कृषि भूमि, खनिज संंपदा की भरमार है पर पानी की कमी के कारण किसान आर्थिक तंगी से जूझ रहा है। बरगी के पानी के लिए मिलकर आवाज उठानी होगी।
रामप्रताप सिंह, बरगी नहर के जानकार और पूर्व विधायक
रामप्रताप सिंह, बरगी नहर के जानकार और पूर्व विधायक
विंध्य में नर्मदा जल लाने की योजना अंगे्रजों ने बनाई थी। वे दूरदर्शी थे। उनका मानना था कि 100 साल बाद विंध्य क्षेत्र में पानी की किल्लत होगी। अब 70 साल बाद भी हमारी सरकार इस क्षेत्र को नर्मदा जल से आक्षादित नहीं कर सकी। जीवन-दायिनी नर्मदा का पानी ही किसानों की तकदीर बदल सकता है।
बाबूलाल दाहिया, कृषि विशेषज्ञ
बाबूलाल दाहिया, कृषि विशेषज्ञ
जिले की हकीकत
– 5.31 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि जिले में
– 3.50 लाख हेक्टेयर रकबा में बोवनी
– 1.72 लाख हेक्टेयर सिंचित रकबा
– 45 हजार हेक्टेयर बाणसागर से प्रस्तावित
– 35 हजार हेक्टेयर वर्तमान में सिंचित
– 1.60 लाख हेक्टेयर बगरी नहर से प्रस्तावित
– 000 है वर्तमान में सिंचित
– 5.31 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि जिले में
– 3.50 लाख हेक्टेयर रकबा में बोवनी
– 1.72 लाख हेक्टेयर सिंचित रकबा
– 45 हजार हेक्टेयर बाणसागर से प्रस्तावित
– 35 हजार हेक्टेयर वर्तमान में सिंचित
– 1.60 लाख हेक्टेयर बगरी नहर से प्रस्तावित
– 000 है वर्तमान में सिंचित