जिले के कृषि वैज्ञानिकों का कहना है, लगातार तीन दशक से सोयाबीन की खेती से जिले की जमीन की उत्पादन क्षमता तेजी से गिरी है। 80 व 90 के दशक में जिले के किसानों की माली हालत सुधारने वाले सोयाबीन की बीते एक दशक में बोवनी लागत बढ़ी है, लेकिन उत्पादन लगातार घटा। इससे इस फसल से किसानों के लिए लागत निकालना मुश्किल हो गया है। कभी मौसम की मार तो कभी भाव कम मिलने से सोयाबीन की खेती करने वाले किसान लगातार कर्ज में दबते जा रहे हैं। इसलिए जिले के किसानों ने अब सोयाबीन की खेती का विकल्प तलाशना शुरू कर दिया है।
विंध्य के किसानों ने खरीफ की प्रमुख फसल सोयाबीन की खेती से तौबा कर सरकार की योजना पर सवाल खड़े कर दिए हैं। किसानों का कहना है, आधुनिक तकनीक से बोवनी करने से सोयाबीन की खेती की लागत बढ़ी है। जबकि इसका उत्पादन घट कर आधा रह गया है। उत्पादन कम होने के साथ ही मंडियों में सोयाबीन के दाम भी घट कर आधे हो गए हैं। इससे खेती करने वाले किसानों की लागत नहीं निकल पा रही।
आरएस शर्मा, उप संचालक कृषि सतना