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अहिरगांव फर्जीवाड़े में फंसे किसानों की उपज का भुगतान करने होगी नीलामी, शासन ने जिला प्रशासन को दिए निर्देश

locationसतनाPublished: Jan 22, 2020 06:54:09 pm

Submitted by:

suresh mishra

संस्था ने ऑफलाइन अमानक उपज खरीदी थी

MP Government gave instructions to the Satna district administration

MP Government gave instructions to the Satna district administration

सतना/ समर्थन मूल्य पर अपनी उपज बेचने वाले किसान उपार्जन समिति के फर्जीवाड़े का शिकार होकर अपनी उपज का भुगतान पाने भटक रहे हैं। गत वर्ष समर्थन मूल्य पर 163 किसानों ने सेवा सहकारी समिति अहिरगांव में चने और मसूर की फसल बेची थी लेकिन नाफेड सर्वेयर ने अपनी जांच में संस्था की खरीदी गई इस उपज को अमानक बताते हुए निरस्त कर दिया था। इसके बाद से किसानों का भुगतान लंबित है।
इस पर किसानों ने लगातार सीएम हेल्पलाइन सहित अन्य माध्यमों से मामले की शिकायत की। स्थिति को देखते हुए अब आयुक्त सहकारिता एवं पंजीयक ने इस स्कंध को नीलाम कर प्राप्त राशि से किसानों को भुगतान करने के निर्देश दिए हैं।
राज्य शासन के तय मापदंडों के तहत समर्थन मूल्य पर अपनी उपज बेचने वाले किसानों को तय समयावधि में भुगतान करने की व्यवस्था है लेकिन सतना जिले की संस्थाओं में किए गए फर्जीवाड़े के कारण कई यहां के किसानों को उनकी बेची गई उपज का भुगतान नहीं मिल सका है। ऐसा ही मामला सेवा सहकारी समिति अहिरगांव तहसील अमरपाटन का सामने आया है। खरीदी गई उपज के अमानक घोषित होने के कारण किसानों का भुगतान नहीं हो पा रहा है।
यह है मामला
अमरपाटन तहसील अंतर्गत सेवा सहकारी समिति अहिरगांव के खरीदी केंद्र में 163 किसानों ने लगभग 1800 क्विंटल चना तथा 100 क्विंटल के लगभग मसूर बेची थी लेकिन जब इस उपज की जांच नाफेड के सर्वेयर ने की तो पाया यह अमानक श्रेणी की है। इसे अमानक घोषित करने के कारण खरीद निरस्त कर दी गई। जिसके बाद से किसानों को फसल का भुगतान नहीं हो पा रहा है।
अब शासन ने लिया निर्णय
इतनी बड़ी संख्या में किसानों का भुगतान नहीं होने को देखते हुए मामला शासन स्तर पर विचार किया गया। प्रकरण के अध्ययन के बाद पाया गया कि नाफेड ने एक बार इसे अमानक बता दिया है तो अब दोबारा इसे मानक मानकर स्वीकार नहीं कर सकता है। भारत शासन समर्थन मूल्य एफएक्यू फसल के लिए निर्धारित किया जाता है। इन किसानों की उपज नान एफएक्यू घोषित हो चुकी है और लंबी अवधि हो जाने के कारण इसे स्वीकार करना भी असंभव है। ऐसे बिना निराकरण के भण्डारण केंद्र में रखी फसल का भुगतान नहीं हो पा रहा है। स्थितियों को देखते हुए अब आयुक्त सहकारिता ने कलेक्टर से कहा है कि संबंधित स्कंध को नीलाम करें तथा नीलामी से प्राप्त राशि को किसानों को विक्रीत फसल के अनुपात में भुगतान किया जाए। इस निर्णय के बाद किसानों के भुगतान की संभावना बनी है।
नहीं मिली क्रय की अनुमति
ऐसा नहीं कि किसानों के भुगतान के लिए जिला प्रशासन स्तर से कोई प्रयास नहीं किए गए। कलेक्टर ने इस अमानक स्कंध के उठाव की अनुमति देने के लिए क्रय एजेंसी को भी लिखा गया लेकिन उपार्जन एजेंसी ने अभी तक इस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया। इस कारण से भुगतान नहीं हो पा रहा है।
आशंका यह भी
मामले में यह भी आशंका जताई गई है कि अगर नीलामी में फसल का उचित मूल्य नहीं मिलता है अथवा समर्थन मूल्य से कम मिलता हो तो भी किसान नुकसान में रहेंगे। हालांकि यह मामला नीलामी के बाद ही स्पष्ट हो सकेगा।
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