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MP गजब है! अस्पताल में उपचार की जगह खेती कर रहे चिकित्सक, परिसर में बुवाई तीली की फसल

locationसतनाPublished: Sep 07, 2019 02:58:25 pm

Submitted by:

suresh mishra

प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कारीगोही का मामला: अस्पताल में उपचार की जगह लहलहा दी फसल, सतना में ऐसे भी स्वास्थ्य केंद्र

MP is amazing : Doctors doing cultivation instead of treatment

MP is amazing : Doctors doing cultivation instead of treatment

रोहित पाठक@सतना/ आपने अस्पताल में टार्च की रोशनी में ऑपरेशन होते हुए सुना होगा, सफाईकर्मी को दवाइयां बांटते देखा होगा, लेकिन सतना में एक ऐसा भी ( Primary Health Center karigohi ) स्वास्थ्य केंद्र है जो इन सबसे दो कदम आगे निकलते हुए खेती के लिए जाना जाता है। यहां स्टाफ मरीजों का उपचार करने की बजाय फसल उगाने पर ध्यान देता है। नतीजतन क्षेत्र की लगभग 30 हजार की आबादी झोलाछाप डॉक्टरों के यहां चक्कर लगाती है।
दरअसल, यह मामला ( satna district hospital ) मझगवां ब्लॉक के कारीगोही ( karigohi ) अस्पताल का है। यहां लैब टैक्निशियन अपना काम धाम छोड़ कर अस्पताल परिसर में खेती में जुटा है। स्थानीय लोगों की मानें तो सप्ताह में एकाध बार ही ( Primary Health Center ) डॉक्टर के दर्शन होते हैं। अन्य कर्मचारी भी गायब ही रहते हैं और ज्यादातर समय ताला लटका मिलता है।
गायब रहता है स्टाफ
कारीगोही में भले कहने को अस्पताल है, लेकिन यहां लोग कम ही आते हैं। स्थानीय लोगों ने बताया कि अस्पताल में कहने को डाक्टर हैं, लैब टेक्नीशियन है और नर्सिंग स्टाफ है। लेकिन अक्सर नदारद रहते हैं। यही वजह है कि यहां लोग इलाज के लिये बाबाओं के चक्कर में फंस जाते हैं। इसी स्थिति का फायदा
उठाते हुए यहां फलाहारी बाबा जैसे लोगों की दुकान चल रही है।
तिल की फसल लहलहा रही थी
अस्पताल परिसर में तिली की फसल लहलहा रही है। पूछने पर ग्रामीणों ने बताया कि यहां पदस्थ लैब टेक्नीशियन भागवत शुक्ला ने यह फसल बोई हुई है। जब अस्पताल बंद होने का कारण पूछा गया तो बताया कि यह अस्पताल तो नाम का है। यहां स्टाफ महीने में एक दो बार ही आता है। इस वजह से यहां मरीज भी नहीं जाते। ऐसे में लैब टेक्नीशियन ने अस्पताल परिसर को खेत में तब्दील कर दिया है।
30 हजार आबादी इलाज से महरूम
स्थानीय लोगों ने बताया कि तराई का यह इकलौता अस्पताल है जहां स्टाफ पदस्थ है। आदिवासी बाहुल्य इलाके में इस अस्पताल की काफी उपयोगिता है। लेकिन इस अस्पताल के बंद रहने से मजबूरी में लोगों को मझगवां या बिरसिंहपुर जाना पड़ता है। बताया गया है कि इस अस्पताल की टेरीटरी में 30 हजार की आबादी आती है, जो सहज सुलभ इलाज से महरूम है।
मेरी जानकारी में यह मामला नहीं है। इसको दिखवाता हूं। अगर अस्पताल परिसर पर खेती-बाड़ी का काम हो रहा है तो बहुत ही गंभीर है। मामले की जांच कर प्रतिवेदन वरिष्ठ अधिकारियों को बताया जाएगा।
डॉ. तरुणकांत त्रिपाठी, बीएमओ
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