बुधवार को याचिका की सुनवाई शुरू करने के पूर्व ही बेंच ने याचिकाकर्ता के वकील को याचिका वापस लेने के लिए कहा। कोर्ट ने चेताया कि एेसा न होने पर तगड़ी कॉस्ट लगाई जाएगी, लेकिन याचिकाकर्ता के वकील ने यह कहते हुए याचिका वापस लेने से इनकार कर दिया कि उनके पक्षकार से उन्हें याचिका वापस न लेने के निर्देश हैं।
कोर्ट के संज्ञान में यह तथ्य लाया गया कि इसी मांग को लेकर याचिकाकर्ता द्वारा दायर याचिका को एकलपीठ 24 जुलाई को खारिज कर चुकी है। एकलपीठ ने यह कहते हुए याचिकाकर्ता पर पांच हजार रुपए कॉस्ट भी लगाई थी कि इससे याचिकाकर्ता के किसी व्यक्तिगत या संवैधानिक अधिकार का हनन नहीं होता। 6 सितम्बर को कोर्ट ने याचिकाकर्ता द्वारा माफी मांगने और गरीबी का हवाला देने पर कॉस्ट घटा कर 5000 रुपए कर दी थी, साथ ही चेतावनी भी दी थी कि इस सम्बंध में दोबारा याचिका न दायर की जाए।