सतना

Mudda kya Hai: सामाजिक संगठनों ने बुलंद की मेडिकल कॉलेज की आवाज, नेता ले रहे श्रेय

‘मुद्दा क्या है’ में युवाओं ने रखी बेबाक राय

सतनाMar 18, 2019 / 12:06 pm

suresh mishra

Mudda kya Hai: chunav me fir yaad aaya ram mandir

सतना। जब-जब चुनाव आते हैं तब-तब भगवान राम याद किए जाते है। कश्मीर के मुद्दे पर सभी दल राजनीतिक रोटी सेंक रहे हैं। अगर दोनों मुद्दे हल हो गए तो नेताओं के पास कोई कार्य ही नहीं बचेगा। इसलिए जान बूझकर इन मसलों में मतदाओं को उलझाकर रखा जाता है। सतना संसदीय क्षेत्र की बात की जाए तो सांसद-विधायक वोट बैंक की राजनीति करते है। इनको सामाजिक सरोकार से मतलब ही नहीं। मेडिकल कॉलेज के मामले में ही देख लीजिए। आज तक सतना का कोई नेता मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री से चर्चा तक नहीं किया।
सामाजिक कार्यकर्ताओं और युवाओं ने अपनी आवाज बुलंद की। लगातार आंदोलन प्रदर्शन कर विभिन्न प्रकार के अभियान चलाए। जब स्वीकृति मिली तो नेताओं ने श्रेय लेने की होड़ मचा दी। अब शहर का सबसे बड़ा मुद्दा है साफ और सुंदर शहर। इसके लिए नेताओं के पास कोई प्लान नहीं। सभी मोहल्ले जलसंकट से जूझ रहे है। जर्जर सड़कों से राहगीर से लेकर व्यापारी तक परेशान है। कुछ ऐसी ही राय ‘मुद्दा क्या है’ कार्यक्रम में राह चलते युवाओं ने रखी।
अपने शहर में रोजगार न मिलने के कारण युवा पीढ़ी पलायन कर रही है। रोजगार की तलाश में मुंबई, दिल्ली, बेंगलूरु की ओर जा रहे है।
पुष्पेंद्र द्विवेदी

सड़क-पानी हमारे शहर का सबसे बड़ा मुद्दा है। सब नेताओं से त्रस्त है। कोई साफ-स्वच्छ छवि वाला नेता आए तो उस पर विचार किया जा सकता है।
शिब्बू सिंह बघेल
अच्छे लोगों को राष्ट्रीय पार्टियां टिकट ही नहीं देती हैं। मतदान को लेकर युवाओं में कोई उत्साह ही नहीं बचा है।
निक्की शुक्ला

लोकसभा चुनाव में बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा है। आठ सीमेंट कंपनियां होते हुए भी स्थानीय लोगों को रोजगार नहीं मिल रहा। युवा बेरोजगारी से लड़-लड़कर परेशान है।
अभिषेक सिंह
इस चुनाव में शहर का सबसे बड़ा मुद्दा बेरोजगारी का है। हम लोगों का जीवन किसी तरह कट रहा है, लेकिन बच्चे कैसे रोजगार पाएंगे। जबकि जिले में सात से आठ बड़ी कंपनियां है। सांसद विधायक चाहें तो एक दिन में सभी को रोजगार मिल जाए।
राकेश तिवारी
नीचे से ऊपर तक ईमानदार अधिकारी और कर्मचारी की जरूरत है। अभी जो उम्रदराज शासकीय सेवक हैं वे अपना विकास कर रहे हैं।
अजीत कुशवाहा

10-15 साल से सतना-बेला मार्ग अधूरा पड़ा है। नौ दिन चलई अढ़ाई कोस जैसी स्थित निर्मित है। आए दिन हादसे हो रहे है।
दीपक तिवारी
कानून व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं है। अपराधियों में पुलिस का कोई खौफ ही नहीं है। शरारती तत्वों को पुलिस और नेताओं का सरक्षण प्राप्त है।
राहुल द्विवेदी
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