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Mudda kya Hai: जीएसटी ने तोड़ी व्यापारियों की कमर, जानकारी के अभाव में टूट गया बिजनेस

locationसतनाPublished: Mar 17, 2019 04:43:49 pm

Submitted by:

suresh mishra

‘मुद्दा क्या है’ में व्यापारियों ने रखी राय

Mudda kya Hai: satna lok sabha chunav ka mukhya Mudda

Mudda kya Hai: satna lok sabha chunav ka mukhya Mudda

सतना। पिछली सरकारों की तुलना में मोदी सरकार ने अच्छा कार्य किया है। कांग्रेस की अपेक्षा भाजपा सरकार कई मामलों में बेहतर है। उसके अंदर कुछ करने का जज्बा है। लेकिन रफाल मुद्दे पर पूरी तरह गिर चुकी है। राहुल गांधी ने संसद के अंदर और बाहर रफल का जबरदस्त विरोध किया है। उसके बाद से भाजपा सरकार बैकफुट पर आ गई है। हालांकि दोनों पार्टियों के नेता एक तरह के ही हैं। युवा नेताओं को टिकट दें तो कुछ शहर का विकास हो सकता है।
दो-तीन बार जीतने वाले नेताओं को सिर्फ अपना-अपना विकास दिखता है। सतना लोकसभा की बात करें तो शहर का सबसे बड़ा मुद्दा धूल और धुआं है। लोगों को शहर के अंदर घुटन सी महसूस हो रही है। पूरे शहर की सड़कें उखड़ी हुई हैं। डस्ट के कारण लोगों की जिंदगी खतरे में है। जिम्मेदारों की लापरवाही से लोग चैन की सांस तक नहीं ले पाते हैं। कुछ ऐसी ही राय पत्रिका के ‘मुद्दा क्या है’ कार्यक्रम में बस स्टैंड के व्यापारियों ने रखी।
शहर का सबसे बड़ा मुद्दा बेरोजगारी का है। हम लोगों का जीवन किसी तरह कट रहा है। लेकिन आने वाले बच्चे कैसे रोजगार पाएंगे। जबकि जिले में सात से आठ बड़ी कंपनिया है और होनहारों की कमी भी नहीं है। सांसद विधायक चाहे तो एक दिन में सभी को रोजगार मिल जाए।
राकेश तिवारी
नीचे से ऊपर तक ईमानदार अधिकारी और कर्मचारी की जरूरत है। क्योंकि अभी जो उम्र दराज शासकीय सेवक है। वह अपनी-अपनी छोली भरते है। जब तक इनका रवैया नहीं बदलेगा तब तक देश के यही हालात रहेंगे। शासकीय कार्यालय से लेकर बैंक ऑफिस तक यही हाल है। गरीबों के दुत्कार कर भगा देते है। रसूखदारों को कुर्सी पर बैठाते है।
अजीत कुशवाहा
जीएसटी की जानकारी के आभाव में पूरा व्यापार टूट गया है। विभाग के जिम्मेदार अधिकारी डरा धमाकर पूरी तरह बाजार में लूट मचा दी है।
मुकेश गौतम

जीएसटी ने व्यापारियों की कमर तोड़ दी है। कहने को तो जीएसटी में राहत दे दी गई है लेकिन कई उत्पादों में अभी भी 28 फीसदी जीएसटी लग रही है।
इकबाल कुरैशी
सीमेंट कंपनियां सीएसआर फंड से शहर और गांवों का विकास नहीं करती। बल्कि नेताओं पर खर्च करती हैं। लोगों को रोजगार नहीं मिल रहा है।
संजय गुप्ता

शहर के कई मोहल्लों में जलावर्धन योजना की पाइप लाइन पड़ गई है। बिल भी लोगों के घरों में आने लगे हैं। लेकिन सप्लाई नहीं दी जा रही है।
नरेन्द्र द्विवेदी
हमारे कॉम्प्लेक्स में स्वच्छता अभियान नहीं दिखता है। पहले की तरह ही 50 से 100 रुपए महीना देकर कचरा उठवाते हैं। जबकि वसूली करने आ आते हैं।
अमरीश गुप्ता

शहर में प्रदूषण सबसे बड़ा मुद्दा है। कोई भी सड़क चलने लायक नहीं बची है। नेताओं को शहर में प्रदूषण दिखता ही नहीं है बड़ी-बड़ी कारों में निकल जाते हैं।
बाबू जोतवानी
दोनों बड़ी पार्टियां सतना संसदीय क्षेत्र में युवा उम्मीदार को टिकट नहीं देती है। घूम फिरकर वही पिटे चहरे हैं। क्योंकि जात-पात का गुणा-गणित देखते हैं।
राजेश सिंह

शहर से लेकर गांव तक लोग नेताओं और अफसरों से परेशान हैं। पात्र लोग योजना से वंचित है क्योंकि वह कमीशन नहीं दे पाते।
आशीष सेन
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