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मध्यप्रदेश में मुर्दों को भी नहीं मिलता सुकून, जानवर नोच खा जाते हैं शव

locationसतनाPublished: Aug 31, 2018 12:40:58 pm

Submitted by:

suresh mishra

मध्यप्रदेश में मुर्दों को भी नहीं मिलता सुकून, जानवर नोच खा जाते हैं शव, कचरे के ढेर में दफन कर देते हैं लावारिस लाश

murda ghar postmortem in satna

murda ghar postmortem in satna

सतना। जिले में मुर्दों को भी सुकून नहीं मिलता है। मृत्यु के बाद जिनकी पहचान नहीं होती, उनके शव लावारिस मानकर दफन कर दिए जाते हैं। लापरवाह तंत्र की वजह से एेसे व्यक्तियों को मरने के बाद भी सुकून नहीं मिलता। कारण, पुलिस और नगरीय निकाय के जिम्मेदार कचरे के ढेर पर शव दफन कर खानापूर्ति कर देते हैं। जहां लावारिस शव दफनाए जा रहे हैं।
उसके आसपास सामान्य व्यक्ति कदम रखने से भी कतराते हैं। पत्रिका ने जब हकीकत जानने की कोशिश की तो पता चला कि पोस्टमार्टम के बाद स्वीपर के हवाले शव कर दिए जाते हैं। एेसे में वह गंदगी और कचरे के ढेर के बीच गड्ढा खोदकर बिना कफन के ही दफन कर देते हैं। यह सिलसिला कई वर्ष से चला आ रहा है, लेकिन किसी ने गंभीरता नहीं बरती।
रेलवे में पांच हजार तक
राजकीय रेल पुलिस को लावारिस शव का कफन दफनाने के लिए अब तक रेलवे से एक हजार रुपए मिलते थे। हाल ही में जारी नए आदेश के बाद परिस्थितियों को देखते हुए यह राशि पांच हजार रुपए तक बढ़ा दी गई है। अगर जीआरपी के दायरे में सतना स्टेशन के बाहर से लावारिस शव लाकर उसका कफन दफन करना है तो वाहन, स्वीपर व कफन का पूरा खर्च रेलवे देता है। इसके लिए जीआरपी की सूचना पर स्टेशन प्रबंधक रेलवे राशि जारी करते हैं।
गड्ढा तक नहीं खोदते
कई साल पहले तक सतना नदी के पास लावारिस शव दफन किए जाते थे। अब हवाई पट्टी के पास आदर्श नगर से लगी उस जमीन पर शव दफनाए जाते हैं जहां पूरे शहर का कचरा डंप किया जाता है। कचरा वाहन गुजरने वाले रास्ते के किनारे ही स्वीपर महज ढाई फीट का गड्ढा खोद कर बिना कफन के ही शव दफन कर देते हैं। कई बार तो यह नौबत भी आती है कि जानवर कब्र की मिट्टी खोद शव नोंच लेते हैं।
कचरा गाड़ी में शव
हाल ही में यह बात भी सामने आई कि शव वाहन नहीं मिलने पर कचरा गाड़ी से ही लावारिस शव ले जाकर दफना दिया जाता है। एक बड़ी बात तो यह भी है कि विकास के पथ पर दौड़ रहे सतना नगर पालिक निगम के पास एक अदद शव वाहन तक नहीं है। लावारिस मृतकों को किराए की गाड़ी में ही कफन दफन के लिए भेजा जाता है। एेसे में लापरवाही पर उतारू जिम्मेदार किराए की गाड़ी तलाशने से बचने के लिए कचरा गाड़ी तक में शव भेजने से परहेज नहीं कर रहे।
शहर में पांच सौ रुपए
शहर पुलिस का कहना है कि लावारिस शव का कफन दफन करने के लिए नगरीय निकाय वाहन मुहैया कराने के साथ पांच सौ रुपए की राशि देता है। अगर वाहन प्राइवेट तौर पर मंगाया जाता है तो उसकी रसीद लगाकर भुगतान लिया जाता है। इसी तरह ग्राम पंचायत स्तर पर दो हजार रुपए तक की राशि जारी की जाती है। पुलिस के आंकड़ों पर गौर करें तो प्रत्येक तीन दिन में एक लावारिस व्यक्ति का शव दफन करने की प्रक्रिया जिले में की जाती है। शहर की अपेक्षा आसपास इलाकों में यह संख्या कम है।
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Patrika IMAGE CREDIT: Patrika

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