यह स्थिति तब है जब दिसंबर 2014 में प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री ने नक्शा विहीन गांवों पर सख्त आपत्ति लेते हुए तेजी से काम करते हुए इन गांवों के नक्शा बनवाने के निर्देश मुख्य सचिव को दिए थे। इसके बाद तत्कालीन मुख्य सचिव अंटोनी डिसा और आयुक्त भू-अभिलेख ने जिला प्रशासन को पत्र लिखे थे। जिले में तो प्रदेश के सबसे ज्यादा नक्शा विहीन गांव होने के कारण सीएलआर ने अलग से आरआई तक पदस्थ किए थे।
284 नक्शे किसी काम के नहीं
नक्शा विहीन के अलावा 284 गांवों के नक्शे ऐसे हैं जो कहने को तो मौजूद हैं पर वे अब किसी काम के नहीं रह गए। इनकी हालत जीर्ण-शीर्ण हो चुकी है। ऐसे में इन गांवों में भी नक्शा आधारित कोई काम नहीं हो सकता। सर्वाधिक जीर्णशीर्ण नक्शे उचेहरा तहसील में हैं। रघुराजनगर में जीर्णशीर्ण नक्शों की संख्या 47, नागौद में 41, उचेहरा में 61, अमरपाटन में 15, मझगवां में 31, बिरसिंहपुर में 38, रामपुर बाघेलान में 21, मैहर में 19, रामनगर में 0 तथा कोटर में 285 गांवों के नक्शे पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हालत में हैं।
नक्शा विहीन के अलावा 284 गांवों के नक्शे ऐसे हैं जो कहने को तो मौजूद हैं पर वे अब किसी काम के नहीं रह गए। इनकी हालत जीर्ण-शीर्ण हो चुकी है। ऐसे में इन गांवों में भी नक्शा आधारित कोई काम नहीं हो सकता। सर्वाधिक जीर्णशीर्ण नक्शे उचेहरा तहसील में हैं। रघुराजनगर में जीर्णशीर्ण नक्शों की संख्या 47, नागौद में 41, उचेहरा में 61, अमरपाटन में 15, मझगवां में 31, बिरसिंहपुर में 38, रामपुर बाघेलान में 21, मैहर में 19, रामनगर में 0 तथा कोटर में 285 गांवों के नक्शे पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हालत में हैं।
रामपुर में सर्वाधिक नक्शाविहीन
जिले की स्थिति तहसीलवार देखें तो रामपुर बाघेलान में सर्वाधिक नक्शा विहीन गांव हैं। यहां 26 गांवों के नक्शे नहीं हैं। रघुराजनगर तहसील में 14, नागौद में 11, उचेहरा में 8, अमरपाटन में 5, मझगवां में 22, बिरसिंहपुर में 2, मैहर में 3, रामनगर में 3, कोटर में 1 गांव नक्शाविहीन है। इन गांवों के नक्शे न केवल हल्का पटवारी बल्कि जिला रिकार्ड रूम से भी गायब हैं। सवाल यह उठता है कि आखिर जिला रिकार्ड रूम से नक्शे कैसे गायब हुए हैं।
जिले की स्थिति तहसीलवार देखें तो रामपुर बाघेलान में सर्वाधिक नक्शा विहीन गांव हैं। यहां 26 गांवों के नक्शे नहीं हैं। रघुराजनगर तहसील में 14, नागौद में 11, उचेहरा में 8, अमरपाटन में 5, मझगवां में 22, बिरसिंहपुर में 2, मैहर में 3, रामनगर में 3, कोटर में 1 गांव नक्शाविहीन है। इन गांवों के नक्शे न केवल हल्का पटवारी बल्कि जिला रिकार्ड रूम से भी गायब हैं। सवाल यह उठता है कि आखिर जिला रिकार्ड रूम से नक्शे कैसे गायब हुए हैं।
379 गांवों में सीमांकन बड़ी समस्या
जिले में कुल 2125 गांव हैं। 95 नक्शा विहीन और 284 जीर्णशीर्ण नक्शे वाले ग्रामों को मिलाकर 379 गांव ऐसे हैं जहां सीमांकन बड़ी समस्या है। नक्शा नहीं होने से सीमांकन का मामला लटका रहता है तो अन्य शासकीय कार्य जिनमें नक्शों की आवश्यकता होती है वह भी लोगों के नहीं हो पा रहे। ऐसे में लोग लगातार कई सालों से परेशान हैं। जिले के जिम्मेदार अफसर मामले में चुप्पी साधे बैठे हैं। आरोप है कि 2014 के आदेश के बाद भी जिले में नक्शे नहीं बनने का सबसे बड़ा दोष अगर किसी का है तो वह है एसएलआर का।
जिले में कुल 2125 गांव हैं। 95 नक्शा विहीन और 284 जीर्णशीर्ण नक्शे वाले ग्रामों को मिलाकर 379 गांव ऐसे हैं जहां सीमांकन बड़ी समस्या है। नक्शा नहीं होने से सीमांकन का मामला लटका रहता है तो अन्य शासकीय कार्य जिनमें नक्शों की आवश्यकता होती है वह भी लोगों के नहीं हो पा रहे। ऐसे में लोग लगातार कई सालों से परेशान हैं। जिले के जिम्मेदार अफसर मामले में चुप्पी साधे बैठे हैं। आरोप है कि 2014 के आदेश के बाद भी जिले में नक्शे नहीं बनने का सबसे बड़ा दोष अगर किसी का है तो वह है एसएलआर का।
नहीं मिलता विभिन्न योजनाओं का लाभ
बताया गया कि इसके पीछे मंशा यह रहती है कि नक्शा विहीन गांवों के मामले तहसीलदार न सुनकर एसएलआर के पास जाते हैं। ऐसे में यहां अपने लाभ को देखते हुए नक्शाविहीन की स्थिति बनाए रखी गई। साथ ही जीर्णशीर्ण होने से पहले नक्शों की ट्रेसिंग कराने का जिम्मा भी एसएलआर भू-प्रबंधन का होता है पर उन्होंने इस पर भी कोई काम नहीं किया। लिहाजा, आज इन गांवों में जमीन विवाद की स्थिति का निपटारा नहीं हो पा रहा तो लोगों के अन्य काम भी प्रभावित हो रहे हैं। नक्शे के अभाव में विभिन्न योजनाओं का लाभ भी लोग नहीं ले पा रहे हैं।
बताया गया कि इसके पीछे मंशा यह रहती है कि नक्शा विहीन गांवों के मामले तहसीलदार न सुनकर एसएलआर के पास जाते हैं। ऐसे में यहां अपने लाभ को देखते हुए नक्शाविहीन की स्थिति बनाए रखी गई। साथ ही जीर्णशीर्ण होने से पहले नक्शों की ट्रेसिंग कराने का जिम्मा भी एसएलआर भू-प्रबंधन का होता है पर उन्होंने इस पर भी कोई काम नहीं किया। लिहाजा, आज इन गांवों में जमीन विवाद की स्थिति का निपटारा नहीं हो पा रहा तो लोगों के अन्य काम भी प्रभावित हो रहे हैं। नक्शे के अभाव में विभिन्न योजनाओं का लाभ भी लोग नहीं ले पा रहे हैं।