scriptकैसे सुधरे बोर्ड परिणाम: विद्यालय प्राचार्य विहीन, अतिथि भरोसे शिक्षा | Neither the teacher nor the principal, how to improve the board result | Patrika News

कैसे सुधरे बोर्ड परिणाम: विद्यालय प्राचार्य विहीन, अतिथि भरोसे शिक्षा

locationसतनाPublished: May 30, 2019 11:23:09 pm

Submitted by:

Ramashankar Sharma

समीक्षा में सामने आई खामी, परिणाम सुधारने शासन स्तर से उठाने होंगे कदम
 

School education

School education

सतना. इस बार दसवीं और बारहवीं बोर्ड परीक्षा के परिणाम घोषित होने के साथ ही स्कूल शिक्षा महकमे में हड़कंप मचा हुआ है। शासन स्तर से लेकर जिला स्तर पर समीक्षा का दौर शुरू हो गया है। सतना जिले में भी परिणामों की समीक्षा हुई। कक्षा दसवीं के परिणामों की समीक्षा में जो तथ्य निकल कर सामने आए हैं उसमें सबसे बड़ा कारण विद्यालयों में शैक्षणिक अमले की कमी है। इसके अलावा विद्यालयों में प्राचार्यों के पद खाली हैं। कई विद्यालय तो ऐसे हैं जहां एक भी शिक्षक नहीं है। कल्पना की जा सकती है उन विद्यालयों में पठन पाठन कैसे हो रहा होगा और यहां के विद्यार्थी कैसे बेहतर परिणाम दे सकेंगे। इसके अलावा चुनावी राजनीति में दफन कर दिए गए एम-शिक्षा मित्र की उपयोगिता भी सामने आई है। अब जरूरी हो गया है कि एम-शिक्षा मित्र का प्रयोग सख्ती से लागू किया जाए। इसका विरोध कामचोरी करने वाले और अनियमित रहने वाले शिक्षकों या फिर संगठन के नेताओं ने ही किया था।
सतना जिले में 0 से 30 फीसदी रिजल्ट देने वाले विद्यालयों की समीक्षा में पाया गया कि 36 हाइस्कूल और 24 हायर सेकंडरी विद्यालय कुल 60 विद्यालयों में परीक्षा परिणाम 30 फीसदी से कम रहा है। इनके कमजोर परिणामों की समीक्षा में पाया गया कि 60 विद्यालयों में से 16 विद्यालयों में ही नियमित प्राचार्य कार्यरत हैं, शेष 44 में प्राचार्य पद रिक्त है।
बिना शिक्षक के स्कूल
30 फीसदी से कम परिणाम वाले 60 विद्यालयों में से 19 नवीन उन्नत हाइस्कूल हैं। इसमें हैरान करने वाली बात यह सामने आई है कि 17 विद्यालय 0 शिक्षकीय शाला है। अर्थात एक भी शिक्षक पदस्थ नहीं है। 8 विद्यालय 1 शिक्षकीय हैं। यह भी पाया गया कि इन विद्यालयों में पर्याप्त विषयवार योग्य शिक्षक उपलब्ध नहीं है।
अतिशि शिक्षकों के भरोसे शिक्षा
30 फीसदी से नीचे वाले ज्यादातर विद्यालयों में पढ़ाई अतिथि शिक्षकों के भरोसे है और अतिथि शिक्षकों की भर्ती भी विलंब से हुई थी। इन 60 विद्यालयों में 3 विद्यालय नगरीय तथा 57 विद्यालय ग्रामीण एवं दूरांचल स्तर के हैं। नियमित शिक्षक एवं योग्य विषयवार अतिथि शिक्षक न मिलने के कारण नियमित शिक्षण, ब्रिज कोर्स व रेमेडियल कक्षाओं का संचालन प्रभावी रूप से नहीं हुआ। यह भी पाया गया कि छात्रों को नियमित गृहकार्य नहीं दिया गया और सही ढंग से चेक नहीं किया गया न ही गलतियों में सुधार कार्य कराया।
कुर्सी तोड़ते रहे अधिकारी
विभाग अधिकारियों ने भी जिम्मेदारी से काम नहीं किया। ज्यादातर समय दफ्तर में बैठ कर कुर्सी तोड़ते रहे। पाया गया कि शैक्षणिक सत्र के दौरान अकादमिक मानीटरिंग प्रभावी रूप से नहीं की गई। इस कारण विद्यार्थियों के स्तर सुधारने संस्था स्तर से भी कमी बनी रही।
गलत योजना से बंटाधार
विभाग ने रिजल्ट बेहतर करने भले ही बेस्ट ऑफ 5 योजना लाई लेकिन इसका दुष्परिणाम सामने आया है। इसके तहत विद्यार्थी जिस एक विषय को कठिन समझता है उसका अध्ययन छोड़ देता है। ऐसी स्थिति में यदि पांच में किसी एक विषय मे अनुत्तीर्ण होने पर कुल अनुत्तीर्ण होने वाले विषय दो हो जाते हैं, जो कि अनुत्तीर्ण होने का प्रमुख कारण बनता है ।
परिणाम बढ़ाने यह बनाई योजना
खराब परिणामों से सबक लेते हुए जिला शिक्षाधिकारी ने इस बार योजना तैयार की है। जिसमें एक सख्त निर्णय भी लिया गया है। 30 फीसदी से कम रिजल्ट देने वाले विद्यालयों में 17 विद्यालय ऐसे हैं जहां नियमित प्राचार्य पदस्थ हैं। लेकिन इन्होंने विद्यालय के प्रशासकीय और अकादमिक स्तर पर उदासीनता बरती। इन्हें जिले से बाहर अन्यत्र पदस्थ करने का प्रस्ताव भेजा जा रहा है। शेष 45 विद्यालयों में निकटस्थ अन्य विद्यालयों के वरिष्ठ व्याख्याता या वरिष्ठ अध्यापक को प्रभारी प्राचार्य के रूप में पदांकित करने का प्रस्ताव भेजा गया है।
याद आया युक्तियुक्तकरण
उन हाइ स्कूल एवं हायर सेकंडरी विद्यालयों में जहां छात्र संख्या के मान से अधिक शिक्षक उपलब्ध हैं उनका युक्तियुक्तकरण के द्वारा आवश्यकता वाले विद्यालयों में पदांकन करने का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। इसके अलवा इन विद्यालयों में जिन विषयों में 30 फीसदी से कम रिजल्ट आया है उनके अतिथि शिक्षक को जिले में कही भी दोबारा शैक्षणिक कार्य के लिये आमंत्रित नहीं करने का निर्णय लिया गया है।
तो होगी कार्रवाई
12 जून को शिक्षकों की परीक्षा ली जाएगी। इस परीक्षा में जो भी शिक्षक असफल होगा उनपर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा जिला स्तरीय मॉनिटरिंग टीम गठित की जाएगी। जिसमें डीइओ, डाइट प्राचार्य, सहायक संचालक, डीपीस, एडीपीसी रमसा, योजना अधिकारी शामिल होंगे। इन्हें सप्ताह में कम से कम दो विद्यालयों का निरीक्षण करना होगा।
निदानात्मक कक्षाओं पर जोर
जिले में निदानात्मक कक्षाओं की प्रक्रिया इस साल बेमानी रही। इस साल यह व्यवस्था सुचारू की जाएगी। वहीं लक्षित समूह में कक्षा 9 उत्तीर्ण एवं कक्षा 10 अनुत्तीर्ण छात्रों में से विषयवार ऐसे छात्रों का चयन गिया जाएगा जिनका परिणाम 50 प्रतिशत से कम है उनके लिए उपचारात्मक कक्षाओं की व्यवस्था की जाएगी।
राज्य स्तर से अपेक्षाएं
परिणाम सुधारने राज्य स्तर से भी अपेक्षाएं की गई हैं। इनमें विद्यालयों में नियमित प्राचार्य की पदस्थापना, विषयवार योग्य नियमित शिक्षकों का पदांकन, आवश्यकता अनुसार अतिथि शिक्षकों की उपलब्धता सत्र प्रारंभ के महीनों में किया जाए। साथ ही एम शिक्षा मित्र का प्रभावी क्रियान्वयन किया जाए।
प्राचार्यों के पद रिक्तता की जानकारी

उ.मा.वि.
स्वीकृत – कार्यरत – रिक्त

148 – 65 – 83
हाइ स्कूल

स्वीकृत – कार्यरत – रिक्त
140 – 50 – 90

ट्रेंडिंग वीडियो