सहायक फायर अधिकारी ने बताया, जांच के दौरान किसी भी शैक्षणिक संस्था के पास फायर एनओसी नहीं मिली। भवन में किसी भी प्रकार के फायर सेफ्टी उपकरण भी नहीं मिले। संस्थाओं में न फायर किट मिली न आग बुझाने बालू किट, आग पर काबू पाने पानी टैंक के इंतजाम मिले। सभी कोचिंग सेंटर बच्चों की जान से खिलवाड़ करते पकड़े गए। इस मामले में तीनों संस्थानों को राष्ट्रीय भवन संहिता २०१६, मप्र नगर निगम अधिनियम १९५६ तथा मप्र भूमि विकास नियम १९८४ के मापदंडों का गंभीर रूप से उल्लंघन करते पाने पर नोटिस जारी कर तीन दिन में स्पष्टीकरण मांगा गया है।
आग लगे तो हादसा तय
जांच टीम के अधिकारियों ने बताया, शैक्षणिक संस्थानों में एक हजार से अधिक छात्रों के पंजीयन हैं। इसके बाद भी संस्थानों ने आग से बचाव के इंतजामों को गंभीरता से नहीं लिया। संस्थानों में फायर सेफ्टी इंतजाम न होने के साथ ही आग लगने पर निकासी के लिए कोई एग्जिट दरवाजा भी नहीं है। जांच में यह बात सामने आई कि कोचिंग सेंटरों में छात्रों के अंदर जाने और बाहर आने का एक ही रास्ता है। सीढि़या भी संकरी हंै। एेसे में यदि संस्थान में आग्नि हादसा होता है, तो बच्चों को बहार निकलना संभव नहीं है।
सूरत हादसे के बाद टूटी नींद
शहर के अंदर बिना फायर एनओसी के वर्षों से कोचिंग सेंटर संचालित हैं। लेकिन आज तक जिला एवं निगम प्रशासन ने इन संस्थाओं की मनमानी की ओर ध्यान नहीं दिया। सूरत में हुए अग्नि हादसे के बाद प्रदेश सरकार ने प्रदेश के कोचिंग सेंटरों की जांच कराने के निर्देश दिए तब जाकर निगम प्रशासन की नींद टूटी। फायर अधिकारी ने बताया की रविवार को अधिकांश कोचिंग संस्थान बंद थे, इसलिए तीन सेंटरों की जांच की गई। सोमवार को अन्य सेंटरों की जांच कर फायर सेफ्टी की जानकारी ली जाएगी।