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कोचिंग सेंटर व शैक्षणिक संस्थानों में नहीं फायर सेफ्टी के कोई इंतजाम

locationसतनाPublished: May 27, 2019 12:41:02 am

Submitted by:

Sukhendra Mishra

नगर निगम की फायर टीम के निरीक्षण में खुली पोल, तीन संस्थाओं को थमाया नोटिस

कोचिंग सेंटर व शैक्षणिक संस्थानों में नहीं फायर सेफ्टी के कोई इंतजाम

कोचिंग सेंटर व शैक्षणिक संस्थानों में नहीं फायर सेफ्टी के कोई इंतजाम

सतना. जिला मुख्यालय पर प्रशासन की नाक के नीचे एक सैकड़ा कोचिंग सेंटर व शैक्षणिक संस्थान संचालित हैं। लेकिन, किसी भी संस्था में फायर सेफ्टी के इंतजाम नहीं हैं। अभिभावक हजारों रुपए फीस देकर अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए जिन कोचिंग सेंटरों में भेजते हैं, वहां पर बच्चों की सुरक्षा भगवान भरोसे है। इसकी पोल रविवार को नगर निगम द्वारा कोचिंग सेंटर व शैक्षणिक संस्थानों की कराई गई जांच में खुली।
निगमायुक्त संदीप जी राजप्पा के निर्देश पर नगर निगम के सहायक फायर अधिकारी राम प्रसाद सिंह ने अपनी टीम के साथ रीवा रोड स्थित तीन शैक्षणिक संस्थाओं का निरीक्षण किया। एक भी संस्था में आग से बचाव के इंतजाम नहीं मिले। इसे गंभीर लापरवाही मानते हुए फायर अधिकारी ने तीनों शैक्षणिक संस्थान डाटा केयर सेंटर पलकम बिल्डिंग रीवा रोड तथा कॅरियर पॉवर संस्थान वाधवानी टॉवर सहित एक अन्य को नोटिस जारी कर तीन दिन में फायर सेफ्टी के इंतजाम न होने पर स्पष्टीकरण मांगा है। संस्थानों से संतोषजनक जवाब न मिलने पर तालाबांदी की चेतावनी दी गई है।
न फायर एनओसी न फायर सेफ्टी की व्यवस्था
सहायक फायर अधिकारी ने बताया, जांच के दौरान किसी भी शैक्षणिक संस्था के पास फायर एनओसी नहीं मिली। भवन में किसी भी प्रकार के फायर सेफ्टी उपकरण भी नहीं मिले। संस्थाओं में न फायर किट मिली न आग बुझाने बालू किट, आग पर काबू पाने पानी टैंक के इंतजाम मिले। सभी कोचिंग सेंटर बच्चों की जान से खिलवाड़ करते पकड़े गए। इस मामले में तीनों संस्थानों को राष्ट्रीय भवन संहिता २०१६, मप्र नगर निगम अधिनियम १९५६ तथा मप्र भूमि विकास नियम १९८४ के मापदंडों का गंभीर रूप से उल्लंघन करते पाने पर नोटिस जारी कर तीन दिन में स्पष्टीकरण मांगा गया है।
आग लगे तो हादसा तय
जांच टीम के अधिकारियों ने बताया, शैक्षणिक संस्थानों में एक हजार से अधिक छात्रों के पंजीयन हैं। इसके बाद भी संस्थानों ने आग से बचाव के इंतजामों को गंभीरता से नहीं लिया। संस्थानों में फायर सेफ्टी इंतजाम न होने के साथ ही आग लगने पर निकासी के लिए कोई एग्जिट दरवाजा भी नहीं है। जांच में यह बात सामने आई कि कोचिंग सेंटरों में छात्रों के अंदर जाने और बाहर आने का एक ही रास्ता है। सीढि़या भी संकरी हंै। एेसे में यदि संस्थान में आग्नि हादसा होता है, तो बच्चों को बहार निकलना संभव नहीं है।
सूरत हादसे के बाद टूटी नींद
शहर के अंदर बिना फायर एनओसी के वर्षों से कोचिंग सेंटर संचालित हैं। लेकिन आज तक जिला एवं निगम प्रशासन ने इन संस्थाओं की मनमानी की ओर ध्यान नहीं दिया। सूरत में हुए अग्नि हादसे के बाद प्रदेश सरकार ने प्रदेश के कोचिंग सेंटरों की जांच कराने के निर्देश दिए तब जाकर निगम प्रशासन की नींद टूटी। फायर अधिकारी ने बताया की रविवार को अधिकांश कोचिंग संस्थान बंद थे, इसलिए तीन सेंटरों की जांच की गई। सोमवार को अन्य सेंटरों की जांच कर फायर सेफ्टी की जानकारी ली जाएगी।
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