फेल हुए पर निराश नहीं और बन गए आईपीएस, आइएस
आइए हम बताते हैं आपको देश के कुछ ऐसे आईएएस और आईपीएस अफ सरों के बारे में जो कभी फेल हुए, तो किसी को सप्लीमेट्री आई, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। जीवन का लक्ष्य तय किया और ऐसे सफ र पर निकले, जहां सिर्फ सफ लता ने ही उनका दामन थामा और उनके कदमों को चूमती हुई शिखर तक ले गई।
आइए हम बताते हैं आपको देश के कुछ ऐसे आईएएस और आईपीएस अफ सरों के बारे में जो कभी फेल हुए, तो किसी को सप्लीमेट्री आई, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। जीवन का लक्ष्य तय किया और ऐसे सफ र पर निकले, जहां सिर्फ सफ लता ने ही उनका दामन थामा और उनके कदमों को चूमती हुई शिखर तक ले गई।
डिग्री में फेल हुए अब आईपीएस आईआईटी कानपुर में गौरव अग्रवाल पढ़ते थे। वे अपनी डिग्री में फेल हो गए। एक वर्ष अतिरिक्त पढऩा पड़ा, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। यूपीएससी की परीक्षा दी और आज वे आईपीएस हैं।
छोडऩा पड़ा स्कूल
वी नंदकुमारम की दास्ता तो और भी कठिनाई भरी हैए उन्हें स्कूल छोडऩा पड़ा था। वे पढ़ाई में अच्छे थेए उन्होंने हार नहीं मानी और आखिरकार आज वे इंकमटेक्स में डिप्टी कमिश्नर हैं।
वी नंदकुमारम की दास्ता तो और भी कठिनाई भरी हैए उन्हें स्कूल छोडऩा पड़ा था। वे पढ़ाई में अच्छे थेए उन्होंने हार नहीं मानी और आखिरकार आज वे इंकमटेक्स में डिप्टी कमिश्नर हैं।
12 वीं में फेल, बने आइएएस
उमेश कुमार पढाई में अच्छे थे, लेकिन जब 12 वीं का रिजल्ट उनके हाथ आया, तो वे घबरा गए। उन्हें लगा कि जिंदगी के सारे रास्ते बंद हो गए, लेकिन ऐसा नहीं, परिजनों ने उनका साथ दिया तो उन्होंने खुद को साबित कर दिखाया और आज वे आईएसएस हैं। छठवीं फेल यूपीएससी टॉपर रूकमणि नायर छटवीं में फेल हो गईं। लेकिन उन्होंने यूपीएससी में टॉप किया।
उमेश कुमार पढाई में अच्छे थे, लेकिन जब 12 वीं का रिजल्ट उनके हाथ आया, तो वे घबरा गए। उन्हें लगा कि जिंदगी के सारे रास्ते बंद हो गए, लेकिन ऐसा नहीं, परिजनों ने उनका साथ दिया तो उन्होंने खुद को साबित कर दिखाया और आज वे आईएसएस हैं। छठवीं फेल यूपीएससी टॉपर रूकमणि नायर छटवीं में फेल हो गईं। लेकिन उन्होंने यूपीएससी में टॉप किया।
नबंर नहीं निर्धारित करते योग्यता, सचिन और जुकरबर्ग से ले प्रेरणा शहर की एक्सपर्ट डॉ. आभा गोयल का कहना है कि पढ़ाई से किसी की योग्यता निर्धारित नहीं होती, भारत में कुछ ऐसी हस्तियां हैंए जो या तो कभी स्कूल नहीं गईं या फि र या फि र विभिन्न परीक्षाओं में या कक्षाओं में फेल हो गएए लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। सचिन तेंदूलकर दसवीं पास नहीं हुए, बारवीं पास नहीं, जुकरबर्ग भी कम पढ़ाई की, लेकिन उन्होंने बड़ा काम किया। इसलिए जिन बच्चों को रिजल्ट अच्छा नहीं आया है, वे निराश न हों। क्योंकि जिंदगी एक बार मिलती है और मौके बार-बार। परीक्षाओं में हम भले ही फेल हो जाएं, लेकिन जिंदगी की परीक्षा के लिए हमेशा तैयार रहना है।
पैरेंट्स इन बातों का ध्यान पैरेंट्स फेल या कम अंक लाने वाले बच्चों पर कम से कम ४८ घंटे तक नजर रखें। वे बच्चों को इस समय में सपोर्ट करें। अच्छे नंबर नहीं आए, फि र भी बच्चे के साथ खुशियां मनाएं और यदि बच्चे को सब्लीमेट्री आई है या वह फेल हो गया है, तो भी उसका साथ दें और दोबारा प्रयास करने के लिए मोटीवेट करें। बच्चों का मन बहुत ही कोमल होता है, इसलिए उनके ऊपर किसी भी तरह का दवाब न बनाएं। उनके हर एक्टिविटी पर नजर रखें। उनके साथ समय बिताएं। उनके मोबाइल और सोशलमीडिया पर नजर रखें। बिहैव में कोई परिवर्तन आ रहा हो तो तुंरत डाक्टर से संपंर्क करें। उनके दोस्तों, रिश्तेदार, पड़ोसियों को समझाएं कि बच्चों के सामने कोई भी नकारात्मक बात न करें।
नंबर कम आने और फेल होने से योग्यता नहीं निर्धारित की जा सकती। जो भी बच्चे असफल हुए हैं उनका ध्यान रखना माता पिता, शिक्षक, दोस्त परिवार सभी की जिम्मेदारी है। उनके साथ रहे। अच्छा वातावरण दें। जीवन में फेल होकर सफलता हासिल करने वाली हंस्तियों की कहानी सुनाएं।
डॉ. दिवाकर सिंह सिकरवार, साइकोलॉजिस्ट