कोरोना वायरस के संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए सफाई, शारीरक दूरी के साथ जांच सबसे जरूरी माना गया है। जांच से ही तो यह पता चलेगा कि कौन कोरोना पॉजिटिव है। जांच रिपोर्ट आने के बाद ही संबंधित को क्वारंटीन किया जाएगा या उसे अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में भेज कर इलाज होगा। जांच रिपोर्ट के आधार पर ही इलाके को हॉटस्पॉट घोषित किया जाएगा। लेकिन उसी का पर्याप्त इंतजाम नहीं है।
अब सतना का ही उदाहरण लें तो यहां कोरोना संदिग्द्धों की जांच का दायित्व रीवा मेडिकल कॉलेज पर है। रीवां मेडिकल कॉलेज पर दो संभाग के नमूनों के जांच का भार है। ऐसे में जांच में तीन से चार दिन लग रहे हैं। अब तो मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने कह दिया है कि जिनकी जांच ज्यादा जरूरी हो उनके ही नमूने भेजे जाएं।
इस बाबत स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि कोरोना वायरस के संक्रमण के खतरे के मद्देनजर ज्यादा से ज्यादा लोगों की सैंपलिंग कराई जा रही है। लेकि जांच केंद्रों में बैकलॉग बढ़ने से रिपोर्ट आने में विलंब हो रहा है। तीन से चार दिन लग रहे हैं। जांच में देरी से संदिग्ध रोगी की पहचान करने से लेकर अन्य सावधानियां बरतने में भी देर हो रही है जो बड़ी चूक का कारण बन सकती है।
बता दें कि रीवा मेडकल कॉलेज मे 21 अप्रैल से कोरोना वायरस के संदिग्ध मरीजों के थ्रोट सैपल की जांच शुरू हुई। रीवा डिवीजन के सतना, सीधी, सिंगरौली के अलावा शहडोल, संभाग के जिलों के संदिग्ध मरीजों से नमूने भी यहीं भेजे जा रहे हैं। ऐसे में यहां रोजाना 50-60 नमूने आ रहे हैं जबकि स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि लैब में एक दिन में अधिकतम 30 नमूनों की ही जांच हो सकती है। ऐसे में बैकलॉग लाजमी है।
बता दें कि रीवा मेडकल कॉलेज मे 21 अप्रैल से कोरोना वायरस के संदिग्ध मरीजों के थ्रोट सैपल की जांच शुरू हुई। रीवा डिवीजन के सतना, सीधी, सिंगरौली के अलावा शहडोल, संभाग के जिलों के संदिग्ध मरीजों से नमूने भी यहीं भेजे जा रहे हैं। ऐसे में यहां रोजाना 50-60 नमूने आ रहे हैं जबकि स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि लैब में एक दिन में अधिकतम 30 नमूनों की ही जांच हो सकती है। ऐसे में बैकलॉग लाजमी है।
उधर जिला अस्पताल में सोमवार से भेजे जा रहे नमूनों की जांच रिपोर्ट गुरुवार तक नहीं आ पाई थी। यहां पिछले चार दिन में 34 संदिग्धों के नमून भेजे गए थे जिसमें से एक की भी रिपोर्ट नहीं आ पाई।