नवाचार करने वाले शिक्षक रामानुज पाठक बताते हैं, पिन कोड की तरह ही इलेक्ट्रॉनों में क्वाटम संख्याओं का एक सेट होता है। ये क्वांटम संख्याएं किसी तत्व के बारे में बहुमूल्य जानकारी देती हैं। सबसे बाहरी इलेक्ट्रॉन की क्वांटम संख्या के आधार पर एक तत्व आवर्त सारणी में अपना विशेष स्थान प्राप्त करता है। नवाचार में जहां पोस्टकार्ड या अंतरदेशी पत्रों का संरक्षण होगा, वहीं रसायन विज्ञान में रुचिकर ढंग से क्वांटम संख्याओं को सीखा जा सकता है। शिक्षक मानते हैं मोबाइल के युग में ज्यादातर बच्चों को पोस्टकार्ड, पिनकोड के बारे में पता नहीं होता। ऐसे में बच्चे पिनकोड को याद रख सकेंगे।
ऐसे समझें
कक्षा के छात्रों को उनके एरिया के हिसाब से पिनकोड दिए गए हैं। छात्र इन्हें क्वांटम संख्या से ऐसे जोड़कर याद रखते हैं। किसी छात्र को सतना का 485001 पिनकोड दिया है। तो प्रथम अंक मुख्य छांटम होता है। दूसरा द्विगंशी, तीसरा, चुंबकीय व चौथा अंक चरण होता है। पिनकोड के साथ फार्मूला याद हो जाता है।
पिन कोड-क्वांटम संख्या का फार्मूला
पिन कोड में 6 अंक होते हैं। प्रथम अंक भौगोलिक क्षेत्र की जानकारी देता है। दूसरा राज्य की, तीसरा जिले की व अंतिम के तीन अंक पोस्ट ऑफिस की जानकारी देते हैं। वैसे ही चार क्वांटम संख्याएं होती हैं। मुख्य संख्या कक्षा या कक्ष के बारे में जानकारी देती है। दूसरी द्विगंशी या सहायक छांटम संख्या कक्षक की तीसरी चुंबकीय छांटम संख्या कक्षकों के प्रकार के बारे में बताती है। चौथी संख्या इलेक्ट्रॉन के चक्रण की दिशा की जानकारी देती है। कांटम संख्याओं को इलेक्ट्रॉन का पिन कोड या पोस्टल ऐड्रेस कहा जाता है।