सर्दी और बारिश में स्वाइन फ्लू प्रभाव दिखा सकता है। चिकित्सकों की मानें तो इस बदलते मौसम में एच-1 एन-1 वायरस तेजी से पनपता है।
सर्दी और बारिश में स्वाइन फ्लू प्रभाव दिखा सकता है। चिकित्सकों की मानें तो इस बदलते मौसम में एच-1 एन-1 वायरस तेजी से पनपता है।
हालांकि इस वर्ष अभीतक एक भी स्वाइन फ्लू का रोगी सामने नहीं आया है लेकिन ऐतियात के तौर पर चिकित्सा विभााग ने अलर्ट जारी किया है। साथ ही स्क्रीनिंग के निर्देश दिए गए हैं।
आरएनटी मेडिकल कॉलेज के माइक्रो बॉयलोजी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर सुशील साहू ने बताया कि स्वाइन फ्लू यानी ए टाइप एन्फ्लूएंजा एच-1 एन-1 वायरस से होता है।
यह श्वसन तंत्र से जुड़ी बीमारी है।
सर्दी, बारिश और कोहरे में यह वायरस तेजी से सक्रिय होता है। ऐसे में अतिरिक्त सावचेती बरतते हुए जुकाम, खांसी, बुखार को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
सीएमएचओ डॉ. जीएल मीणा ने बताया कि सभी बीसीएमओ को अतिरिक्त सतर्कता बरतने, स्क्रीनिंग करने, संदिग्ध मरीजों को तत्काल जिला अस्पताल के स्वाइन फ्लू वार्ड में भर्ती कराने को कहा गया है। हमारे पास टेमी फ्लू का पर्याप्त स्टॉक है।
45 एमजी की टेबलेट नहीं हैं। इसके लिए हमने जयपुर मांग भिजवा दी है। राजसमंद और नाथद्वारा अस्पताल में जांच किट भी उपलब्ध है।
सर्दी-जुकाम! अस्पताल पहुंचो टेमू फ्लू का स्टॉक
75 एमजी की 10990 टेबलेट
बच्चों के लिए 1419 सीरप
45 एमजी का स्टॉक नहीं
30 एमजी की 4090 टेबलेट
ये हैं श्रेणियां
ए : जुकाम और खांसी के रोगी।
बी : जुकाम और बुखार के रोगी।
सी : वायरल, निमोनिया के रोगी।
स्वाइन फ्लू के लक्षण
नाक बहना या जाम होना, छींकें आना।
ठण्ड से बुखार आना, गले में खराश।
नींद कम आना, थकान महसूस होना।
सिर दर्द, आंखे लाल होना।
सिर, मांसपेशियों में दर्द व अकडऩ महसूस होना।
कफ या कोल्ड और लगातार खांसी आना।
यह लोग बरतें विशेष सतर्कता
हृदय रोगी, डायबिटीज और अस्थमा से पीडि़त लोग, फेफड़े और किडनी सम्बन्धी समस्या से ग्रस्त लोग। ये बरतें एहतियात मास्क या टिश्यू पेपर का प्रयोग करें। लोगों से हाथ मिलने और चूमने से बचें। पीडि़त व्यक्ति से एक मीटर दूर रहें। बिना धुले हाथों से आंख, नाक या मुंह को न छुएं।
वायरस : सक्रियता और फैलाव
एच-1 एन-1 वायरस घरों में स्टील व प्लास्टिक में एक-दो दिन, कपड़ों व पेपर में 8 से 12 घंटे, टिश्यू पेपर में 15 मिनट, हाथों में 30 मिनट तक सक्रिय रहता है। स्वाइन फ्लू पीडि़त के खांसने व छींकने से हवा या जमीन पर गिरे थूक, मुंह या नाक से निकले द्रव कण जमीन पर गिरने से फैल सकता है।