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बड़ा अजूबा: स्वीडन के शोधकर्ताओं ने मध्यप्रदेश के सतना में खोज निकाले भगवान राम के जीवाश्म और भी कई रहस्यों से उठा पर्दा

locationसतनाPublished: Sep 06, 2017 03:09:00 pm

Submitted by:

suresh mishra

वनवास काल के रहस्य खंगालेंगे स्वीडन के शोधकर्ता, ९ दिन में हजार किमी की यात्रा, चित्रकूट में पौराणिक, आध्यात्मिक और प्राकृतिक रहस्यों का करेंगे अध्ययन

on the occasion of pitru paksha 2017 sweden scientist found lord rama footprints in satna

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सतना। स्वीडन के म्यूजियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री के शोधकर्ता 7 से 18 सितंबर तक वंडरफुल चित्रकूट डॉट काम के तहत एक हजार किमी की यात्रा कर यहां के पौराणिक, आध्यात्मिक और प्राकृतिक रहस्यों का अध्ययन करेंगे। दिव्य पर्यटन के नजरिए से आ रहे शोधकर्ता गुरूवार 7 सितम्बर को सुबह 10.30 बजे कर्वी के धुस मैदान स्थित जोग महल से यात्रा शुरू करेंगे।
शोधकर्ताओं के लिए आरामदायक चार पहिया वाहन, ऐतिहासिक, पौराणिक व अन्य महत्वपूर्ण स्थलों की जानकारी से सम्बंधित गाइड बुक, शारीरिक श्रम व जरूरत के हिसाब से आवश्यक कैलोरी को ध्यान में रखते हुए प्रोटीन, विटामिन्स और मिनरल्स युक्त शुद्ध सात्विक और हाईजेनिक भोज्य पदार्थों की व्यवस्था की गयी है।
कुदरत के करिश्मे के बीच दुस्साहसिक पर्यटन
यात्रा के यात्री चित्रकूट क्षेत्र के तमाम पौराणिक, ऐतिहासिक स्थलों के साथ-साथ दुस्साहसिक पर्यटन के विकास की संभावना तलाशते हुए कुदरत के करिश्मों के बीच आदि मानवों की गुफाओं, उनसे जुड़े किस्सों, विश्व प्रसिद्ध रचनाकारों, कला और संगीत के अनन्य साधकों, राजाओं, रजवाड़ों, राजसत्ता हासिल करने के लिए चली गयी शह और मात की चालों और रणबाकुरों की वीरता की कहानियों को जन जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से आ रहे है।
खोजा था 160 करोड़ वर्ष पुराना लाल शैवाल
स्वीडन के ही शोधकर्ताओं ने इसी वर्ष पृथ्वी पर पौधे के रूप में मौजूद जीवन के सर्वाधिक पुराने सबूत के तौर पर चित्रकूट की चट्टानों में दबे करीब 160 करोड़ वर्ष पुराने लाल शैवाल के जीवाश्म की खोज की थी।
उम्र भी शोघ का विषय
शोध के अनुसार ईसा पूर्व 5 जनवरी वर्ष 5089 को राम की 25वीं सालगिरह के पर पिता दशरथ ने वनवास जाने की आज्ञा दी थी। शोध के आधार पर सिर्फ 7106 वर्ष पहले राम ने चित्रकूट परिक्षेत्र में वनवास का तीन चौथाई से भी ज्यादा समय व्यतीत किया था। मगर चित्रकूट को न तो यूनेस्को ने विश्व धरोहर की मान्यता दी, और न ही केंद्र व राज्य सरकारों ने अनादि भू-भाग को पर्यटन मानचित्र में शामिल किया।
ऋषि-मुनियों के साधना स्थल भी
स्वीडन के शोधकर्ता अत्रि, अनुसुइया जैसे महान तपस्वियों की तपस्थली, देवताओं के गुरु बृहस्पति बाल्मीकि, अंगिरा, कपिल, शरभंग, गर्गाचार्य, महर्षि गौतम, पतंजलि, शाण्डिल्य, अगस्त और सुतीक्ष्ण जैसे ऋषियों की साधनास्थली, तुलसी, रहीम, तानसेन और बीरबल जैसे रचनाधर्मी और कलासाधकों से जुड़े स्थलों यात्रा में धरती में स्थापित प्रथम शिवलिंग आदि शामिल है।
सूर्य और देवगुरूओं की होगी खोज
मुगल बादशाह औरंगजेब द्वारा बनवाए गए मंदिर, दुष्यंत और शकुंतला के पुत्र भरत की जन्मस्थली, ब्रह्मा, शिव, राम, इंद्र, सूर्य और देवगुरु बृहस्पति की साधना स्थलियों, रमणीक वादियों में बने आश्रमों, दुनिया में जीविकोपार्जन के सबसे ज्यादा अवसर सृजित करने वाले कवि की जन्मस्थली और एडवेंचर टूरिज्म से जुड़े 100 फीसदी प्राकृतिक जल प्रपातों, दैवीय घटनाओं की गवाह रही शिलाओं, आदि मानव की गुफाओं के अगूढ़ तथ्यों को खोजने जाएंगे।
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