सीएमएचओ दफ्तर में निजी एम्बुलेंस का पंजीयन न होने से निगरानी भी नहीं हो पा रही है। एेसे में वाहन मालिक जमकर फायदा उठा रहे हैं। पीडि़तों को रेफरल सेवा वाहन मालिकों ने मनमानी शुल्क तय कर रखी है। जबलपुर तक का 8 से 10 हजार रुपए तक वसूला जा रहा है। आकस्मिक बीमार, हादसों में घायलों को वैकल्पिक व्यवस्था नहीं होने के कारण मजबूरी में मनमानी झेलना पड़ता है। इसकी जानकारी स्वास्थ्य महकमे के जिम्मदारों को भी है।
जिलेभर में एक दर्जन से अधिक शव वाहनों का संचालन किया जा रहा है। इनके मालिकों द्वारा भी दुखी और शोक में डूबे परिजनों को भी नहीं छोड़ा जाता है। उनसे शव घर तक छोडऩे के नाम पर मनमाना किराया वसूला जाता है। जिला अस्पताल में आए दिन वसूली के मामले भी सामने आते हैं। शव वाहन मालिक भी निगरानी से बचने जानबूझकर ऑन लाइन पंजीयन नहीं करा रहे हैं।
संचालनालय स्वास्थ्य सेवा ने सभी निजी एम्बुलेंस संचालकों को सीएमएचओ दफ्तर में ऑनलाइन पंजीयन कराने के सख्त निर्देश दिए हैं। एक साल बीतने के बाद भी एक किसी भी संचालक ने अपनी निजी एम्बुलेंस वाहन का पंजीयन नहीं कराया है। इसके चलते स्वास्थ्य महकमे के रेकॉर्ड में एक भी निजी एम्बुलेंस दर्ज नहीं है। जिम्मेदार भी मनमानी पर चुप्पी साधे हुए हैं। किसी के खिलाफ कार्रवाई तो दूर एम्बुलेंस की जांच तक की हिम्मत नहीं जुटा पाए हैं। जबकि वाहनों में जरुरी चिकित्सा उपकरण तक मौजूद नहीं हैं।
एक भी निजी एम्बुलेंस का ऑनलाइन पंजीयन नहीं है। जबकि संचालनालय ने सभी को पंजीयन कराने के निर्देश दिए हैं। पंजीयन न कराने वाले वाहन मालिकों पर कार्रवाई की जाएगी।
डॉ. विजय कुमार आरख सीएमएचओ