भावना से खिलवाड़ का आरोप लगाया। पीठाधीश्वर ने इसे साजिश बताते हुए बदनाम करने का षड््यंत्र बताया। पुलिस और प्रशासन ने मौके पर पहुंच कर फिलहाल मिली एक और प्रतिमा को मंदिर के एक कक्ष में रखवा कर उसे सील कर दिया। शाम करीब साढ़े छह बजे भोग-आरती दर्शन के समय गुजरात के वड़ोदरा से पीठाधीश्वर के भाई शिशिर कुमार, उनका पुत्र, परिवार के अन्य लोग व परिचित पहुंचे। प्रवेश द्वार से स्थानीय श्रद्धालुओं को लेकर वे गर्भगृह के बाहर कमल चौक पहुंचे। उन्होंने मंदिर में दो प्रतिमाएं होने की आशंका जाहिर कर गर्भगृह व आस-पास के तीन-चार कक्षों की तलाशी ली। इस दौरान दायीं ओर एक कक्ष में ठाकुरजी की एक और प्रतिमा मिली। शिशिर कुमार व परिजनों ने इसे नकली बताते हुए तिबारी में लाकर श्रद्धालुओं के सामने रख दिया।
कर्मचारियों-श्रद्धालुओं में गहमा-गहमी इस घटनाक्रम से कर्मचारियों में हड़कम्प मच गया और श्रद्धालुओं में गहमागहमी का माहौल हो गया। सूचना पर उपखण्ड अधिकारी राजेन्द्रप्रसाद अग्रवाल, कांकरोली थाने से सीआई लक्ष्मणराम विश्नोई, राजनगर थाने से सीआई विवेक सिंह मय जाप्ता पहुंचे। पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों ने मंदिर के तिबारी व अन्य कक्षों का निरीक्षण करने के बाद उस प्रतिमा को अलग कक्ष में सुरक्षित रखवा दिया। ताले की चाबी फिलहाल पुलिस-प्रशासन के पास है।
देर से खुले दर्शन पुलिस और प्रशासन की जांच प्रक्रिया से कुछ देर तक श्रद्धालु आरती के दर्शन नहीं कर सके। शयन दर्शन थोड़ी देर के बाद खुले। असली-नकली प्रतिमा को लेकर श्रद्धालुओं ने तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं दीं।
मामले को अदालत ले जाएंगे। गत वर्ष हुए अग्निकाण्ड की एफआईआर भी दर्ज करवाएंगे। मंदिर की सम्पत्ति को भी खुर्द-बुर्द किया जा रहा है। नकली प्रतिमा रखना श्रद्धालुओं की भावना से खिलवाड़ है। शिशिर कुमार व कपिल कुमार गोस्वामी, पीठाधीश्वर के भाई व पुत्र
तमाम आरोप गलत हैं। प्रतिमा वे खुद लेकर आए थे। करीब 40 बाउंसरों की टीम के साथ उन्होंने जबरन मंदिर के गेट बंद कर दिए। कम्प्यूटर और रिकॉर्ड कब्जे में लेकर सीसीटीवी की रिकॉर्डिंग भी बंद कर दी।
वागीश कुमार गोस्वामी, पीठाधीश्वर पुत्र, द्वारिकाधीश मंदिर