पाषाण को परमात्मा बनाने के लिए जैन समाज में पंचकल्याणक महोत्सव की प्रतिष्ठा का आयोजन करता है। यह ठीक वैसे ही जैसे हिंदू मंदिरों में प्राठ प्रतिष्ठा समारोह। इसे सरल शब्दों में समझें तो पंचकल्याणक में मूल्यहीन पत्थर को भगवान बनने की प्रक्रिया है। पत्थर को भगवान का आकार देकर मुनि रूपी गवर्नर के हस्ताक्षर एवं सूर्य मंत्र रूपी मोहर लगने पर वह पत्थर परमात्मा बन जाता है। पंचकल्याणक करने का अधिकारी सौधर्म इंद्र होता है, जो भगवान के चिह्न को देकर उसकी पहचान करता है। महोत्सव में पांच दिनों तक इंद्र दरबार के साथ मुनिश्री के प्रवचन एवं पांचों दिन आकर्षक सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। जैन ग्रन्थों के अनुसार पंचकल्याणक सभी तीर्थंकरों के जीवन में घटित होते है। यह पांच कल्याणक हैं। इन पांच कल्याणकों को पंच कल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के रूप में मनाया जाता है।
गर्भ कल्याणक : जब तीर्थंकर प्रभु की आत्मा माता के गर्भ में आती है।
जन्म कल्याणक : जब तीर्थंकर बालक का जन्म होता है।
दीक्षा कल्याणक : जब तीर्थंकर सब कुछ त्यागकर वन में जाकर मुनि दीक्षा ग्रहण करते है।
केवल ज्ञान कल्याणक : जब तीर्थंकर को केवल ज्ञान की प्राप्ति होती है।
मोक्ष कल्याणक : जब भगवान शरीर का त्यागकर अर्थात सभी कर्म नष्ट करके निर्वाण/ मोक्ष को प्राप्त करते है।
जन्म कल्याणक : जब तीर्थंकर बालक का जन्म होता है।
दीक्षा कल्याणक : जब तीर्थंकर सब कुछ त्यागकर वन में जाकर मुनि दीक्षा ग्रहण करते है।
केवल ज्ञान कल्याणक : जब तीर्थंकर को केवल ज्ञान की प्राप्ति होती है।
मोक्ष कल्याणक : जब भगवान शरीर का त्यागकर अर्थात सभी कर्म नष्ट करके निर्वाण/ मोक्ष को प्राप्त करते है।
समाज प्रवक्ता आनंद जैन ने बताया कि समारोह के प्रमुख पात्र कुबेर बनने गौरव धन्य कुमार पिता मदनलाल जैन परिवार को प्राप्त हुआ। समारोह के महायज्ञ नायक बनने का सौभाग्य जैन क्लब के अध्यक्ष राजेन जैन को प्राप्त हुआ। राजा भरत चक्रवर्ती बनने का सौभाग्य अभिषेक जैन को एवं बाहुबलि बनने का सौभाग्य अभिनव जैन (अमर जैन परिवार) को प्राप्त हुआ। राजा श्रेयांश बनेंगे जैन जगत के विद्वान महेश पंडित जी एवं राजा सोम बनकर प्रतिष्ठा की शोभा बढ़ायेंगे, सुनील जैन बीना वाले नवीन पूज्य जिनालय कृष्ण नगर में शिखर पर कलशारोहण एवं धर्म ध्वजा फहराने का सौभाग्य विजय जैन, अभिषेक जैन, भोलू जैन महावीर परिवार को प्राप्त हुआ।
प्रात: 5:30 बजे से जप से प्रारंभ
6 बजे 108 कलशों में जल भरकर महिलाएं घटयात्रा में शामिल होंगी।
प्रात: 7 बजे से ध्वजारोहण, मंडप शुद्धि, जिनपूजन, आचार्य श्री जी की पूजन व पूज्य मुनिश्री समय सागर
की देशना होगी।
दोपहर 12:30 बजे से मंडप प्रतिष्ठा, कलश स्थापना योग मंडल विधान
शाम 4 बजे से मुनि श्री के प्रवचन सायं 7 बजे से 7.45 बजे तक।
महाआरती 7.45 बजे से 8.30 बजे तक पंचकल्याणक प्रतिष्ठा
महाआरती 7.45 बजे से 8.30 बजे तक पंचकल्याणक प्रतिष्ठा