अधिकतर लोगों के पास रहने के लिए घर नहीं जनप्रतिनिधियों का हाल है कि सालों गुजर जाते हैं, कोई नेता इधर नहीं आता। जबकि ये गांव जिला मुख्यालय से 10 किमी के दायरे में है। ग्रामीणों ने दावा किया हमें मूलभूत सुविधाएं दे दो, विकास हम खुद ही कर लेंगे। अधिकतर लोगों के पास रहने के लिए घर नहीं है, झोपड़ी बनाकर रहते हैं। जबकि वर्ष 2016 में आई बाढ़ के दौरान पूरा गांव प्रभावित हुआ था।
पेंशन योजनाओं को लिए लोग भटक रहे शत प्रतिशत लोगों को अभी तक राहत राशि नहीं मिली है। वृद्धा पेंशन, विधवा पेंशन सहित तमाम पेंशन योजनाओं को लिए लोग भटक रहे हैं। गांव में राशन नहीं मिलना भी बड़ी समस्या है। कहने को संबल योजना के तहत गांव में शिविर लगाया गया। अभी तक किसी भी हितग्राही को राहत नहीं दी गई। लोगों के बिल 800 से 1200 के बीच हर माह आ रहे हैं। सकरिया के गल्हू हरिजन का बिजली बिल 22 हजार से ऊपर पहुंच चुका है।
ये रहे उपस्थित
डॉ. अमित सिंह, निशांत श्रीवास्तव, शैलेंद्र मोहन खरे, वीरेंद्र सक्सेना, संजय शर्मा, रविशंकर शर्मा, मानेंद्र ङ्क्षसह, झंझी लाल सिंह, जितेंद्र कोल, रामकृपाल कोल, सुनील कोल, प्रसाद कोल, चुनका, जागेंद्र कोल, ललवा कोल, प्रेमलाल, राजबहोर चौधरी, करन, प्रमोद, अशोक, बृजेश कोल, अर्जुन कोल, विष्णु कोल, आशीष, अशोक, मनीष, ललित कुमार, दिनेश रावत, राम नारायण, बबलू कोल, रमेश, रामजश,रामकुमार, रघुनाथ आदिवासी, रामधन कोल, कामता प्रसाद, विजय, लवकुश, छोटू, बबलू, पप्पू, उमाशंकर रावत, रामबहोरी, राजभान, दिनेश मल्लाह, केशकली, मीना, सुधा मल्लाह, मुन्नी कोल, कल्ली कोल, उर्मिला, रामलली, जमनिया, गीता, कल्पना, बेबी, राजकली, प्रेमा कोल, सुगनीया देवी, संतनिया, आशा, अर्चना कोल, विश्राम यादव, फगुनी, रामरति, अमृत लाल, चुनकी साकेत, सुधा मल्लाह, सीमा कोल, सुधा गौतम, गोरेलाल यादव, वंशबहादूर सिंह, रामवरण, अजय सिंह, छौहनी, वीरेंद्र, शिवकुमारी, राधा, राम सिपाही, तुसाऊ, शांति चौधरी, भोला विश्वकर्मा, लोला कोल, देववंश तिवारी सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद रहे।
डॉ. अमित सिंह, निशांत श्रीवास्तव, शैलेंद्र मोहन खरे, वीरेंद्र सक्सेना, संजय शर्मा, रविशंकर शर्मा, मानेंद्र ङ्क्षसह, झंझी लाल सिंह, जितेंद्र कोल, रामकृपाल कोल, सुनील कोल, प्रसाद कोल, चुनका, जागेंद्र कोल, ललवा कोल, प्रेमलाल, राजबहोर चौधरी, करन, प्रमोद, अशोक, बृजेश कोल, अर्जुन कोल, विष्णु कोल, आशीष, अशोक, मनीष, ललित कुमार, दिनेश रावत, राम नारायण, बबलू कोल, रमेश, रामजश,रामकुमार, रघुनाथ आदिवासी, रामधन कोल, कामता प्रसाद, विजय, लवकुश, छोटू, बबलू, पप्पू, उमाशंकर रावत, रामबहोरी, राजभान, दिनेश मल्लाह, केशकली, मीना, सुधा मल्लाह, मुन्नी कोल, कल्ली कोल, उर्मिला, रामलली, जमनिया, गीता, कल्पना, बेबी, राजकली, प्रेमा कोल, सुगनीया देवी, संतनिया, आशा, अर्चना कोल, विश्राम यादव, फगुनी, रामरति, अमृत लाल, चुनकी साकेत, सुधा मल्लाह, सीमा कोल, सुधा गौतम, गोरेलाल यादव, वंशबहादूर सिंह, रामवरण, अजय सिंह, छौहनी, वीरेंद्र, शिवकुमारी, राधा, राम सिपाही, तुसाऊ, शांति चौधरी, भोला विश्वकर्मा, लोला कोल, देववंश तिवारी सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद रहे।
ये मुद्दे आए सामने
– सात से आठ माह में क्षेत्र में राशन वितरण में गड़बड़ी हो रही है।
– पात्रता पर्ची के लिए रहवासी भटक रहे हैं।
– अधिकतर लोग गरीब हैं, बीपीएल कार्ड नहीं बना है।
– राशन कार्ड में नाम जुड़वाने के लिए परेशान हैं ग्रामीण।
– पेंशन योजनाओं का लाभ सभी को नहीं मिल पा रहा।
– सरपंच व सचिव पर मनमानी का आरोप। शासन की योजनाओं का लाभ दिलाने पैसे की मांग।
– जल संकट से परेशान रहता है गांव, तालाब निर्माण होना चाहिए।
– सरकारी जमीन पर अंतिम संस्कार होता है। श्मशान बनाने की मांग
– गांव में 5वीं तक स्कूल है। इसके उन्नयन की मांग, अध्यापकों पर आरोप है कि वे अक्सर गायब रहते हैं।
– सात से आठ माह में क्षेत्र में राशन वितरण में गड़बड़ी हो रही है।
– पात्रता पर्ची के लिए रहवासी भटक रहे हैं।
– अधिकतर लोग गरीब हैं, बीपीएल कार्ड नहीं बना है।
– राशन कार्ड में नाम जुड़वाने के लिए परेशान हैं ग्रामीण।
– पेंशन योजनाओं का लाभ सभी को नहीं मिल पा रहा।
– सरपंच व सचिव पर मनमानी का आरोप। शासन की योजनाओं का लाभ दिलाने पैसे की मांग।
– जल संकट से परेशान रहता है गांव, तालाब निर्माण होना चाहिए।
– सरकारी जमीन पर अंतिम संस्कार होता है। श्मशान बनाने की मांग
– गांव में 5वीं तक स्कूल है। इसके उन्नयन की मांग, अध्यापकों पर आरोप है कि वे अक्सर गायब रहते हैं।