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एलईडी की ज्योति बुझी, पीले बल्ब से ‘उजाला’

locationसतनाPublished: Jan 17, 2022 07:16:27 pm

Submitted by:

Hitendra Sharma

पीएम उजाला योजना बंद, औसत बिलिंग से कंपनी को चपत

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ग्वालियर. ग्रामीणों को सस्ते दर पर एलईडी बल्ब वितरित कर बिजली बचत करने की योजना जिले में दम तोड़ चुकी है। डाकघर में दो वर्ष से एलइडी बल्ब उपलब्ध न होने के कारण गांव एवं गरीब के घर एक बार फिर पीले बल्ब लौट आए हैं। केंद्र सरकार की बिजल बचत कर गांव में उलाजा फैलाने की योजना बंद होने से एक जिले में बिजली की खपत 11 गुना तक बढ़ गई है। इससे अकेले सतना जिले में बिजली कंपनी को हर दिन 27,300 किलोवॉट बिजली की चपत लग रही है।

यह थी पीएम उजाला योजना
एलईडी बल्ब के उपयोग से पीले बल्ब के मुकाबले 10 गुना बिजली की बचत होती है। बिजली बचत करने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने 2017 में पीएम उजाला योजना शुरू की थी। इसके तहत लोगों को का महज 65 रुपए में 9 वॉट का एलईडी बल्ब वितरित किया जाता था। वह भी तीन साल की गारंटी पर। योजना के तहत सस्ते दर पर एलईडी बल्ब वितरण की जिम्मेदारी प्रधानडाक घरों को सौंपी गई थी। लेकिन, दो वर्ष से जिले के डाकघर में योजना के तहत एलईडी बल्ब की आपूर्ति नहीं हुई । इससे जिले में यह योजना दम तोड़ चुकी है।

दो वर्ष में 30 लाख एलईडी का वितरण
डाक विभाग के अनुसार उजाला योजना के तहत डाघकर से दो वर्ष में उपभोक्ताओं को 30 लाख से अधिक एलईडी बल्ब का वितरण किया गया। लेकिन, कोरोना संक्रमण के बाद से ठेका एजेंसी ने जिले को एक भी बल्ब उपलब्ध नहीं कराया। इससे जिले में योजना बंद हो गई। इसका परिणाम यह है कि बाजार में 100-120 रुपए में मिलने वाले एलईडी बल्ब को खरीदने में असमर्थ गांव के बिजली उपभोक्ता फिर से बाजार में 15 रुपए में मिलने वाला पीला बल्ब उपयोग करने लगे हैं।

प्रति बल्ब 91 वॉट बिजली की बचत
योजना के तहत सस्ते दर पर एलईडी बल्ब मिलने से ग्रामीण उपभोक्ता फिलामेंट वाले पीले बल्ब का उपयोग छोड़ चुके थे। इससे जिले में प्रतिदिन 27.3 हजार किलोवॉट बिजली की बचत हो रही थी। 9 वॉट का एलईडी बल्ब 100 वॉट के पीले बल्ब से अधिक प्रकाश देता है, इसलिए घरों में एलईडी बल्ब के उपयोग से जिले में हर माह लगभग 8 लाख किलोवॉट बिजली खपत कम हो गई थी।

औसत बिलिंग से कंपनी को चपत
गांवों में साढ़े तीन लाख बिजली उपभोक्ता हैं। ग्रामीण उपभोक्ता प्रतिदिन कितनी बिजली का उपयोग कर रहे हैं, इसकी रीडिंग कंपनी नहीं कर पा रही है क्योंकि 70 फीसदी ग्रामीण उपभोक्ताओं के घर लगे विद्युत मीटर बंद हैं। इसलिए कंपनी उन्हें हर माह औसत बिल देती है। मीटर रीडिंग नहोने के कारण ही ग्रामीण उपभोक्ता अभी भी 10 गुना अधिक बिजली खाने वाले पीले बल्ब का उपयोग कर रहे हैं। जबकि शहर में मीटर रीडिंग के आधार पर बिजली बिल जनरेट होने के कारण उपभोक्ता बिजली बचत के लिए एलईडी बल्ब का उपयोग कर रहे हैं।

सतना प्रधान डाकघर के पोस्ट मास्टर सुरेंद्र सिंह ने बताया कि जिस कंपनी को एलईडी बल्ब उपलब्ध कराने का ठेका दिया गया था, वह सतना डाकघर को दो वर्ष से एलइडी की आपूर्ति नहीं कर रही। इसलिए जिले में उजाला योजना के तहत एलईडी बल्ब का वितरण बंद है।

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