यह है मामला पोस्टर में बताया गया है कि सतना सहित रीवा, सीधी, सिंगरौली जिले के 122 बेरोजगारों के मेडिकल लाइसेंस कई महीनों से अटके हुए हैं। जब भी इस संबंध में इनसे फोन किया जाता है तो इनके द्वारा कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया जाता है। जब इनकी उपस्थिति और काम पूरा होने के संबंध में जानकारी ली जाती है तो वे संबंधित का फोन ब्लैक लिस्ट में कर देते हैं। पोस्टर में बताया गया है कि इन्हें ढूढ़ने के लिये रोज संबंधित जिलों के सीएमएचओ आफिस में लोगों का जमावड़ा लगता है। लेकिन ये किसी भी मुख्यालय में नहीं मिलते हैं और न ही फोन उठाते हैं। मेडिकल लाइसेंस के लिए अप्लाई कर चुके बेरोजगारों ने किराए पर दुकानें भी ले रखी हैं लेकिन बेरोजगारी के दौर में इनके द्वारा लाइसेंस अटकाए जाने के कारम खाली का किराया और ब्याज में रुपये खर्च हो रहे हैं।
एक माह से नहीं दिखे इस संबंध में लाइसेंस के लिये अप्लाई करने वालों ने बताया कि एक माह से वे नहीं दिखे हैं। इनके पहले ड्रग इंस्पेक्टर प्रियंका थीं। लेकिन उनके मेटर्निटी अवकाश पर जाने के बाद से इन्हें प्रभार दे दिया गया है। तब से स्थितियां बिगड़ गई है। इनकी कलेक्टर से मांग है कि ड्रग इंस्पेक्टर का सतना में कम से कम सप्ताह में दो दिन नियत किया जाए।