मेरा मकसद आईएएस बनकर जनता की सेवा करना है। निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रही प्रभात कुमारी ने पत्रिका से कहा, मैं अपने क्षेत्र की बेटियों को यह संदेश देने के लिए चुनाव लड़ रही हूं कि अगर सबकुछ खोने के बाद भी मैं हक के लिए लड़ सकती हूं तो मुझ जैसी दूसरी बेटियां भी अपना हक ले सकती हैं।
प्रभात एक-दूसरे से अपरिचित थीं उन्हें बर्खास्त आईएएस शशि कर्णावत ने उपचुनाव में उतारा है। चुनाव से पहले तक शशि और प्रभात एक-दूसरे से अपरिचित थीं, लेकिन सरकार से अपनी बर्खास्तगी का बदला लेने के लिए शशि ने एमएससी में फस्र्ट डिवीजन प्रभात को खोज निकाला।
ये हैं प्रभात कुमारी
प्रभात 18 मार्च 2009 को बिछियन गांव में डकैतों की ओर से किए गए नरसंहार की एकमात्र जीविता है। इस नरसंहार में प्रभात के परिवार के 9 सदस्यों की डकैतों ने हत्या कर दी थी। प्रभात जैतवारा में रिश्तेदार के घर होने से सुरक्षित रही। उसे सरकार की तरफ से मुआवजा, सुरक्षा और आवास देने का वादा किया गया, लेकिन कुछ नहीं मिला। वह नरसंहार के बाद जैतवारा में ही रिश्तेदार के यहां पली-बढ़ी। उसके मन में नरसंहार का खौफ इतना छाया हुआ है कि वह कभी बिछियन नहीं गई।
चुनाव में सारथी रहेंगी शशि
उप चुनाव में पैसे की व्यवस्था के बारे में पूछे जाने पर प्रभात ने इशारा साथ में मौजूद शशि कर्णावत की तरफ किया। शशि ने कहा, हमारी लड़ाई धनबल, बाहुबल और सत्ताबल से है। हमारा आत्मबल ही हमें जीत की तरफ ले जाएगा। चुनाव में खर्च के लिए कुछ पैसे हमारे पास हैं।
मतदाताओं से सहयोग मांगेंगे जरूरत हुई तो सड़क पर झोली फैलाकर मतदाताओं से सहयोग मांगेंगे। शशि ने कहा, प्रभात आईएएस बनना चाहती है। मैं इसमें भी सहयोग करूंगी। इससे पहले उसे सरकार के काम-काज, योजनाओं के धन के उपयोग-दुरुपयोग को समझने के लिए विधानसभा में जाना होगा।