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नगर निगम के अधिकारियों का कारनामा: पहले गरीब परिवारों को बसाया, अब उजाड़ने की तैयारी

locationसतनाPublished: Jul 15, 2019 07:20:26 pm

Submitted by:

suresh mishra

मेडिकल कॉलेज की जमीन में पीएम आवास, सरकार को 30 लाख की चपत

pradhan mantri awas yojana mp satna

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सुखेंद्र मिश्रा@सतना। गरीब परिवारों को झुग्गी-झोपड़ी से निकालकर पक्का आवास उपलब्ध कराने की केंद्र सरकार की पीएम आवास योजना निगम प्रशासन की मनमानी से मजाक बन गई है। नगर निगम के जिम्मेदारों ने पहले शहर में बसे गरीब परिवारों की पात्रता की जांच किए बिना रेवड़ी की तरह पीएम आवास की राशि वितरित की। सरकारी सहायता से पक्के मकान बनाकर गरीब परिवार सपनों के घर में गृह प्रवेश की सोच ही रहे थे कि प्रशासन ने कॉलोनी खाली करने का फरमान सुना दिया।
इससे न सिर्फ गरीब परिवारों का पक्के मकान में रहने का सपना टूट गया बल्कि दूसरे प्रोजेक्ट के लिए आवंटित सरकारी जमीन में पीएम आवास की स्वीकृति से सरकार को 30 लाख रुपए के राजस्व की चपत लगना तय है।
मामला नईबस्ती डोंगरी में स्वीकृत मेडिकल कॉलेज की जमीन का है। कॉलेज के लिए आरक्षित डोंगरी की जमीन के अंश भाग में 40 साल से 15 कुम्हार परिवार निवास कर रहे हैं। रहवासियों को चार दशक बीतने के बाद भी जिला प्रशासन ने जमीन का मालिकाना हक देना उचित नहीं समझा। बिना मुआयना किए डोंगरी की आबादी वाली जमीन भी मेडिकल कॉलेज के लिए आरक्षित कर दी।
अवैध कॉलोनी में 12 पीएम आवास
डोंगरी की आरक्षित जमीन में बसी अवैध बस्ती का निगम प्रशासन द्वारा न सिर्फ नामकरण किया गया बल्कि बस्ती में रह रहे 15 परिवारों में से 12 के नाम पीएम आवास सूची में शामिल कर उन्हें आवास बनाने के लिए 2.50 लाख प्रति परिवार की दर से 30 लाख की किस्त भी जारी कर दी। निगम अधिकारियों की मेहरबानी से गरीब परिवारों ने राशि मिलते ही पीएम आवास बनवा भी लिए। कुछ मकानों में अभी फिनसिंग का कार्य चल रहा। जिला प्रशासन ने अटल नगर के रहवासियों से जमीन खाली कराने का फरमान जारी किया है।
प्रशासन ने राशि देकर कराया था कब्जा
डोंगरी में लगभग 40 साल से परिवार के साथ रह रहे गनपत प्रजापति का कहना है कि वह कृपालपुर के मूल निवासी हैं। 1978 में आई बाढ़ में उनके मकान तबाह हो गए थे। तब राज्य सरकार के निर्देश पर जिला प्रशासन ने सात-सात हजार सहायता राशि देकर डोंगरी में विस्थापित किया था। तब से वे यहां पर मकान बना कर रह रहे हैं। इतनी पुरानी बस्ती को विस्थापित करना उचित नहीं।
अवैध बस्ती में विद्युतीकरण भी
शहर की कुछ वैध कॉलोनियों में आज तक निगम प्रशासन द्वारा विद्युतीकरण नहीं करा पाया। पर, मेडिकल कॉलेज की जमीन में बसी बस्ती में मेहरवान निगम के अफसरों ने पैसा लुटाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। जिस आराजी में यह बस्ती बसी है उस नंबर की जमीन कई वर्ष से मेडिकल कॉलेज के लिए आरक्षित थी। उसे नजरअंदाज करते हुए नगर निगम ने आरक्षित जमीन में विद्युतीकरण भी करा दिया। इसमें लाखों रुपए खर्च हुए हैं।
सीधी बात: अरुण तिवारी, प्रभारी पीएम आवास

प्रश्न- आरक्षित जमीन में पीएम आवास की स्वीकृति कैसे हुई?
उत्तर-डोंगरी में जो बस्ती बसी है वहां की जमीन मेडिकल के लिए आरक्षित है, इसकी जानकारी नहीं थी।
प्रश्न- क्या वहां के हितग्राही पीएम आवास के लिए पात्र थे?
उत्तर-प्रोजेक्ट की गाइड लाइन के अनुसार बिल्कुल पात्र थे।

प्रश्न- पीएम आवास की राशि पाने पात्रता की शर्त क्या है?
उत्तर-स्थानीय निवासी होना चाहिए, मतदाता सूची में नाम हो, जिस जमीन पर बसा है उसका हाउस टैक्स जमा होना चाहिए।
प्रश्न – मेडिकल कॉलेज की आरक्षित जमीन में पीएम आवास बन गए? इसके लिए जिम्मेदार कौन?
उत्तर- राजस्व अमला..। पीएम आवास के हितग्राहियों की सूची कलेक्ट्रेट से फाइनल होती है। जब निर्माण शुरू हुआ था तब राजस्व अमले को जानकारी देनी चाहिए।
हम मेडिकल कॉलेज का विरोध नहीं करते पर अटल नगर को विस्थापित करना उचित नहीं। सांसद से बस्ती को छोड़कर मेडिकल कॉलेज बनाने की मांग की है। जब जमीन मेडिकल कालेज के लिए आरक्षित थी तो रहवासियों को पीएम आवास की राशि स्वीकृत क्यों की गई?
– गंगा प्रसाद कुशवाहा, पार्षद वार्ड 17
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