दरअसल, महिला एवं बाल विकास संचालनालय द्वारा 29 नवंबर को प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना की समीक्षा की गई। जिसमें पाया कि निर्देश के बाद भी पीएमएमवीवाय योजनांतर्गत पंजीयन में लापरवाही की जा रही है। बीते पांच माह में 133 आंगनबाड़ी केंद्रों में किसी भी पात्र हितग्राही का पंजीयन नहीं किया गया है।
इसके बाद भी जिलास्तर से इन केंद्रों के अमले को सक्रिय करने किसी प्रकार का प्रयास नहीं किया गया। संचालनालय ने समीक्षा में माना कि पात्र हितग्राहियों को भी निर्धारित समयावधि में योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। इससे योजना के मूल उद्दश्यों की पूर्ति भी प्रभावित हो रही है। वहीं दूसरी आेर हितग्राहियों को परेशानी हो रही है।
10 दिसंबर तक का अल्टीमेटम
आयुक्त महिला एवं बाल विकास विभाग डॉ. अशोक कुमार भार्गव ने जिला कार्यक्रम अधिकारी को निर्देशित किया है कि जिन आंगनबाड़ी केंद्रों द्वारा योजनानंतर्गत एक भी पात्र हितग्राही का पंजीयन नहीं किया गया है, एेसे सभी आंगनबाड़ी केंद्रों के परियोजना अधिकारी द्वारा बैठक का आयोजन कराका संबंधित आंगनबाड़ी केंद्र के गर्भवती, धात्री महिलाओं के पंजीयन हेतु केंद्रवार समीक्षा की जाए। हितग्राहियों का 10 दिसंबर तक चिह्नांकन कर पंजीयन सुनिश्चित किया जाए।
आयुक्त महिला एवं बाल विकास विभाग डॉ. अशोक कुमार भार्गव ने जिला कार्यक्रम अधिकारी को निर्देशित किया है कि जिन आंगनबाड़ी केंद्रों द्वारा योजनानंतर्गत एक भी पात्र हितग्राही का पंजीयन नहीं किया गया है, एेसे सभी आंगनबाड़ी केंद्रों के परियोजना अधिकारी द्वारा बैठक का आयोजन कराका संबंधित आंगनबाड़ी केंद्र के गर्भवती, धात्री महिलाओं के पंजीयन हेतु केंद्रवार समीक्षा की जाए। हितग्राहियों का 10 दिसंबर तक चिह्नांकन कर पंजीयन सुनिश्चित किया जाए।
रीवा के सबसे ज्यादा केंद्र निष्क्रिय
प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत संभाग में रीवा जिले के सबसे ज्यादा आगनबाड़ी केंद्र निष्क्रिय हैं। यहां 233 केंद्रों में पात्र हितग्राहियों का पंजीयन नहीं किया गया है। दूसरे नबंर पर सीधी जिला है, जहां 168 केंद्रों पर पंजीयन नहीं किया गया है। सबसे कम केंद्र सिंगरौली जिले 40 हैं जहां लापरवाही की जा रही है।
प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत संभाग में रीवा जिले के सबसे ज्यादा आगनबाड़ी केंद्र निष्क्रिय हैं। यहां 233 केंद्रों में पात्र हितग्राहियों का पंजीयन नहीं किया गया है। दूसरे नबंर पर सीधी जिला है, जहां 168 केंद्रों पर पंजीयन नहीं किया गया है। सबसे कम केंद्र सिंगरौली जिले 40 हैं जहां लापरवाही की जा रही है।