नमाज के बाद दी बधाई
ईद की नमाज सोमवार को शहर से लेकर गांव तक एक साथ अदा की गई। इस दौरान कोरोना लॉकडाउन के चलते शासन द्वारा जारी की गई गाइडलाइन का पालन किया गया। पुलिस-प्रशासन के साथ समाज के जिम्मेदार भी लोगों को जागरूक करते रहे। सबने शारीरिक दूरी बनाकर ईद पर्व की खुशियां बांटी।
ईद की नमाज सोमवार को शहर से लेकर गांव तक एक साथ अदा की गई। इस दौरान कोरोना लॉकडाउन के चलते शासन द्वारा जारी की गई गाइडलाइन का पालन किया गया। पुलिस-प्रशासन के साथ समाज के जिम्मेदार भी लोगों को जागरूक करते रहे। सबने शारीरिक दूरी बनाकर ईद पर्व की खुशियां बांटी।
रोजा से नष्ट होती हैं बुराइयां
रमजान के पवित्र महीने में पूरे ३० रोजा रखकर कुरान सरीफ पढऩे की परंपरा है। इससे इंसान को सब्र व धैर्य की भी प्राप्ति होती है। साथ ही असहाय व गरीबों की भूख-प्यास का अहसास भी होता है। इससे दूसरों की मदद की प्रेरणा भी मिलती है। रोजा इंसान के दिल से बुराई निकालकर अच्छाइयां लाने का काम करता है। क्योंकि जब हृदय स्वच्छ होगा तभी तो वह नेक इंसान बनकर सबकी भलाई के लिए काम करेगा।
रमजान के पवित्र महीने में पूरे ३० रोजा रखकर कुरान सरीफ पढऩे की परंपरा है। इससे इंसान को सब्र व धैर्य की भी प्राप्ति होती है। साथ ही असहाय व गरीबों की भूख-प्यास का अहसास भी होता है। इससे दूसरों की मदद की प्रेरणा भी मिलती है। रोजा इंसान के दिल से बुराई निकालकर अच्छाइयां लाने का काम करता है। क्योंकि जब हृदय स्वच्छ होगा तभी तो वह नेक इंसान बनकर सबकी भलाई के लिए काम करेगा।
ईद त्याग और सौहार्द्र का पर्व: सुरेन्द्र शर्मा
सतना. जनता दल-यू के प्रदेश उपाध्यक्ष सुरेंद्र शर्मा ने ईद पर मुस्लिम भाइयों को मुबारकबाद पेश कर कहा, ईद त्याग, संकल्प व सौहार्द्र का त्यौहार है। भाईचारा कायम करने का इससे अच्छा संदेश क्या हो सकता है कि हम मिलकर समाजिक समरसता के ऐसे परिवेश की रचना करते, जहां इंसानियत की तहजीब के दर्शन हों और समानता का आत्म बोध हो। एक-दूसरे की भावनाओं का सम्मान करते हुए भाईचारे की इस मिठास को और प्रगाढ़ करना ही इस पवित्र त्योहार की सार्थकता है।
सतना. जनता दल-यू के प्रदेश उपाध्यक्ष सुरेंद्र शर्मा ने ईद पर मुस्लिम भाइयों को मुबारकबाद पेश कर कहा, ईद त्याग, संकल्प व सौहार्द्र का त्यौहार है। भाईचारा कायम करने का इससे अच्छा संदेश क्या हो सकता है कि हम मिलकर समाजिक समरसता के ऐसे परिवेश की रचना करते, जहां इंसानियत की तहजीब के दर्शन हों और समानता का आत्म बोध हो। एक-दूसरे की भावनाओं का सम्मान करते हुए भाईचारे की इस मिठास को और प्रगाढ़ करना ही इस पवित्र त्योहार की सार्थकता है।
इस संकट की घड़ी में भी लोगों में ईद को लेकर काफी उत्साह था। सबने अपने-अपने घर पर नमाज पढ़कर खुशहाली की दुआ मांगी है।
अब्दुल कलाम यह एेसा समय है कि लोगों से गले मिलकर मुबारकबाद भी नहीं बोल पाए। घरों में ही नमाज पढऩे के बाद दूर से ही एक-दूसरे को ईद मुबारक बोला।
हसनैन खान
अब्दुल कलाम यह एेसा समय है कि लोगों से गले मिलकर मुबारकबाद भी नहीं बोल पाए। घरों में ही नमाज पढऩे के बाद दूर से ही एक-दूसरे को ईद मुबारक बोला।
हसनैन खान