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मध्यप्रदेश: कांग्रेस में संगठनात्मक बदलाव की सुगबुगाहट, 50 की उम्र को प्राथमिकता

locationसतनाPublished: Nov 12, 2021 09:42:04 am

Submitted by:

Ramashankar Sharma

नये चेहरों को मिलेगा मौका, जातीय समीकरण भी देखे जाएंगे

कांग्रेस में संगठनात्मक बदलाव की सुगबुगाहट, 50 की उम्र को प्राथमिकता

Preparation for organizational change in Congress, priority given to the age of 50

सतना. उपचुनाव के बाद अब कांग्रेस संगठन में फेरबदल की सुगबुगाहट नजर आने लगी है। इसको लेकर पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ ने प्रदेश के सभी वरिष्ठ नेताओं और जिलों के संगठन प्रभारियों की बैठक भी कर ली है। जिसमें यह प्रमुखता से निकल कर आया है कि लंबे समय से पदों में डटे पदाधिकारी कामकाज में अपेक्षित तौर पर सक्रिय नहीं है तो कई मंडलम और सेक्टर के पदाधिकारी भी पद पाने के बाद संगठनात्मक कार्यों में रुचि नहीं ले रहे हैं। इधर सदस्यता अभियान को लेकर भी फीडबैक बहुत अच्छा नहीं आया है। इन सबको देखते हुए प्रदेशाध्यक्ष ने अब बदलाव की तैयारी के निर्देश दे दिये हैं। यह भी तय किया गया है कि संगठनात्मक बदलाव में 50 साल की उम्र को सीमा रेखा माना जाएगा। हालांकि इसे लक्ष्मण रेखा नहीं माना जाएगा, लेकिन प्राथमिकता इसी उम्र की सीमा पर दी जाएगी। इसके अलावा पदों में जातीय समीकरणों का भी ध्यान रखा जाएगा।
2023 की तैयारी

कांग्रेस ने उपचुनाव के बाद अब 2023 के चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। उपचुनाव के फीडबैक कांग्रेस के लिये बहुत अच्छे नहीं रहे हैं। तीन उपचुनाव हार गए और इकलौती रैगांव सीट जीत पाए। लेकिन जिस तरीके से रैगांव में कांग्रेस संगठन की सक्रियता होनी थी वह नहीं दिखी। कई अपेक्षित चेहरे चुनाव के दौरान जमीनी स्तर पर वैसा काम करते नहीं दिखे जैसी अपेक्षा थी। इसके बाद जिला संगठन प्रभारियों की बैठक में तय किया गया है कि जल्द ही फेरबदल कर दिया जाना चाहिए ताकि नये चेहरे 2023 के आम चुनाव के लिये न केवल खुद तैयार हो सकें बल्कि संगठन को भी मजबूत कर सकें। इसके लिये नये चेहरों को सामने लाने पर जोर दिये जाने का निर्णय लिया गया है तो सालों से संगठन में जमे चेहरों को अब जिम्मेदारी से मुक्त करने पर भी सहमति बन गई है। हालांकि यह बदलाव पूरे प्रदेश में होना है लेकिन विन्ध्य में बदलाव पर सभी का फोकस है।
सतना भी रेड जोन में

जो संकेत मिले हैं उसमे सतना जिला संगठन के पदाधिकारी भी रेड जोन में है। यहां भी बदलाव की संभावना प्रबल मानी जा रही है। इसके लिये तमाम नामों पर तलाश शुरू हो गई है। विधायकों से फीड बैक तो लिया ही जा रहा है बल्कि वरिष्ठ नेताओं से भी राय मशविरा लिया जाकर बदलाव की रणनीति और चेहरे तय किये जाएंगे।
नये चेहरे पर जोर

यह तय किया गया है कि बदलाव में अब पीढ़ी परिवर्तन को भी ध्यान में रखना है और नया नेतृत्व भी तैयार करना है। इसके लिये संगठन में 50 साल की उम्र का फार्मूला तय किया गया है। वहीं संगनात्मक पदों के लिये क्षेत्रीय और स्थानीय जातीय समीकरणों पर भी गौर किया जाएगा। इसके साथ ही कोशिश होगी कि जो भी चेहरा चुना जाए उसमें ज्यादा से ज्यादा आम सहमति बने और कम से कम विरोध की स्थिति बने साथ ही उसकी सक्रियता और सामर्थ्य आगामी 2023 के चुनाव के अनुकूल हो। जिस तरह के संकेत है उससे माना जा रहा है कि यह फेरबदल एक- दो माह के अंदर हो सकती है।
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