बताया जाता है कि समाजसेवी नानाजी देशमुख ने धर्मनगरी चित्रकूट में 12 फरवरी 1991 को चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय की स्थापना की। इसके लिए उन्होंने देश के सेवानिवृत्त शिक्षाविदों को सेवा देने के लिए आमंत्रित किया था। इसी दौरान अंतरराष्ट्रीय पर्यावरणविद प्रो. जीडी अग्रवाल वर्ष 1992 में चित्रकूट आए और वर्ष 1997 तक अवैतनिक प्रोफेसर के रूप में अपनी सेवा दी।
प्रो. जीडी अग्रवाल पर्यावरण से प्रेम के चलते पैदल या साइकिल से चलते थे। प्रमोदवन में उनका निवास था। वे अपने आवास से विवि या बाजार पैदल या साइकिल से जाते थे। विवि के वाहन का भी कभी प्रयोग नहीं करते थे।
अग्रवाल जब तपोभूमि आए थे, ग्रामोदय विवि के कुलपति प्रो. करुणाकरन ने सुंदर चित्रकूट की कल्पना की थी। इसे मूर्त रूप देने अग्रवाल ने काफी काम किया। चित्रकूट के समाजसेवी, संत-महंत को एक मंच पर लाए। तत्कालीन जिलाधिकारी जगन्नाथ सिंह ने प्रो. अग्रवाल के सुझावों पर चित्रकूट विकास का प्रोजेक्ट तैयार किया था। जिस पर आज भी काम हो रहा है।