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गंगा पुत्र प्रो. जीडी अग्रवाल ने मध्यप्रदेश के इस विश्वविद्यालय में पढ़ाया पांच साल, नहीं ली एक चवन्नी

locationसतनाPublished: Oct 13, 2018 02:08:56 pm

Submitted by:

suresh mishra

गंगा पुत्र प्रो. जीडी अग्रवाल का चित्रकूट से भी रहा है नाता, गंगा नदी के संरक्षण को लेकर कर रहे थे अनशन

professor gd agrawal chitrakoot conation news in hindi

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सतना। गंगा नदी के संरक्षण को लेकर पिछले 111 दिनों से अनशन कर रहे जाने-माने पर्यावरणविद प्रोफेसर जीडी अग्रवाल उर्फ स्वामी ज्ञानस्वरूप का गुरुवार दोपहर को निधन पड़ गया। दावा किया गया है कि उन्हे दिल का दौरा पड़ा था। उन्हे पूरे भारत में गंगा पुत्र के रूप में जाना जाता था। ये बहुत कम लोग जानते हैं कि उनका सतना के चित्रकूट से भी नाता रहा है।
उन्होंने ग्रामोदय विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के रूप में सेवा दी। ये सेवा भी किसी संत के कर्म से कम नहीं थी। प्रोफेसर रहते हुए उन्होंने विवि से कभी एक रुपये का वेतन नहीं लिया। बल्कि अपने पेंशन की राशि से विवि की जरूरतों के लिए मदद करते रहे। वे करीब पांच साल तक ग्रामोदय में सेवा देते रहे। उनके निधन के बाद ग्रामोदय परिवार ने उन्हे याद किया और अधिकतर लोग भावुक हो उठे।
ये है मामला
बताया जाता है कि समाजसेवी नानाजी देशमुख ने धर्मनगरी चित्रकूट में 12 फरवरी 1991 को चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय की स्थापना की। इसके लिए उन्होंने देश के सेवानिवृत्त शिक्षाविदों को सेवा देने के लिए आमंत्रित किया था। इसी दौरान अंतरराष्ट्रीय पर्यावरणविद प्रो. जीडी अग्रवाल वर्ष 1992 में चित्रकूट आए और वर्ष 1997 तक अवैतनिक प्रोफेसर के रूप में अपनी सेवा दी।
प्रमोदवन में था निवास, चलते थे पैदल
प्रो. जीडी अग्रवाल पर्यावरण से प्रेम के चलते पैदल या साइकिल से चलते थे। प्रमोदवन में उनका निवास था। वे अपने आवास से विवि या बाजार पैदल या साइकिल से जाते थे। विवि के वाहन का भी कभी प्रयोग नहीं करते थे।
सुझावों पर हो रहा काम
अग्रवाल जब तपोभूमि आए थे, ग्रामोदय विवि के कुलपति प्रो. करुणाकरन ने सुंदर चित्रकूट की कल्पना की थी। इसे मूर्त रूप देने अग्रवाल ने काफी काम किया। चित्रकूट के समाजसेवी, संत-महंत को एक मंच पर लाए। तत्कालीन जिलाधिकारी जगन्नाथ सिंह ने प्रो. अग्रवाल के सुझावों पर चित्रकूट विकास का प्रोजेक्ट तैयार किया था। जिस पर आज भी काम हो रहा है।
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