script… तो क्या किसी को बचाने के लिए दो हजार क्विंटल गेहूं गीला बता दिया गया | Questions arising on the investigation of wheat being wet | Patrika News

… तो क्या किसी को बचाने के लिए दो हजार क्विंटल गेहूं गीला बता दिया गया

locationसतनाPublished: Jun 14, 2019 01:17:39 am

Submitted by:

Ramashankar Sharma

खरीदी केन्द्रों में रखे गेहूं की गीले होने की जांच पर खड़े हुए सवाल
परिवहनकर्ता के बचाव के लिये मामले के डायवर्सन का आरोप
उसरार में बोरियां गीली होने की अपनी ही रिपोर्ट में घिरा विपणन संघ

Questions arising on the investigation of wheat being wet

Questions arising on the investigation of wheat being wet

सतना. समर्थन मूल्य पर इस वर्ष गेहूं खरीदी जिस तरीके से परिवहन ठेकेदार द्वारा अनियमितता की गई और उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई और जब वह विवादों में घिरने लगा तो अचानक से सक्रिय हुए विपणन संघ के अधिकारियों ने जिस तरीके से खरीदी केन्द्रों पर आक्षेप लगाए हैं वह मामला अब तूल पकड़ लिया है। दरअसल इस मामले में समितियों का कहना है कि जिला विपणन अधिकारी परिवहन ठेकेदार पर कोई कार्रवाई न कर मामले को डायवर्ट करने के लिये खरीदी पूरी होने के बाद जांच का खेल कर वरिष्ठ अधिकारियों का ध्यान बंटाने की कोशिश कर रही है। दरअसल नियमानुसार तय समय में उठाव नहीं होने पर परिवहनकर्ता पर पेनाल्टी लगानी थी लेकिन वह नहीं लगाई गई। इस मामले को लेकर हाल ही में सतना आए प्रमुख सचिव सहकारिता ने भी डीएमओ की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए थे।
मिली जानकारी के अनुसार डीएमओ ने अपने निरीक्षण को लेकर जो पत्र लिखा था उसमें बताया था कि ७ जून को खरीदी केन्द्र उसरार में 2 से ढाई हजार बोरियों में स्कंध में नमी तय मापदण्ड से अधिक है। इस संबंध में कहा गया कि वजन बढ़ाने के लिये बोरियों को जानबूझकर गीला किया गया और इस वजह से बोरियों का रंग बदल गया है। लेकिन डीएमओ का यह पत्र ही सवालों के घेरे में आ गया है। जानकारों का कहना है कि निरीक्षण विपणन संघ के अधिकारियों ने ही अकेले किया और किसी अन्य विभाग के अधिकारियों को नहीं बुलाया गया। जबकि खरीदी केन्द्र में इतने व्यापक पैमाने पर गड़बड़ी थी तो इसकी सूचना जिला स्तरीय कमेटी के सदस्यों को देना चाहिए था। लेकिन ऐसा नहीं किया गया।
नमी मापने पर सवाल
विपणन संघ की जांच में यह सवाल भी खड़ा हो गया है कि 2000 से 2500 बोरियों की नमी कैसे इतने कम समय में माप ली गई है। जबकि मौके पर व्यवहारिक रूप से इतनी बोरियां गिनना संभव नहीं है।
निरीक्षण रिपोर्ट पर भी विवाद
डीएमओ द्वारा जो निरीक्षण रिपोर्ट तैयार की गई है और जो पत्र दिया गया है उसमें विरोधाभाष है। बताया जा रहा है कि निरीक्षण रिपोर्ट में मौके पर गेहूं की कुछ बोरियों के गीली होने का उल्लेख है। जबकि पत्र में दो से ढाई हजार बोरियो में नमी तय से अधिक बताई गई है। लेकिन नमी का प्रतिशत किसमें कितना पाया गया है इसका उल्लेख नहीं है।
पंचनामे से खुली पोल
उधर इस मामले के सामने आने के बाद प्रशासक को खरीदी केन्द्र प्रभारी पर कार्रवाई के लेख पर शाखा प्रबंधक सिंहपुर से केन्द्र प्रभारी से स्पष्टीकरण और पंचनामे की कार्रवाई की गई। तो यह तथ्य सामने आया कि विगत दिवस हुई बारिश के दौरान बोरियों पर पानी पडऩे से बोरियां दागी दिख रही है।
तो परिवहनकर्ता दोषी
सवाल यह खड़ा होने लगा है कि खरीदी केन्द्र से तय समय सीमा में परिवहन करने के निर्देश शासन से थे और यह निविदा शर्तों में भी था। ऐसे में जब प्रमुख सचिव ने इसका उल्लेख करते हुए समय के बाद उठाव के लिये विपणन संघ के अधिकारियों से भरपाई की बात कही तो यह नया पैतरा परिवहनकर्ता को बचाने के लिये निकाला गया।
अभी इतना उठाव बाकी
आनलाइन रिपोर्ट को माने तो अभी भी पूरा गेहूं परिवहनकर्ता द्वारा उठाया नहीं जा सका है। 10 जून को जहां 8103 क्विंटल गेहूं उठाव के लिये शेष था तो 11 को 8086 क्विंटल। इसी तरह से 12 को 5590 और 13 जून को 4173 क्विंटल गेहूं का उठाव शेष दिखा रहा है। हालांकि इस मामले में विपणन संघ चालान न बनने और तकनीकि दिक्कतों का बहाना बनाता है लेकिन सवाल यह है कि बिना ट्रक चालान के फिर परिवहन कैसे हो रहा है।
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