विपणन संघ की जांच में यह सवाल भी खड़ा हो गया है कि 2000 से 2500 बोरियों की नमी कैसे इतने कम समय में माप ली गई है। जबकि मौके पर व्यवहारिक रूप से इतनी बोरियां गिनना संभव नहीं है।
डीएमओ द्वारा जो निरीक्षण रिपोर्ट तैयार की गई है और जो पत्र दिया गया है उसमें विरोधाभाष है। बताया जा रहा है कि निरीक्षण रिपोर्ट में मौके पर गेहूं की कुछ बोरियों के गीली होने का उल्लेख है। जबकि पत्र में दो से ढाई हजार बोरियो में नमी तय से अधिक बताई गई है। लेकिन नमी का प्रतिशत किसमें कितना पाया गया है इसका उल्लेख नहीं है।
उधर इस मामले के सामने आने के बाद प्रशासक को खरीदी केन्द्र प्रभारी पर कार्रवाई के लेख पर शाखा प्रबंधक सिंहपुर से केन्द्र प्रभारी से स्पष्टीकरण और पंचनामे की कार्रवाई की गई। तो यह तथ्य सामने आया कि विगत दिवस हुई बारिश के दौरान बोरियों पर पानी पडऩे से बोरियां दागी दिख रही है।
सवाल यह खड़ा होने लगा है कि खरीदी केन्द्र से तय समय सीमा में परिवहन करने के निर्देश शासन से थे और यह निविदा शर्तों में भी था। ऐसे में जब प्रमुख सचिव ने इसका उल्लेख करते हुए समय के बाद उठाव के लिये विपणन संघ के अधिकारियों से भरपाई की बात कही तो यह नया पैतरा परिवहनकर्ता को बचाने के लिये निकाला गया।
आनलाइन रिपोर्ट को माने तो अभी भी पूरा गेहूं परिवहनकर्ता द्वारा उठाया नहीं जा सका है। 10 जून को जहां 8103 क्विंटल गेहूं उठाव के लिये शेष था तो 11 को 8086 क्विंटल। इसी तरह से 12 को 5590 और 13 जून को 4173 क्विंटल गेहूं का उठाव शेष दिखा रहा है। हालांकि इस मामले में विपणन संघ चालान न बनने और तकनीकि दिक्कतों का बहाना बनाता है लेकिन सवाल यह है कि बिना ट्रक चालान के फिर परिवहन कैसे हो रहा है।